बांग्लादेश में शेख हसीना को मौत की सजा, भारत से प्रत्यर्पण की मांग #29 *SQ*


बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सोमवार को इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने मौत की सजा सुनाई है। जुलाई 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान हुई हत्याओं के लिए उन्हें हत्या उकसाने और आदेश देने का दोषी पाया गया। अन्य मामलों में उम्रकैद की सजा दी गई। पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान को भी फांसी, जबकि पूर्व आईजीपी अब्दुल्ला अल-ममून को पांच साल की कैद। दावों के अनुसार शेख हसीना और असदुज्जमान खान ने बांग्लादेश छोड़ दिया था, तब से दोनों भारत में रह रहे हैं। अंतरिम प्रधानमंत्री ने भारत से प्रत्यर्पण की मांग की है।


सजा का ऐलान: कोर्ट में उत्साह, संपत्ति जब्त का आदेश

17 नवंबर 2025 को ढाका की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने शेख हसीना को पांच मामलों में दोषी ठहराया। ट्रिब्यूनल ने उन्हें जुलाई 2024 के छात्र आंदोलन में हुई हिंसा की मुख्य साजिशकर्ता करार दिया। फैसले के तुरंत बाद कोर्ट कक्ष में मौजूद लोगों ने तालियां बजाकर खुशी जताई। पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान को भी हत्याओं में शामिल बताते हुए मौत की सजा सुनाई गई। वहीं, पूर्व पुलिस महानिदेशक अब्दुल्ला अल-ममून, जो सरकारी गवाह बन चुके हैं, को केवल पांच साल की सजा दी गई। कोर्ट ने हसीना और असदुज्जमान की संपत्ति जब्त करने का निर्देश भी जारी किया।

घटनाओं का पृष्ठभूमि: तख्तापलट से भारत प्रवास तक

यह सजा उस तख्तापलट से जुड़ी है, जो 5 अगस्त 2024 को हुआ था। उस दिन शेख हसीना और असदुज्जमान खान ने बांग्लादेश छोड़ दिया था। तब से दोनों भारत में रह रहे हैं, जो पिछले 15 महीनों से चला आ रहा है। बांग्लादेश के प्रधानमंत्री कार्यालय ने स्पष्ट किया कि भारत-बांग्लादेश प्रत्यर्पण संधि के तहत भारत को हसीना को सौंपना होगा। अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस ने भी इसकी मांग दोहराई, ताकि न्याय प्रक्रिया पूरी हो सके।

कोर्ट की स्थापना: हसीना का ही बनाया ट्रिब्यूनल

विशेष बात यह है कि मौत की सजा देने वाली इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल की स्थापना खुद शेख हसीना ने 2010 में की थी। 1973 में बने कानून के आधार पर यह ट्रिब्यूनल 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान हुए युद्ध अपराधों और नरसंहार की जांच के लिए गठित हुआ। दशकों तक रुकी प्रक्रिया को हसीना ने आगे बढ़ाया, लेकिन अब वही संस्था उनके खिलाफ फैसला ले रही है।

प्रतिक्रियाएं: विपक्ष की सराहना, वैश्विक कवरेज

शेख हसीना की अवामी लीग के विरोधी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने इस फैसले को कानून के राज की जीत बताया। पार्टी ने इसे तानाशाही के खिलाफ बड़ा कदम माना। दूसरी ओर, विश्व मीडिया ने इस खबर को प्रमुखता से उठाया। रॉयटर्स, एएफपी, बीबीसी, सीएनएन, अल जजीरा और द गार्जियन जैसे आउटलेट्स ने इसे शीर्ष सुर्खी बनाया। यह घटना बांग्लादेश की राजनीति में नया मोड़ ला सकती है।


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