नई दिल्ली: जीएसटी घटने पर कारों की रिकॉर्ड बिक्री, मारुति-हुंडई-टाटा ने एक दिन में 51 हजार कारें बेचीं *DESA* #6
22 सितंबर को नवरात्रि के पहले दिन मारुति सुजुकी, हुंडई और टाटा मोटर्स ने संयुक्त रूप से 51,000 से अधिक कारें बेचीं। जीएसटी की नई दरें लागू होने से कारों के दाम घटे, जिससे मारुति ने 30 साल का और हुंडई ने 5 साल का बिक्री रिकॉर्ड तोड़ा।
रिकॉर्ड बिक्री का दिन कैसा रहा?
भारत की शीर्ष तीन ऑटोमोबाइल कंपनियों- मारुति, हुंडई और टाटा मोटर्स- ने 22 सितंबर को नवरात्रि के पहले दिन एक साथ मिलाकर 51 हजार से ज्यादा कारों की बिक्री दर्ज की। यह उछाल मुख्य रूप से जीएसटी की नई दरों के 22 सितंबर से लागू होने के कारण आया, जिससे कारों की कीमतें चार साल पहले के स्तर पर पहुंच गईं। इसके अतिरिक्त, कंपनियां 10% से अधिक का फेस्टिवल डिस्काउंट भी दे रही हैं।
मारुति ने कैसे तोड़ा 30 साल का रिकॉर्ड?
मारुति सुजुकी ने अकेले 22 सितंबर को लगभग 30,000 कारें बेचीं और कंपनी के शोरूम्स पर 80,000 लोगों ने गाड़ियों की जानकारी ली। कंपनी के एक अधिकारी ने इसे पिछले 30 वर्षों में मिला सबसे शानदार प्रतिसाद बताया। छोटी कारों की कीमतों में 10-15% की गिरावट ने मध्यम वर्ग के परिवारों को शोरूम की ओर आकर्षित किया।
हुंडई और टाटा की क्या रही उपलब्धि?
हुंडई ने नवरात्रि के पहले दिन करीब 11,000 वाहन बेचकर अपने पिछले 5 साल के एक दिन के बिक्री रिकॉर्ड को तोड़ दिया। कंपनी के अनुसार, ग्रैंड i10 नियोस और क्रेटा मॉडल्स की सबसे अधिक मांग रही। एक डीलर ने बताया कि टैक्स कम होने की वजह से सुबह से ही शोरूम में भीड़ जुट गई थी। वहीं, टाटा मोटर्स ने पहली बार एक दिन में 10,000 से अधिक कारें डिलीवर कीं, जिनमें नेक्सॉन और पंच जैसे एसयूवी मॉडल्स प्रमुख थे। टाटा के एक प्रवक्ता ने कहा कि यह महज एक शुरुआत है और आने वाले दिनों में बिक्री और बढ़ेगी।
डिस्काउंट और बाजार के हालात क्या कहते हैं?
मार्केट इंटेलिजेंस फर्म जैटो डायनेमिक्स के विश्लेषण के मुताबिक, पिछले साल की तुलना में कंपनियां इस साल 10% अधिक छूट दे रही हैं। अगस्त महीने में गाड़ियों पर औसत इंसेंटिव 9.3% बढ़कर 45,391 रुपये हो गया, जो पिछले साल अगस्त में 41,514 रुपये था। हैचबैक गाड़ियों पर इंसेंटिव में 102% की भारी बढ़ोतरी देखी गई, जो इस सेगमेंट में बढ़ती प्रतिस्पर्धा को दर्शाता है। वहीं, सेडान, एसयूवी और एमपीवी पर इंसेंटिव में कमी आई है। कारोबारी दबाव भी एक कारण है, क्योंकि जनवरी से जून तक कुल 22 लाख वाहन बिके, जिनमें महज 1.4% की बढ़ोतरी हुई है और अगस्त में कंपनियों के पास 56 दिन का स्टॉक था, जबकि उद्योग के लिए 21 दिन का स्टॉक आदर्श माना जाता है।
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