आज रात 82 मिनट तक दिखेगा ब्लड मून, पूरे भारत में नजर आएगा साल का आखिरी चंद्र ग्रहण #9 *qw*

सारांश: 

रविवार रात, 7-8 सितंबर 2025 को रात 11:28 बजे से शुरू होकर 82 मिनट तक चलने वाला पूर्ण चंद्र ग्रहण (ब्लड मून) पूरे भारत में दिखेगा। यह 2022 के बाद का सबसे लंबा ग्रहण होगा, जिसे बिना किसी उपकरण के सीधे देखा जा सकता है। ग्रहण का समय भारत में रात 11:28 बजे से शुरू होकर 2:52 बजे तक रहेगा, जिसमें पूर्ण ग्रहण रात 12:41 बजे से 1:47 बजे तक (लगभग 66 मिनट) दिखेगा। इसे नग्न आंखों से या दूरबीन/टेलीस्कोप से देखा जा सकता है।


चलिए जानते हैं पूरा घटनाक्रम

आज यानी रविवार- सोमवार की रात, 7-8 सितंबर 2025 को आसमान में एक अद्भुत नजारा दिखेगा। साल का आखिरी और सबसे लंबा पूर्ण चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। इस दौरान चंद्रमा लाल-नारंगी रंग का दिखाई देगा, जिसे 'ब्लड मून' कहा जाता है। खास बात यह है कि इसे भारत के हर कोने से साफ-साफ देखा जा सकेगा।

ग्रहण का समय और कहाँ-कहाँ दिखेगा?

भारत में ग्रहण की शुरुआत रात 11:28 बजे (IST) से होगी और यह कुल 3 घंटे 24 मिनट तक चलेगा, यानी 2:52 बजे तक। इसमें से 66 मिनट का समय पूर्ण ग्रहण का होगा (रात 12:41 बजे से 1:47 बजे तक), जब चाँद पूरी तरह से लाल दिखेगा। यह नज़ारा सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि एशिया, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और अफ्रीका के कई हिस्सों में भी दिखाई देगा। माना जा रहा है कि दुनिया की लगभग 77% आबादी इस ग्रहण को देख पाएगी।

ग्रहण को कैसे देखें? क्या है सुरक्षित तरीका?

सूर्य ग्रहण के विपरीत, चंद्र ग्रहण को देखना पूरी तरह से सुरक्षित है। आपको इसे देखने के लिए किसी खास चश्मे या फिल्टर की जरूरत नहीं है। आप इसे सीधे अपनी आँखों से देख सकते हैं। हालाँकि, अगर आपके पास दूरबीन या टेलीस्कोप है, तो आप इस खगोलीय घटना को और भी स्पष्ट रूप से देख पाएंगे।

चंद्र ग्रहण होता क्यों है?

चंद्र ग्रहण तब होता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में आ जाते हैं। इस स्थिति में पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है और सूर्य की रोशनी चंद्रमा तक नहीं पहुँच पाती। पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है, जिससे ग्रहण की स्थिति बनती है। यह घटना केवल पूर्णिमा के दिन ही संभव होती है।

ग्रहण से जुड़े अंधविश्वास और वैज्ञानिक सच्चाई

ग्रहण को लेकर कई तरह की धारणाएं और अंधविश्वास समाज में प्रचलित हैं। NASA जैसी विश्वसनीय संस्था ने इनपर विज्ञान की कसौटी रखी है:

· राहु-केतु का प्रभाव? NASA के अनुसार, ग्रहण खगोलीय घटना है, जिसका राक्षसों से कोई लेना-देना नहीं है।
· प्राकृतिक आपदाएँ? ग्रहण के कारण सुनामी या भूकंप आने की बात वैज्ञानिक तौर पर सही नहीं है।
· खाना खराब होना? ग्रहण के दौरान बना खाना खराब हो जाता है, यह बात पूरी तरह से गलत है। खाना खाने-पीने में कोई दिक्कत नहीं है।
· अशुभ संकेत? ग्रहण को अशुभ मानना एक मनोवैज्ञानिक भ्रम है।

ग्रहण ने इतिहास में वैज्ञानिकों की कैसे मदद की?

चंद्र ग्रहण की वजह से इतिहास में कई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक खोजें संभव हुईं। करीब 2100 साल पहले, 150 ईसा पूर्व में ग्रीस के वैज्ञानिकों ने ग्रहण की मदद से पृथ्वी का व्यास नापा था। इसी तरह, 400 ईसा पूर्व में वैज्ञानिक अरिस्तर्खुस ने पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी का पता लगाया था।

आज रात का यह नजारा 2018 के बाद पहला मौका है जब पूरा देश एक साथ ब्लड मून देख पाएगा। इसलिए, इस दुर्लभ खगोलीय घटना का आनंद जरूर लें।

नोट: ग्रहण का समय और तारीख 7-8 सितंबर 2025 (रविवार-सोमवार की रात) के अनुसार अपडेट की गई है। बाकी लेख मूल रूप में रखा गया है।

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