अयोध्या के 'पप्पू भैया' राजा विमलेंद्र मिश्र का निधन, राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य थे *ETYU* #19

अयोध्या के 'पप्पू भैया' राजा विमलेंद्र मिश्र का निधन, राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य थे


सारांश: अयोध्या के राजवंश के मुखिया व राम जन्मभूमि ट्रस्ट सदस्य राजा विमलेंद्र प्रताप मोहन मिश्र 'पप्पू भैया' का शनिवार रात निधन हो गया। 71 वर्षीय मिश्र का रविवार दोपहर सरयू तट पर अंतिम संस्कार हुआ। वह राम मंदिर आंदोलन से जुड़े एक प्रमुख चेहरे थे।

अयोध्या। अयोध्या के राज परिवार के मुखिया और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य राजा विमलेंद्र प्रताप मोहन मिश्र का निधन हो गया है। लोकप्रिय रूप से 'पप्पू भैया' के नाम से पहचाने जाने वाले मिश्र का शनिवार देर रात उनके आवास राज सदन में निधन हुआ। वह 71 वर्ष के थे। उनके निधन की खबर से पूरी अयोध्या शोक में डूब गई है।

कौन थे राजा विमलेंद्र प्रताप मोहन मिश्र?


वह अयोध्या की राजशाही विरासत के वर्तमान प्रतिनिधि और जनता के बीच अत्यधिक सम्मानित 'राजा साहब' थे। उनके व्यक्तित्व में शाही गरिमा और सादगी का दुर्लभ संगम था। समाजसेवा के प्रति उनके समर्पण ने उन्हें आम जनता का चहेता बना दिया था। वह अयोध्या रामायण मेला संरक्षक समिति के सदस्य और उत्तर प्रदेश सरकार की 'हेरिटेज योजना' की कार्यकारिणी का भी हिस्सा थे।

राम मंदिर आंदोलन में थी अहम भूमिका
राजा मिश्र का राम जन्मभूमि आंदोलन से गहरा नाता रहा। ऐसा माना जाता है कि बाबरी ढांचे के विध्वंस के बाद रामलला की मूर्ति उनके घर से ही भेजी गई थी। भारत सरकार द्वारा उन्हें श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का सदस्य नियुक्त किया गया था, जहाँ उन्होंने मंदिर निर्माण प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभाई। यह नियुक्ति अयोध्या के राजवंश की ऐतिहासिक विरासत को और मजबूती प्रदान करने वाली थी।

समाजसेवा और संस्कृति के थे रक्षक


पप्पू भैया के नाम से मशहूर विमलेंद्र मिश्र सिर्फ एक शाही परिवार के वारिस ही नहीं, बल्कि एक dedicated समाजसेवी और सांस्कृतिक संरक्षक भी थे। डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने अयोध्या में रामायण मेला जैसी सांस्कृतिक गतिविधियों को प्रोत्साहन दिया। उनके प्रयासों ने अयोध्या की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को बचाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

अंतिम दर्शन और अंतिम यात्रा
उनके निधन की खबर से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। उनके अनगिनत शुभचिंतक और स्थानीय निवासी अंतिम दर्शन के लिए राज सदन पहुंचे। उनका अंतिम संस्कार रविवार को दोपहर 12 बजे पवित्र सरयू नदी के तट पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ संपन्न हुआ, जहाँ हजारों लोगों ने उन्हें अंतिम विदाई दी। उनका जाना अयोध्या की शाही और आध्यात्मिक विरासत के एक युग का अंत माना जा रहा है।

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