यूपी में अब सरकार करेगी आउटसोर्स भर्ती, 16,000 न्यूनतम वेतन – निजी कंपनियों की भूमिका खत्म #91 *UP0316A*

लखनऊ | 

उत्तर प्रदेश सरकार अब खुद आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती करेगी, जिससे निजी एजेंसियों की भूमिका खत्म होगी। सरकार ने न्यूनतम वेतन 16,000 रुपये तय किया है और सीधा भुगतान कर्मचारी के खाते में होगा। पीएफ, बीमा व आरक्षण की सुविधा मिलेगी। सरकार इसके लिए नया निगम बनाने जा रही है, जो भर्ती, वेतन व सेवा शर्तों को नियंत्रित करेगा।



अब सरकार सीधे करेगी आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती

उत्तर प्रदेश में सरकारी विभागों के लिए अब निजी कंपनियों के बजाय सरकार ही आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती करेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की घोषणा के बाद आउटसोर्स कर्मचारी भर्ती निगम (निगम) बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इससे भर्ती में पारदर्शिता आएगी और कर्मचारियों के शोषण पर रोक लगेगी।

कैसे काम करेगा नया भर्ती निगम?

  • निगम सरकारी विभागों की जरूरत के अनुसार भर्ती करेगा।
  • वेतन सीधे कर्मचारी के खाते में जाएगा।
  • पीएफ, स्वास्थ्य बीमा और जीवन बीमा मिलेगा।
  • आउटसोर्स भर्ती में आरक्षण लागू होगा।

सरकार ने 12 मार्च को संबंधित विभागों से सुझाव मांगे हैं, ताकि निगम के गठन की प्रक्रिया को तेजी से पूरा किया जा सके।


न्यूनतम वेतन ₹16,000, आरक्षण रहेगा लागू

मिली जानकारी के अनुसार श्रम मंत्री अनिल राजभर ने बताया कि न्यूनतम वेतन ₹16,000 होगा। आमतौर पर निजी कंपनियां कर्मचारियों को तय मानदेय नहीं देतीं, जिससे उनका शोषण होता था। अब वेतन सीधे सरकार देगी।

आउटसोर्स कर्मचारियों को आरक्षण भी मिलेगा:

  • अनुसूचित जाति – 21%
  • अनुसूचित जनजाति – 2%
  • अन्य पिछड़ा वर्ग – 27%

किस विभागों में होंगी भर्तियां?

इन पदों पर सबसे ज्यादा भर्ती होगी:

  • स्वास्थ्य विभाग: नर्स, फार्मासिस्ट, पैरामेडिकल स्टाफ
  • तकनीकी पद: कंप्यूटर ऑपरेटर, तकनीकी सहायक, प्लंबर, लिफ्टमैन, इलेक्ट्रीशियन, कारपेंटर
  • अन्य पद: लिपिक, ड्राइवर, सफाई कर्मचारी

इसके अलावा डॉक्टर, इंजीनियर, पशु चिकित्सक जैसी ग्रुप-ख की भर्तियां भी निगम के माध्यम से की जाएंगी।


नौकरी की सुरक्षा, लेकिन प्रमोशन नहीं

निगम से भर्ती कर्मचारी एक-एक साल के कॉन्ट्रैक्ट पर रहेंगे, लेकिन जब तक जरूरत होगी, तब तक वे काम कर सकेंगे।

  • प्रमोशन का प्रावधान नहीं होगा, लेकिन मानदेय समय-समय पर बढ़ाया जाएगा।
  • अगर किसी कर्मचारी के खिलाफ गंभीर शिकायत या आपराधिक मामला हुआ, तो उसे हटाया जा सकेगा।

पहले से काम कर रहे कर्मचारियों पर असर नहीं

सरकार ने साफ किया है कि जो कर्मचारी पहले से आउटसोर्स कंपनियों के जरिए काम कर रहे हैं, उनकी नौकरी नहीं जाएगी।

  • जब तक एजेंसी का टेंडर रहेगा, वे काम करते रहेंगे।
  • बाद में इन्हें निगम के जरिए नौकरी दी जाएगी।

चुनाव से पहले बड़ा कदम, बजट तीन गुना बढ़ा

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, आउटसोर्स भर्ती को सरकारी नियंत्रण में लाने का फैसला 2024 लोकसभा चुनाव के बाद आया है।

  • 2019-20 में आउटसोर्स कर्मचारियों पर ₹684.19 करोड़ खर्च हुआ था।
  • 2025-26 में यह बजट बढ़कर ₹1796.93 करोड़ हो गया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला भाजपा को पिछड़े और दलित वर्ग के वोटरों को जोड़ने में मदद करेगा।


निगम बनाना आसान नहीं, कंपनियों का रहेगा दबाव

सरकार को इस फैसले को लागू करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

  • अधिकतर आउटसोर्स कंपनियों के मालिक प्रभावशाली लोग हैं, जिनमें नेताओं और अधिकारियों के करीबी शामिल हैं।
  • हर साल करीब ₹1500 करोड़ का ठेका इन कंपनियों को जाता था, जिसे अब सरकार खुद संभालेगी।
  • बड़ी निजी कंपनियां इस फैसले का विरोध कर सकती हैं।

सरकार ने साफ किया है कि निगम का उद्देश्य कर्मचारियों को स्थायित्व और सुरक्षा देना है। अगर यह सफल हुआ, तो यूपी में सरकारी भर्ती प्रक्रिया में एक बड़ा बदलाव होगा।

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