महिलाओं ने सीखा कपड़ा सिलाई का हुनर, बनीं आत्मनिर्भर *QWPA* #12



महिलाओं ने सीखा कपड़ा सिलाई का हुनर, बनीं आत्मनिर्भर

सारांश
आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय द्वारा तक पिठला गांव में ग्रामीण महिलाओं के लिए 12 दिवसीय "परिधान निर्माण" प्रशिक्षण आयोजित किया गया। अधिष्ठाता डॉ. साधना सिंह ने कहा कि इसका उद्देश्य महिलाओं को उद्यमिता के लिए तैयार करना है।


चलिए जानते हैं पूरा मामला


कुमारगंज, अयोध्या। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय ने तक पिठला गांव में ग्रामीण महिलाओं के लिए एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया। प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के निर्देश और कुलपति डॉ. बिजेंद्र सिंह के मार्गदर्शन में आयोजित इस 12 दिवसीय "परिधान निर्माण" प्रशिक्षण का मुख्य लक्ष्य महिलाओं को नया हुनर सिखाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना था।


क्या सीखा महिलाओं ने?

इस प्रशिक्षण शिविर में महिलाओं को कपड़ा सिलाई की बारीकियां सिखाई गईं। उन्हें शरीर की माप लेने, कागज पर ड्राफ्टिंग करने, कपड़े की कटिंग करने और सिलाई के साथ-साथ वस्त्रों पर बेलबूटे बनाने की अलंकरण तकनीक की भी जानकारी दी गई। प्रशिक्षण के दौरान महिलाओं ने एप्रन, कफ्तान, ब्लाउज और रोटी केस जैसे उपयोगी वस्त्र और सामान खुद बनाए।


उद्देश्य सिर्फ सिलाई सिखाना नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर बनाना है

महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ. साधना सिंह ने बताया कि इस प्रशिक्षण का उद्देश्य सिर्फ सिलाई सिखाना नहीं, बल्कि महिलाओं को उद्यमिता के लिए तैयार करना है। उन्होंने कहा, "परिधान निर्माण आज के समय में आर्थिक अवसरों और स्वरोजगार का एक बड़ा माध्यम है। अगर इस कौशल का सही दिशा में प्रयोग किया जाए तो परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया जा सकता है।"


सिलाई के क्षेत्र में हैं कई अवसर

विभागाध्यक्ष डॉ. पूनम सिंह ने महिलाओं को बताया कि सिलाई के क्षेत्र में कई तरह के अवसर उपलब्ध हैं। घर की सजावट और अन्य उपयोगी वस्तुओं को बनाकर महिलाएं अच्छा जीविकोपार्जन कर सकती हैं, बशर्ते वे काटने और सिलने की कला में निपुण हों।


कार्यक्रम में ये रहे मौजूद

इस कार्यक्रम का संयोजन सहायक प्राध्यापक डॉ. मनप्रीत कलसी ने किया। कार्यक्रम में महिला अध्ययन केंद्र की सदस्य डॉ. अंजना राय और आशा देवी इंटरमीडिएट कॉलेज की प्रधानाध्यापिका शैल कुमारी भी मौजूद रहीं। कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र बांटे गए। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. मनप्रीत कलसी ने दिया और कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रज्ञा पांडे ने किया।



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