ब्राह्मण विधायकों को चेतावनी पर अखिलेश की शायरी : सियासत में 'अपनों' की महफ़िल ठीक, दूसरों पर वार? #98 *DWQ*
संक्षिप्त खबर:
उत्तर प्रदेश में 23 दिसंबर को लखनऊ में भाजपा के ब्राह्मण विधायकों की बैठक हुई, जिसमें 45 से 50 विधायक शामिल हुए। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी ने इसे पार्टी परंपराओं के खिलाफ बताते हुए चेतावनी दी। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर तंज कसते हुए ठाकुर विधायकों की पुरानी बैठक का जिक्र किया, जहां कोई कार्रवाई नहीं हुई। कांग्रेस ने भी इस मामले पर सवाल किया। समाजवादी पार्टी ने नाराज़ ब्राह्मण वोटबैंक को साधने की तैयारी की शुरू।
बैठक की शुरुआत और तत्काल प्रतिक्रियाएं
उत्तर प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान 23 दिसंबर की शाम लखनऊ में भाजपा विधायक पंचानंद पाठक के आवास पर एक बैठक का आयोजन किया गया। यह उनकी पत्नी के जन्मदिन के बहाने बुलाई गई थी, जिसमें पूर्वांचल और बुंदेलखंड क्षेत्र के करीब 45 से 50 ब्राह्मण विधायक पहुंचे। लिट्टी-चोखा और मंगलवार व्रत का फलाहार परोसा गया। बैठक में अन्य दलों के ब्राह्मण विधायकों की भी मौजूदगी रही, जिससे राजनीतिक हलचल मच गई। मुख्यमंत्री के विशेष कार्य अधिकारी ने पाठक से फोन पर बात की, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कोई राजनीतिक चर्चा नहीं, बल्कि सहभोज था। आरएसएस और भाजपा के वरिष्ठ नेता मामले को शांत करने में जुट गए।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी ने विधायकों को साफ लहजे में कहा कि ऐसी गतिविधियां पार्टी की संवैधानिक परंपराओं के अनुरूप नहीं हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि भविष्य में ऐसी कोशिशें अनुशासनहीनता मानी जाएंगी, क्योंकि इससे समाज में गलत संदेश जाता है। उन्होंने जोर दिया कि जनप्रतिनिधियों को नेगेटिव नैरेटिव से बचना चाहिए।
विपक्ष की प्रतिक्रिया और तुलनात्मक उदाहरण
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस चेतावनी पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कटाक्ष किया। उन्होंने इशारा किया कि अपनों की महफिल पर कोई सवाल नहीं उठता, लेकिन दूसरों को चेतावनी का फरमान जारी कर दिया जाता है। उनका संदर्भ विधानसभा मानसून सत्र के दौरान भाजपा विधायक ठाकुर रामवीर सिंह द्वारा बुलाई गई ठाकुर विधायकों की बैठक था, जहां तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई थी। सपा नेता शिवपाल सिंह यादव ने भाजपा से नाराज ब्राह्मण विधायकों को आमंत्रित किया कि वे समाजवादी पार्टी में शामिल हों, जहां उन्हें पूरा सम्मान मिलेगा।
यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि ब्राह्मण विधायकों का अपमान किया गया है, जबकि अन्य जातियों की बैठकों पर कोई कार्रवाई की बात नहीं हुई। उन्होंने ब्राह्मण समाज को मजबूत रुख अपनाने की सलाह दी और अन्याय के खिलाफ समर्थन का वादा किया।
चर्चा के केंद्र में रहे मुद्दे
बैठक में विधायकों ने ब्राह्मण समाज की उपेक्षा पर गहन बातचीत की। उन्होंने बताया कि संघ, भाजपा और सरकार में समाज की आवाज सुनने वाला कोई नहीं है। संगठन में ब्राह्मण पदाधिकारियों की संख्या घटाई गई है, जबकि एक विशेष जाति को अधिक तरजीह मिल रही है। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक को नाममात्र की जिम्मेदारी दी गई है, बिना वास्तविक शक्ति के। प्रदेश अध्यक्ष चुनाव में ब्राह्मण नेता सुनील भराला का नामांकन अंतिम समय पर रोक दिया गया, जिससे नाराजगी बढ़ी।
चर्चा में समाज के गरीबों के लिए फंड बैंक बनाने, आर्थिक मदद के प्रावधान, राजनीतिक हिस्सेदारी सुनिश्चित करने और एक प्रमुख चेहरे को आगे लाने जैसे कदम सुझाए गए। लखनऊ, भदोही, गोंडा और बहराइच प्रयागपुर की घटनाओं का भी जिक्र हुआ। इटावा कथावाचक चोटी कांड ने ब्राह्मणों में गुस्सा भड़काया, जहां विपक्ष ने सम्मान दिखाया लेकिन भाजपा विधायकों ने चुप्पी साधी। परशुराम सेना संगठन ने सभी दलों पर ब्राह्मणों को कमजोर करने का आरोप लगाया।
आगामी योजनाएं और व्यापक संदर्भ
विधायकों ने जनवरी में एकता मजबूत करने के लिए अगली बैठक बुलाने का फैसला लिया। 5 जनवरी को लखनऊ में पूर्व विधायकों, सांसदों, रिटायर्ड आईएएस, आईपीएस अधिकारियों और जजों को शामिल किया जाएगा। जिला स्तर पर भी ऐसी बैठकें होंगी, जिसमें पंचायत और नगर निकाय प्रतिनिधियों को बुलाया जाएगा। मुद्दा उठेगा कि राजनीतिक नियुक्तियों, विधान परिषद और सहकारी समितियों में ब्राह्मणों को पर्याप्त स्थान नहीं मिला।
यूपी में 52 ब्राह्मण विधायक हैं, जिनमें 46 भाजपा के। ब्राह्मण वोट बैंक 11-12 प्रतिशत आबादी होने पर भी प्रभावशाली है, जो पूर्वांचल, मध्य यूपी और बुंदेलखंड के 30 जिलों में फैला है। 2022 विधानसभा चुनाव में भाजपा को 89 प्रतिशत ब्राह्मण वोट मिले। ऐतिहासिक रूप से, आजादी के बाद 1989 तक छह ब्राह्मण मुख्यमंत्री बने। बसपा ने 2007 में ब्राह्मण-दलित गठजोड़ से सत्ता पाई, लेकिन बाद में वोट शिफ्ट हुए—2012 में सपा, 2017 में भाजपा की ओर। मानसून सत्र में 11 अगस्त को लखनऊ के होटल क्लार्क अवध में 'कुटुंब परिवार' के नाम से ठाकुर विधायकों की बैठक हुई थी, जिसमें 40 विधायक शामिल हुए थे। यह घटनाक्रम यूपी की बदलती राजनीति को दर्शाता है, जहां जातिगत एकजुटता चुनौतियां बढ़ा रही है।
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