TET पास नहीं तो नौकरी से हटना पड़ेगा: सुप्रीम कोर्ट का शिक्षकों पर बड़ा फैसला #16 *JJW*

सारांश:

 सुप्रीम कोर्ट ने 1 सितंबर को फैसला सुनाया कि जिन शिक्षकों की नौकरी को 5 साल से ज्यादा समय बचा है, उन्हें सेवा में बने रहने या प्रमोशन के लिए TET पास करना अनिवार्य होगा। ऐसा न करने पर उन्हें इस्तीफा देना होगा या रिटायरमेंट लेना होगा। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने यह फैसला दिया।


चलिए समझते हैं पूरा फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी 1 सितंबर को एक बड़ा फैसला सुनाते हुए देश के सभी शिक्षकों के लिए एक नया निर्देश जारी किया है। अदालत ने कहा है कि अब स्कूली शिक्षा से जुड़े हर शिक्षक को अपनी नौकरी में बने रहने या प्रमोशन पाने के लिए टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (TET) पास करना ही होगा।

किन शिक्षकों पर लागू होगा यह नियम?

कोर्ट ने साफ किया कि जिन शिक्षकों की नौकरी में 5 साल से अधिक का समय बाकी है, उन्हें अगले पांच साल के भीतर TET क्वालिफाई करना होगा। अगर वे ऐसा नहीं कर पाते हैं, तो उन्हें या तो खुद इस्तीफा देना होगा या फिर उन्हें कंपल्सरी रिटायरमेंट पर भेज दिया जाएगा। हालांकि, अदालत ने उन शिक्षकों को राहत दी है जिनकी सेवा के सिर्फ 5 साल या उससे कम समय बचा है।

माइनॉरिटी संस्थानों का क्या?

इस आदेश पर एक बड़ा सवाल यह उठा था कि क्या यह नियम माइनॉरिटी शैक्षणिक संस्थानों पर भी लागू होगा? इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे पर अंतिम फैसला एक बड़ी बेंच (लार्जर बेंच) करेगी। यानी, अभी माइनॉरिटी संस्थानों के शिक्षकों के लिए यह फैसला लागू नहीं होगा।

क्या है TET एग्जाम और इसका महत्व?

TET यानी टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट एक राष्ट्रीय स्तर की पात्रता परीक्षा है। यह तय करती है कि कोई व्यक्ति कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए योग्य है या नहीं। इस परीक्षा को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) ने साल 2010 में अनिवार्य बनाया था।

क्या है इस मामले की पृष्ठभूमि?

यह पूरा मामला RTE एक्ट, 2009 की धारा 23(1) से जुड़ा है, जिसमें कहा गया है कि शिक्षकों की न्यूनतम योग्यता NCTE तय करेगी। इसके बाद NCTE ने 23 अगस्त 2010 को एक नोटिफिकेशन जारी कर TET पास करना अनिवार्य कर दिया। पहले नियुक्त शिक्षकों को इसे पास करने के लिए 5 साल का समय दिया गया, जिसे बाद में 4 साल और बढ़ा दिया गया।

इस NCTE के नोटिस के खिलाफ कई शिक्षकों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जून 2025 में मद्रास हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा था कि 29 जुलाई 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों को नौकरी में बने रहने के लिए TET पास करना जरूरी नहीं है, लेकिन प्रमोशन के लिए यह जरूरी रहेगा। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को पलटते हुए सेवा में बने रहने और प्रमोशन दोनों के लिए TET पास करना अनिवार्य कर दिया है।

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