नई दिल्ली: उन्नाव केस में पूर्व विधायक सेंगर की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट की रोक, बेटी बोली- 'मिलेगा न्याय' #78 *WER*
संक्षिप्त विवरण
सुप्रीम कोर्ट ने 29 दिसंबर 2025 को उन्नाव दुष्कर्म मामले के दोषी और पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर की जमानत पर रोक लगा दी। दिल्ली हाईकोर्ट ने 23 दिसंबर को उसकी सजा निलंबित कर जमानत दी थी। इस फैसले पर पीड़िता ने भावुक होते हुए खुशी जताई और न्यायपालिका के प्रति अपना भरोसा जताया है। वहीं सेंगर के बेटी के दावा है कि उनके पास बेगुनाही के सबूत हैं, फैसला निष्पक्ष और सामाजिक दवाब के बजाय सबूत के आधार पर किया जाए (दावा)।
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला और रोक
देश की सर्वोच्च अदालत ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए कुलदीप सेंगर की रिहाई पर फिलहाल पाबंदी लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत, न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें सेंगर को 23 दिसंबर 2025 को जमानत दी गई थी। अदालत ने दोषी सेंगर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है और अब इस मामले पर चार सप्ताह बाद विस्तार से विचार किया जाएगा। सुनवाई के दौरान अदालत ने स्पष्ट किया कि यद्यपि सजा निलंबन के आदेश आमतौर पर नहीं रोके जाते, लेकिन इस मामले की विशेष परिस्थितियों और दोषी के आपराधिक इतिहास को देखते हुए यह कदम उठाना आवश्यक है।
कानूनी सवाल और पुरानी नजीर
सुनवाई के दौरान अदालत ने महत्वपूर्ण कानूनी पहलुओं पर चर्चा की। मुख्य न्यायाधीश ने सवाल उठाया कि पॉक्सो (POCSO) कानून के तहत यदि एक पुलिसकर्मी लोक सेवक माना जा सकता है, तो किसी निर्वाचित जनप्रतिनिधि को इस दायरे से बाहर कैसे रखा जा सकता है। इस दौरान सीबीआई की ओर से 1997 के एक चर्चित कानूनी मामले का संदर्भ दिया गया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि चुने हुए प्रतिनिधि भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत 'पब्लिक सर्वेंट' की श्रेणी में आते हैं। जांच एजेंसी का तर्क है कि यही सिद्धांत बच्चों के खिलाफ होने वाले यौन अपराधों में भी उतनी ही सख्ती से लागू होना चाहिए।
पीड़िता और दोषी के परिवार का पक्ष
अदालत के फैसले के बाद परिसर में मौजूद पीड़िता भावुक हो गई और उसने सुप्रीम कोर्ट के प्रति आभार व्यक्त किया। उसने इस लड़ाई को अंत तक ले जाने और न्याय की मांग दोहराई। दूसरी ओर, कुलदीप सेंगर की बेटी ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी बात रखते हुए कहा कि उनका परिवार पिछले आठ वर्षों से कानूनी प्रक्रिया का सम्मान कर रहा है। उसने तथ्यों और सबूतों के आधार पर निष्पक्ष जांच की अपील करते हुए बताया कि उनके परिवार को भी मानसिक और सामाजिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। सेंगर के पक्ष का दावा है कि उनके पास बेगुनाही के सबूत हैं, जिन्हें अदालत के समक्ष रखा जाना चाहिए।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला जून 2017 में उन्नाव में हुई दुष्कर्म की घटना से जुड़ा है। लंबे संघर्ष के बाद, अप्रैल 2018 में पीड़िता द्वारा मुख्यमंत्री आवास के बाहर किए गए आत्मदाह के प्रयास और उसके पिता की पुलिस हिरासत में हुई मृत्यु के बाद इस केस ने राष्ट्रव्यापी ध्यान आकर्षित किया था। 2019 में पीड़िता की कार के साथ हुए संदिग्ध ट्रक एक्सीडेंट में उसके परिजनों की मृत्यु हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद मामला दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में स्थानांतरित हुआ, जिसने 21 दिसंबर 2019 को कुलदीप सेंगर को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
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