अयोध्या : कृषि विश्वविद्यालय में भर्ती इंटरव्यू स्थगित, उम्मीदवारों की जेब ढीली #6 *QWR*
सारांश:
अयोध्या स्थित आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कुमारगंज में नियोजित भर्ती इंटरव्यू अचानक स्थगित कर दिए गए। स्थायी कुलपति के अभाव और प्रभारी चेयरमैन डॉ. अनिल कुमार के फोन स्विच ऑफ होने से उम्मीदवारों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। उनका मानना है कि यहां नौकरी मेरिट या इंटरव्यू के आधार पर नहीं, बल्कि नेटवर्क के आधार पर मिलती है।
चलिए समझते हैं पूरा घटनाक्रम
अयोध्या के कुमारगंज स्थित आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में हुई एक अप्रत्याशित घटना ने नौकरी की तलाश में आए सैकड़ों उम्मीदवारों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा जारी की गई भर्ती के लिए इंटरव्यू की तिथियों के अनुसार पहुंचे उम्मीदवारों को यह जानकर सदमा लगा कि इंटरव्यू स्थगित कर दिए गए हैं। इससे उम्मीदवारों का समय और पैसा दोनों बर्बाद हुए हैं।
क्यों हुआ ऐसा? प्रशासनिक उलझन मुख्य वजह
इस पूरी स्थिति के पीछे विश्वविद्यालय में स्थायी कुलपति का पद खाली होना बताया जा रहा है। फिलहाल कुलपति का प्रभार किसी अन्य अधिकारी के पास है, जो पहले से ही दो विश्वविद्यालयों का कार्यभार संभाल रहे हैं। ऐसे में, भर्ती प्रक्रिया पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा सका। इंटरव्यू की तिथियां तय कर दी गईं, लेकिन बाद में इसे स्थगित करना पड़ा।
उम्मीदवारों की मुश्किलें, भर्ती प्रकोष्ठ भी रहा अनउपलब्ध
इंटरव्यू रद्द होने की सूचना उम्मीदवारों को तब मिली जब वे परीक्षा केंद्र पर पहुंच चुके थे। इस घटना से नाराज उम्मीदवारों ने जब भर्ती प्रकोष्ठ के चेयरमैन डॉ. अनिल कुमार से संपर्क करने की कोशिश की, तो उनका फोन नंबर स्विच ऑफ मिला। इससे उम्मीदवारों की परेशानी और बढ़ गई।
गलियारों में है यह चर्चा
विश्वविद्यालय के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि यह सब कुछ दीक्षांत समारोह की तैयारियों के बीच हो रहा है। एक तरफ जहां छात्रों को डिग्रियां बांटने का कार्य किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर भर्ती जैसे महत्वपूर्ण कार्य पर उचित ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
आखिर में क्या रहा उम्मीदवारों का सवाल?
इस पूरे घटनाक्रम ने उम्मीदवारों के मन में एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। उनका मानना है कि यहां नौकरी मेरिट या इंटरव्यू के आधार पर नहीं, बल्कि नेटवर्क के आधार पर मिलती है। इस घटना से न केवल उम्मीदवारों का पैसा बर्बाद हुआ है, बल्कि उनका विश्वास भी टूटा है। अब सभी की नजर विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर है कि वह इस मामले में आगे क्या कदम उठाता है।
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