आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय में आत्महत्या एवं यौन उत्पीड़न रोकथाम पर हुई कार्यशाला और राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन *CXZM* #9
सारांश: आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के HDFS विभाग और PoSH समिति ने विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर कार्यशाला आयोजित की। अधिष्ठाता डॉ. साधना सिंह ने आत्महत्या के जोखिम कारकों और यौन उत्पीड़न रोकथाम की नीतियों पर जोर दिया। इसी क्रम में एक राष्ट्रीय वेबिनार भी आयोजित किया गया।
विश्वविद्यालय ने आत्महत्या एवं यौन उत्पीड़न रोकथाम पर चलाया जागरूकता अभियान
आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के मानव विकास एवं परिवार अध्ययन विभाग (HDFS) और यौन उत्पीड़न रोकथाम (PoSH) समिति के संयुक्त तत्वावधान में विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के मौके पर एक महत्वपूर्ण पहल की गई। इस अवसर पर “जीवन की रक्षा, गरिमा का संरक्षण: आत्महत्या एवं यौन उत्पीड़न की रोकथाम” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला में क्या-क्या हुआ?
कार्यशाला आशा देवी महाविद्यालय और चंद्रबली उर्मिला महाविद्यालय में आयोजित की गई। इसका मुख्य उद्देश्य छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों को आत्महत्या और यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर मुद्दों के बारे में जागरूक करना, उन्हें आवश्यक ज्ञान और कौशल से लैस करना और एक संवेदनशील माहौल बनाना था।
अधिष्ठाता डॉ. साधना सिंह ने इस दौरान आत्महता से जुड़े मिथकों, तथ्यों और जोखिम कारकों पर विस्तृत जानकारी साझा की। उन्होंने जोर देकर कहा कि आत्महत्या एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है और इससे निपटने के लिए समय पर सहायता लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
यौन उत्पीड़न रोकथाम पर क्या रही बात?
डॉ. सिंह ने यौन उत्पीड़न की रोकथाम पर विशेष Focus करते हुए कहा कि इसके बारे में जागरूकता बढ़ाना सबसे जरूरी है। उन्होंने कहा कि शिक्षा और प्रशिक्षण के जरिए ही लोगों को संवेदनशील बनाया जा सकता है। साथ ही, ऐसे मामलों से निपटने के लिए संस्थानों में स्पष्ट नीतियों और प्रक्रियाओं का होना बेहद जरूरी है।
कार्यक्रम में किन-किन लोगों ने भाग लिया?
इस कार्यशाला की सह-आयोजन सचिव के रूप में डॉ. पूनम सिंह, डॉ. विभा परिहार, डॉ. श्वेता चौधरी और डॉ. ममता आर्या का मुख्य योगदान रहा। कार्यक्रम में डॉ. रागिनी मिश्रा ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।
इस मौके पर डॉ. प्राची शुक्ला, डॉ. श्वेता सचान, सरिता श्रीवास्तव, डॉ. मीनल राय, ऋतिका पाण्डेय, अनुराधा, प्रियंका चौहान, डॉ. सुप्रिया, डॉ. आशा कुमारी वर्मा, डॉ. विजयलक्ष्मी राय सहित 250 से अधिक छात्र-छात्राओं, शोधार्थियों और संकाय सदस्यों ने भाग लेकर इसे सफल बनाया।
राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित हुआ वेबिनार
इसी कड़ी में, विश्वविद्यालय ने एक राष्ट्रीय स्तर का ऑनलाइन वेबिनार भी सफलतापूर्वक आयोजित किया। इस वेबिनार का विषय “सहिष्णुता, आशा और सुरक्षित माहौल का निर्माण: आत्महत्या एवं यौन उत्पीड़न रोकथाम” रखा गया।
वेबिनार के मुख्य उद्देश्य क्या थे?
इस वेबिनार का प्रमुख उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाना और शैक्षणिक संस्थानों व कार्यस्थलों पर सुरक्षित एवं सहयोगात्मक माहौल बनाने के तरीकों पर चर्चा करना था।
इस दौरान मुख्य वक्ताओं नेहा लखनपाल और आशा कालरा ने अपने विचार साझा किए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मानसिक स्वास्थ्य और यौन उत्पीड़न जैसे मुद्दों पर खुलकर बात करने और जागरूकता फैलाने की सख्त जरूरत है। साथ ही, उन्होंने सहानुभूति, समय पर हस्तक्षेप और प्रभावी नीति निर्माण के महत्व के बारे में भी जानकारी दी।
विश्वविद्यालय की यह पहल छात्रों और शिक्षकों के बीच सुरक्षित और संवेदनशील वातावरण बनाने की दिशा में एक सराहनीय कदम है।
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