प्रयागराज: हाईकोर्ट ने वकीलों के आपराधिक मामलों पर डीजीपी से मांगा विस्तृत विवरण *GHJK* #14

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के वकीलों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों का ब्योरा मांगते हुए डीजीपी और डीजीपी अभियोजन को निर्देश दिया है। कोर्ट ने चिंता जताई कि ऐसे वकील जो बार एसोसिएशनों में प्रभावशाली पदों पर हैं, वे न्याय व्यवस्था के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं। यह आदेश अधिवक्ता मोहम्मद कफील की याचिका पर सुनवाई के दौरान 2 दिसंबर 2025 को जारी हुआ, जिसमें याची का खुद का आपराधिक इतिहास सामने आया।
न्यायिक चिंता का केंद्र बने वकीलों की आपराधिक पृष्ठभूमि
उत्तर प्रदेश में वकीलों के आपराधिक रिकॉर्ड को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कानूनी प्रणाली की मजबूती केवल कानूनों से नहीं, बल्कि जनता के विश्वास से आती है। यदि गंभीर अपराधों के आरोपी वकील बार काउंसिल में पंजीकृत होकर प्रभावी भूमिकाएं निभा रहे हैं, तो यह न्याय प्रशासन पर गहरा असर डाल सकता है। ऐसे व्यक्तियों के व्यवहार से पुलिस और अदालती प्रक्रियाओं पर अनुचित दबाव पड़ने का जोखिम रहता है। कोर्ट ने इसे कानून के शासन के लिए संभावित खतरा बताते हुए राज्यव्यापी जांच के आदेश दिए हैं।

 याचिका में सामने आया याची का विवादित इतिहास
यह मामला अधिवक्ता मोहम्मद कफील की याचिका से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने इटावा के अपर सत्र न्यायाधीश के 18 मार्च 2025 के आदेश को चुनौती दी थी। अपर सत्र न्यायाधीश ने सीजेएम के फैसले को बरकरार रखा था, जिसमें पुलिस अधिकारियों को तलब करने की उनकी मांग खारिज कर दी गई थी। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के हलफनामे से याची के आपराधिक इतिहास का खुलासा हुआ। याची पर गैंगस्टर एक्ट समेत तीन आपराधिक मामले दर्ज हैं। उनके पांच भाई—शकील, नौशाद, अकील, फैजान उर्फ गुडून और दिलशाद—भी गंभीर अपराधों में नामजद हैं, जिनमें हत्या का प्रयास, गोहत्या, जुआ अधिनियम, गैंगस्टर एक्ट और पॉक्सो एक्ट शामिल हैं। याची ने पूरक हलफनामे में इन मामलों को स्वीकार किया, लेकिन पुलिस पर प्रताड़ना का आरोप भी लगाया। इटावा कोतवाली के इंस्पेक्टर के हलफनामे ने याची की संलिप्तता की पुष्टि की।

डीजीपी को सौंपा गया विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने का जिम्मा
कोर्ट ने सभी कमिश्नर, एसएसपी, एसपी और संयुक्त निदेशक अभियोजन को यूपी बार काउंसिल में पंजीकृत वकीलों के खिलाफ लंबित मामलों का व्यापक विवरण जमा करने का निर्देश दिया। इसमें प्रत्येक एफआईआर की पंजीकरण तिथि, अपराध संख्या, धाराएं, संबंधित थाना, जांच की स्थिति, चार्जशीट दाखिल करने और आरोप तय करने की तारीखें, परीक्षित गवाहों का ब्योरा तथा ट्रायल की प्रगति शामिल होगी। पुलिस संबंधी जानकारी डीजीपी द्वारा और अभियोजन पक्ष का विवरण डीजीपी अभियोजन द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा। कोर्ट ने प्रशासन को किसी भी लापरवाही पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है, ताकि इस मुद्दे पर तत्काल और संवेदनशील कार्रवाई सुनिश्चित हो। यह कदम न्याय व्यवस्था की अखंडता को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

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