अयोध्या : 85 सरकारी स्कूलों के विलय का आदेश रद्द, छात्रों की दूरी की समस्या को देखते हुए DM ने लिया फैसला *QPAL* #9
अयोध्या : 85 सरकारी स्कूलों के विलय का आदेश रद्द, छात्रों की दूरी की समस्या को देखते हुए DM ने लिया फैसला
सारांश: अयोध्या के DM ने 85 परिषदीय स्कूलों के युग्मन (मर्जर) के आदेश को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया। खंड शिक्षा अधिकारियों ने बताया कि स्कूलों के बीच अधिक दूरी के कारण छात्रों को परेशानी हो रही थी, इसलिए यह कदम उठाया गया।
अयोध्या जिले में सरकारी स्कूलों के विलय (मर्जर) को लेकर जारी उलझन के बाद अब एक बड़ा फैसला सामने आया है। जिलाधिकारी ने 85 परिषदीय विद्यालयों के युग्मन के आदेश को पूरी तरह से रद्द करते हुए पुरानी व्यवस्था बहाल कर दी है। यह फैसला छात्रों की परेशानी और स्थानीय हालात को देखते हुए लिया गया है।
क्या था पूरा मामला?
इससेपहले, उत्तर प्रदेश के महानिदेशक, स्कूल शिक्षा के आदेश के तहत अयोध्या जिले के 85 परिषदीय स्कूलों को आपस में मर्ज (युग्मित) कर दिया गया था। इस नीति का मकसद संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल करना और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना था। कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को पास के बड़े स्कूलों से जोड़ा गया था।
क्यों रद्द करना पड़ा आदेश?
विलय केबाद एक बड़ी समस्या सामने आई। पता चला कि जिन स्कूलों का आपस में विलय किया गया था, उनके बीच की दूरी काफी ज्यादा थी। इस वजह से छात्रों, खासकर छोटे बच्चों के लिए रोजाना का सफर तय करना मुश्किल हो गया। ग्रामीण इलाकों में तो परिवहन की सुविधा पहले से ही कम है, ऐसे में बच्चों की मुश्किलें और बढ़ गईं। स्थानीय लोगों ने भी इसकी शिकायत की।
किसने उठाई आवाज?
इन परेशानियोंको देखते हुए जिले के खंड शिक्षा अधिकारियों (BEOs) ने जिलाधिकारी के सामने एक प्रस्ताव रखा। उन्होंने विस्तार से बताया कि कैसे ज्यादा दूरी होने की वजह से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है और उन्हें स्कूल आने में दिक्कत हो रही है। उन्होंने विलय के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया।
जिलाधिकारीने शिक्षा अधिकारियों की बात और स्थानीय समस्याओं को गंभीरता से लिया। उन्होंने तुरंत ही विलय के आदेश को निरस्त करने का फैसला सुना दिया। जिलाधिकारी ने कहा कि "हमारा मुख्य लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उसके अपने इलाके में ही आसानी से मिल सके। बच्चों को हो रही दिक्कतों और समुदाय की चिंताओं को देखते हुए यह फैसला लिया गया है।"
इस फैसले के बाद अब सभी 85 स्कूल फिर से पहले की तरह अपने-अपने ढंग से चलेंगे और छात्रों को अपने पास के स्कूल में ही पढ़ाई का मौका मिल सकेगा।
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