उत्तर प्रदेश : प्रीपेड मीटर मामले में पावर कॉर्पोरेशन घिरा, नियामक आयोग को दिया जवाब #29 *AWP*
Brief:
उत्तर प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर को लेकर पावर कॉर्पोरेशन विवादों में घिर गया है। नियामक आयोग को भेजे जवाब में कॉर्पोरेशन ने माना कि आरडीसएस स्कीम के मीटर उपभोक्ताओं को लगाए जा रहे हैं, हालाँकि उनसे कोई शुल्क नहीं लिया जा रहा। वहीं, 6016 रुपये वसूलने को अंतरिम व्यवस्था बताया गया है। इस मामले में आयोग ने कॉर्पोरेशन को अवमानना नोटिस जारी किया था।
उत्तर प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटरों को लेकर विद्युत निगम और नियामक आयोग के बीच तनाव बढ़ गया है। निगम पर मीटर की कीमत के तौर पर 6016 रुपये वसूलने, उपभोक्ताओं को प्रीपेड या पोस्टपेड का विकल्प न देने और नियामक आयोग से अनुमति न लेने के आरोप लगे हैं। इन आरोपों पर नियामक आयोग ने निगम को अवमानना का नोटिस जारी किया था।
निगम का बचाव और दावे
अवमानना नोटिस के जवाब में निगम ने अपना पक्ष रखा है। निगम ने कहा है कि फिलहाल मीटर शुल्क की अंतरिम व्यवस्था चल रही है और भविष्य में आयोग द्वारा तय मानकों के आधार पर ही मीटर लगाए जाएंगे। निगम ने यह भी स्वीकार किया है कि आरडीसएस स्कीम में खरीदे गए स्मार्ट प्रीपेड मीटर का इस्तेमाल उपभोक्ताओं के मीटर बदलने के लिए किया जा रहा है और इन उपभोक्ताओं से कोई शुल्क नहीं लिया जा रहा। साथ ही, निगम ने आयोग के सामने यह सवाल भी उठाया है कि वह कॉस्ट डाटा बुक को लेकर 10 बार प्रस्ताव भेज चुका है, जिस पर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ।
उपभोक्ता परिषद की नई कार्रवाई
विद्युत उपभोक्ता परिषद ने निगम के इस जवाब को खारिज करते हुए नियामक आयोग में एक नया कानूनी प्रस्ताव दाखिल किया है, जिसमें निगम के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई शुरू करने की मांग की गई है। परिषद का कहना है कि निगम अपने जवाब में बिना अनुमोदन की वसूली को सही ठहरा रहा है। परिषद ने निगम के कॉस्ट डाटा बुक प्रस्ताव में कमियां गिनाई हैं, जैसे जीएसटी दरों को दोगुना दिखाना और कुछ सामग्री की लागत को कई गुना बढ़ाकर प्रस्तुत करना। परिषद ने यह सवाल भी उठाया है कि जब निगम के अनुसार मीटर की कीमत 7000 से 9000 रुपये के बीच है, तो राजस्थान में यह 2500 रुपये में कैसे लगाया जा रहा है।
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