किसानों और युवाओं ने विकास पर खोली अपनी बात, 2047 तक विकसित UP बनाने की तैयारी *XSAQ* #11
किसानों और युवाओं ने विकास पर खोली अपनी बात, 2047 तक विकसित UP बनाने की तैयारी
सारांश:
आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय में 'समर्थ UP-2047' संवाद कार्यक्रम आयोजित। कुलपति डॉ. बिजेंद्र सिंह और पूर्व आईएएस राजीव कपूर ने किसानों व युवाओं से शिक्षा, नवाचार और मार्केटिंग पर सुझाव मांगे। किसानों ने बीमारी-मुक्त फसलों और बेहतर दाम की मांग रखी।
कुमारगंज, अयोध्या।
आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के प्रेक्षागृह में बुधवार को ‘समर्थ उत्तर प्रदेश-विकसित उत्तर प्रदेश-2047’ अभियान के तहत एक संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बिजेंद्र सिंह ने की और मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व आईएएस अधिकारी राजीव कपूर मौजूद रहे। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में किसान, युवा छात्र-छात्राएं, शिक्षक और वैज्ञानिक शामिल हुए।
क्यों है 2047 का लक्ष्य?
मुख्य अतिथि राजीव कपूर ने कहा कि उत्तर प्रदेश आज भी कई मामलों में पीछे है और 2047 तक इसे विकसित प्रदेश बनाने के लिए आम जनता से बात करके नीतियां बनानी होंगी। उन्होंने बताया कि इस लक्ष्य का मुख्य उद्देश्य UP को विकसित भारत का अगुआ बनाना और प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर को आधुनिक विकास से जोड़ना है। इसके लिए शिक्षा, कौशल, नवाचार और निवेश को बढ़ावा देना होगा।
कृषि के भविष्य पर क्या कहा कुलपति ने?
कुलपति डॉ. बिजेंद्र सिंह ने कहा कि 22 साल बाद कृषि का परिदृश्य कैसा होगा, इस पर युवाओं और किसानों को विचार करना होगा। उन्होंने किसानों से साल में तीन फसलें लेने और पैदावार बढ़ाने के लिए बेहतर बीजों का चयन करने का आग्रह किया।
उन्होंने यह भी कहा कि जलवायु परिवर्तन को देखते हुए विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक नई प्रजातियां विकसित कर रहे हैं। युवाओं को रोजगार के पीछे भागने के बजाय कृषि में उद्योग शुरू करके रोजगार सृजित करने पर ध्यान देना चाहिए।
किसान और युवाओं ने क्या-क्या सुझाव दिए?
- किसान रंजीत नारायण तिवारी ने कहा कि वैज्ञानिकों को ऐसी बीमारी-मुक्त फसलों पर शोध करना चाहिए जिससे लोग लंबे समय तक स्वस्थ रह सकें। उन्होंने अनाज को सुरक्षित रखने के लिए बेहतर व्यवस्था की मांग की।
- छात्र सुजीत ने दूध की बढ़ती कीमत और कम प्रोटीन की समस्या उठाई। उन्होंने फसल उत्पादन के साथ-साथ मैनुफेक्चरिंग पर जोर देने की सलाह दी।
- मत्स्य पालन की एक छात्रा ने सुझाव दिया कि किसान मछली पालन के साथ फसल उगाकर अपनी आय दोगुनी कर सकते हैं, लेकिन ध्यान रखना होगा कि ऐसी फसल न लगाई जाए जिससे मछलियों को नुकसान हो।
- किसान राजबहादुर बर्मा ने कहा कि मक्का की अच्छी पैदावार के बावजूद उन्हें सही दाम नहीं मिला और नुकसान उठाना पड़ा। उन्होंने कहा कि मार्केटिंग की समस्या सबसे बड़ी है, जिसके कारण किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पाता।
कैसे दे सकते हैं आप अपना सुझाव?
मुख्य विकास अधिकारी ने बताया कि कृषि, पशुपालन, शिक्षा, स्वास्थ्य, आधारभूत संरचना और सुशासन जैसे 10 क्षेत्रों में सुझाव मांगे जा रहे हैं। कोई भी नागरिक ऑनलाइन पोर्टल या QR कोड स्कैन करके अपने सुझाव भेज सकता है।
विशेषज्ञों ने क्या सलाह दी?
पूर्व कृषि निदेशक ए.पी. श्रीवास्तव ने किसानों को सलाह दी कि उन्हें बाजार की जरूरतों के अनुसार ही उत्पादन करना चाहिए। उन्होंने बताया कि डाबर और पंतजलि जैसी कंपनियां किसानों का सामान खरीदने को तैयार हैं, लेकिन इसके लिए किसानों को पहले से बाजार का अध्ययन करना होगा।
उन्होंने किसानों से छोटे उपकरणों का फिर से इस्तेमाल शुरू करने की अपील की ताकि लागत कम हो सके।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. सीताराम मिश्रा और कुलपति के सचिव डॉ. जसवंत सिंह ने किया।
अंत में सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया गया।
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