पटना: नीतीश कुमार ने दिया इस्तीफा, गुरुवार को दसवीं बार लेंगे मुख्यमंत्री पद की शपथ *VBNM* #16
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पद से इस्तीफा दे दिया है। गुरुवार, 20 नवंबर 2025 को सुबह 11:30 बजे वे गांधी मैदान में दसवीं बार शपथ लेंगे। समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित 11 राज्यों के मुख्यमंत्री और 150 अतिथियों के शामिल होने की तैयारी है। एनडीए के नेताओं ने उन्हें विधायक दल का नेता चुना है, जबकि भाजपा से सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा उपनेता बने। यह घटनाक्रम राज्य की राजनीति में नया अध्याय जोड़ता है।
एनडीए की बैठकें और नेतृत्व चयन
बिहार की राजनीति में तेजी से बदलाव आया है। बुधवार को जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के विधायकों की बैठक में नीतीश कुमार को एनडीए विधायक दल का नेता चुना गया। इसके बाद विधानमंडल के सेंट्रल हॉल में औपचारिक रूप से इसकी पुष्टि हुई। इसी क्रम में भाजपा कार्यालय में पार्टी विधायकों की बैठक आयोजित की गई, जहां सम्राट चौधरी को विधायक दल का नेता और विजय सिन्हा को उपनेता नियुक्त किया गया। इन नियुक्तियों से संकेत मिलता है कि राज्य में नई सरकार का गठन हो रहा है।
शपथ समारोह की भव्य तैयारी
शपथ ग्रहण का आयोजन पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में होगा। समारोह के लिए दो मंच तैयार किए गए हैं, जो कार्यक्रम की भव्यता को दर्शाते हैं। सुबह 11:30 बजे शुरू होने वाले इस समारोह में 150 विशेष अतिथियों को आमंत्रित किया गया है। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि नीतीश कुमार के अलावा सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा भी उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे, जिससे सरकार की संरचना मजबूत बनेगी।
राष्ट्रीय स्तर पर नेताओं की उपस्थिति
इस अवसर पर राष्ट्रीय और क्षेत्रीय नेतृत्व की भागीदारी सुनिश्चित की गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समारोह में शरीक होंगे। इसके साथ ही 11 अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री भी पधारेंगे, जो बिहार की राजनीतिक स्थिरता के प्रति समर्थन का प्रतीक है। यह आयोजन न केवल राज्य बल्कि पूरे देश की नजरों में होगा, क्योंकि नीतीश कुमार का यह दसवां कार्यकाल नई गठबंधन राजनीति की दिशा निर्धारित कर सकता है।
राज्य विधानमंडल में सक्रियता
पूरे दिन विधानमंडल भवन में हलचल रही। एनडीए के घटक दलों ने अलग-अलग बैठकों के माध्यम से अपनी रणनीति तय की। जदयू की बैठक भाजपा की से पहले हुई, जिसमें नीतीश कुमार का नेतृत्व एकमत से स्वीकार किया गया। ये कदम बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन को मजबूत बनाने की दिशा में हैं।
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