अयोध्या में बिजली कर्मचारियों का निजीकरण विरोध: आंदोलन का 108वां दिन, सरकार को दी चेतावनी #89 *UP42A0315AC*
अयोध्या |
बिजली विभाग के निजीकरण के विरोध में अयोध्या में विद्युत कर्मचारियों का आंदोलन 108वें दिन भी जारी रहा। बता दें की निजीकरण से 20000 आउटसोर्स बिजली कर्मियों की नौकरी पर खतरा है एवं आगरा-नोएडा में निजीकरण पहले से है और वहां गांव में पर्याप्त बिजली नहीं दी जा रही ऐसा दावा है। सूत्र
आंदोलन की पृष्ठभूमि
उत्तर प्रदेश में विद्युत विभाग के निजीकरण के प्रस्ताव के विरोध में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले प्रदेशभर में आंदोलन चल रहा है। अयोध्या में यह आंदोलन 108 दिनों से निरंतर जारी है, जहां कर्मचारी मुख्य अभियंता कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
कर्मचारियों की चेतावनी
संघर्ष समिति के अयोध्या संयोजक शैलेन्द्र दूबे ने स्पष्ट किया कि जब तक सरकार निजीकरण की प्रक्रिया को समाप्त करने की घोषणा नहीं करती, तब तक यह आंदोलन अनवरत जारी रहेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि निजीकरण समाप्त नहीं किया गया तो इसके गंभीर परिणाम होंगे।
निजीकरण के संभावित प्रभाव
संघर्ष समिति का आरोप है कि निजीकरण से लगभग 20,000 संविदा कर्मियों की नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है जिससे कर्मचारियों में भय का वातावरण है।
उपभोक्ताओं के साथ संयुक्त रैलियों की योजना
ऑल इंडिया इलेक्ट्रिसिटी कन्ज्यूमर्स एसोसिएशन ने भी यूपी में बिजली के निजीकरण का विरोध किया है। उन्होंने बिजली उपभोक्ताओं के साथ मिलकर आंदोलन तेज करने की रणनीति बनाई है और प्रदेश भर में संयुक्त रैलियां करने का कार्यक्रम बनाया है।
निजीकरण का पूर्व अनुभव
आगरा में पावर कंपनी के निजीकरण का उदाहरण कर्मचारियों द्वारा प्रस्तुत किया जा रहा है, जहां निजीकरण के बाद सेवा की गुणवत्ता में गिरावट देखी गई है। कर्मचारियों का कहना है कि निजीकरण से ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति प्रभावित हो सकती है, जबकि शहरी क्षेत्रों में भी सेवा की गुणवत्ता सुनिश्चित नहीं हो पाई है।
सरकार से अपेक्षाएँ
बिजली कर्मचारी सरकार से अपेक्षा करते हैं कि वे निजीकरण की प्रक्रिया को रोककर सार्वजनिक क्षेत्र में बिजली उद्योग को सुदृढ़ करें। उनका मानना है कि बिजली एक सेवा है, न कि व्यापार, और इसे सार्वजनिक क्षेत्र में ही रखा जाना चाहिए।
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