लखनऊ: घटिया सड़क निर्माण पर मंडलायुक्त की ठोकर से खुलासा, ठेकेदार ब्लैकलिस्ट *YUPI* #14
लखनऊ केगोमती नगर विकल्प खंड तीन में 30 लाख रुपये की लागत से बनी सड़क की बुधवार को मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत ने जांच की। पैर से हल्की ठोकर मारते ही सड़क उखड़ गई और बजरी बाहर निकल आई। ठेकेदार फार्म धामी कांस्ट्रक्शन को एक साल के लिए ब्लैकलिस्ट किया गया, 50 हजार का जुर्माना लग चुका है और एफआईआर दर्ज हो रही है। यह मामला 16 नवंबर को उजागर हुआ था, जिससे शासन स्तर पर कार्रवाई तेज हुई।
ठेकेदार पर कड़ी कार्रवाई
घटियानिर्माण की पुष्टि होते ही नगर निगम ने ठेकेदार के खिलाफ सख्त कदम उठाए। 15 नवंबर को ही 50 हजार रुपये का जुर्माना वसूला गया था। अब ठेकेदार को एक वर्ष के लिए डिबार कर दिया गया है, जिससे वह किसी भी निगम परियोजना में भाग नहीं ले सकेगा। इसके अलावा, स्थानीय थाने में विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज कराने की प्रक्रिया चल रही है। अधिकारियों ने बताया कि सड़क पर अभी केवल मोटी गिट्टी की पैचवर्क परत डाली गई थी, जबकि महीन गिट्टी वाली परत बाकी थी। जांच में कुछ जगहों पर सामग्री की गुणवत्ता निम्न पाई गई, जिसे विभागीय टीम ने हटा दिया। यह कार्रवाई स्थानीय निवासियों की सुविधा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की गई है।
मौके पर जांच का विवरण
बुधवार दोपहर करीब सवाएक बजे मंडलायुक्त मौके पर पहुंचे, जहां नगर आयुक्त गौरव कुमार भी साथ थे। सड़क की मजबूती परखने के लिए पैर से हल्का दबाव दिया गया, तो ऊपरी परत आसानी से उखड़ गई। इससे साफ पता चला कि निर्माण में तारकोल का इस्तेमाल नहीं हुआ। चिनहट द्वितीय वार्ड के विकल्प खंड तीन में यह सड़क एलडीए के हैंडओवर बजट से बन रही थी। शासन के निर्देश पर हुई इस जांच ने लापरवाही को उजागर कर दिया।
शिकायत से कार्रवाई तक का सफर
मामलाशुक्रवार रात सड़क निर्माण के बाद ही सामने आ गया। शनिवार सुबह स्थानीय पार्षद शैलेंद्र वर्मा को निवासियों ने शिकायत की कि सड़क उखड़ने लगी है। मौके पर जांच करने पर पुष्टि हुई कि बजरी बिना ठीक से चिपकाए डाली गई थी। पार्षद ने नगर आयुक्त गौरव कुमार और जोनल अभियंता अतुल मिश्रा से बात की। 16 नवंबर को इसकी प्रमुख रिपोर्टिंग से शासन में हलचल मच गई, जिसके चार दिन बाद बुधवार को मंडलायुक्त की जांच हुई। एलडीए के अतिरिक्त फंड से टेंडर प्रक्रिया के तहत यह कार्य चल रहा था।
भविष्य के लिए सख्त निर्देश
मंडलायुक्त नेअधिकारियों को चेतावनी दी कि निर्माण कार्यों में लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी। उन्होंने सभी परियोजनाओं की नियमित निगरानी पर जोर दिया और एक मजबूत मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने के आदेश दिए। जनता के धन का उपयोग पारदर्शी तरीके से होना चाहिए, ताकि ऐसी कमियां दोबारा न हों। यह घटना नगर निगम के लिए सबक है कि गुणवत्ता पर कोई समझौता न हो।
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