तियानजिन (चीन): मोदी–जिनपिंग 50 मिनट मिले; BRICS-2026 का निमंत्रण, आतंकवाद पर साथ माँगा, सीमा-व्यापार में नरमी के संकेत *QAZF* 47

तियानजिन (चीन): मोदी–जिनपिंग 50 मिनट मिले; BRICS-2026 का निमंत्रण, आतंकवाद पर साथ माँगा, सीमा-व्यापार में नरमी के संकेत


सारांश: 31 अगस्त 2025 को तियानजिन में पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की 50 मिनट मुलाकात हुई। मोदी ने आतंकवाद पर चीन का साथ माँगा और BRICS-2026 के लिए निमंत्रण दिया। गलवान बाद संबंधों में नरमी दिखी, पर LAC और ब्रह्मपुत्र जैसे विवाद बरकरार।


चलिए समझते हैं पूरा घटनाक्रम

सात साल बाद चीन पहुँचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 अगस्त को तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट से पहले चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। करीब 50 मिनट चली इस द्विपक्षीय बातचीत में मोदी ने आतंकवाद को वैश्विक चुनौती बताते हुए चीन से सहयोग माँगा और 2026 में भारत में होने वाले BRICS शिखर सम्मेलन के लिए जिनपिंग को औपचारिक न्योता दिया।
समिट के आधिकारिक स्वागत समारोह और ग्रुप फोटो में मोदी के साथ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी दिखे। यह चीन यात्रा जून 2020 की गलवान झड़प के बाद मोदी का पहला दौरा है। पीएम का पुतिन से द्विपक्षीय मिलन सोमवार, 1 सितंबर को निर्धारित है।


मोदी–जिनपिंग बातचीत: 5 प्रमुख बातें

विदेश सचिव विक्रम मिसरी के अनुसार, यह एक साल में दोनों नेताओं की दूसरी मुलाकात है (पहली अक्टूबर 2024, कज़ान में)। मुख्य बिंदु—

  1. साझेदारी पर जोर: दोनों ने कहा कि भारत और चीन प्रतिद्वंद्वी नहीं, साझेदार हैं; 2.8 अरब लोगों को इसका लाभ होगा।
  2. सीमा पर शांति: सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने पर सहमति; पिछले वर्ष हुए समझौतों की सराहना।
  3. जिनपिंग के 4 सुझाव: कूटनीतिक संवाद बढ़ाना, आपसी भरोसा मजबूत करना, आदान-प्रदान व सहयोग बढ़ाना, एक-दूसरे की चिंताओं का सम्मान और वैश्विक मंचों पर साझा हितों की रक्षा।
  4. लंबित मसले: सीमा विवाद का समाधान आपसी सम्मान और हित देखते हुए; व्यापार संतुलन, लोगों-के-बीच संपर्क, सीमा पार नदियों (ब्रह्मपुत्र) पर सहयोग और आतंकवाद-रोधी साझेदारी पर चर्चा।
  5. BRICS-2026: पीएम मोदी ने शी जिनपिंग को भारत में BRICS शिखर सम्मेलन में आने का निमंत्रण दिया; चीन ने समर्थन जताया।

बैठक में शी जिनपिंग ने कहा कि “ड्रैगन और हाथी साथ आएँ”, जबकि मोदी ने दोहराया कि सीमा पर सैनिकों की वापसी से शांति का माहौल बना है और सहयोग मानवता के हित में है।


जहाँ नरमी दिखी: सहमतियाँ और बहाली

  • डिसएंगेजमेंट के बाद आगे की बातचीत: अक्टूबर 2024 के समझौते के बाद गलवान और देपसांग जैसे संवेदनशील इलाकों से सैनिक पीछे हटे; अब पूर्वी व मध्य सेक्टर पर बातचीत जारी।
  • कनेक्टिविटी व व्यापार की राह: पाँच साल बाद भारत-चीन सीधी उड़ानें फिर शुरू; नाथू ला दर्रे से बॉर्डर ट्रेड पर पुनः बातचीत।
  • सप्लाई और संसाधन: चीन ने भारत को रेयर अर्थ मिनरल्स, खाद-मशीनरी सप्लाई का भरोसा दिया।
  • लोग-से-लोग संपर्क: कैलाश मानसरोवर यात्रा बहाल; पत्रकारों और पर्यटकों के लिए वीज़ा नियम आसान; ब्रह्मपुत्र डेटा-शेयरिंग दोबारा शुरू।
  • बहुपक्षीय तालमेल: SCO और BRICS में मल्टी-पोलर विश्व व्यवस्था के समर्थन पर साथ।

जहाँ रिश्ते अभी अटके

  • LAC का स्थायी समाधान अब भी लंबित।
  • ब्रह्मपुत्र पर बड़े डैम को लेकर भारत की चिंता जारी।
  • चीन-पाकिस्तान निकटता और क्वाड में भारत—अविश्वास का कारण।
  • 2020 के बाद प्रतिबंध: कई चीनी ऐप/कंपनियों पर भारतीय रोक और व्यापार घाटा बढ़ता मसला।

SCO समिट क्यों खास माना जा रहा

  1. गलवान के बाद मोदी का पहला चीन दौरा—दुनिया की नज़र।
  2. उच्च अमेरिकी टैरिफ का साया: रिपोर्ट्स के मुताबिक ट्रम्प प्रशासन द्वारा भारत (50%), चीन (30%), कज़ाकिस्तान (25%) पर उच्च टैरिफ के बीच समिट।
  3. वैकल्पिक वैश्विक व्यवस्था का संदेश: विश्लेषणों के मुताबिक बीजिंग अमेरिका-नेतृत्व वाले ऑर्डर के विकल्प की पटकथा दिखाना चाहता है।
  4. भारत का एजेंडा—आतंकवाद: पहलगाम (मई 2025) हमले के संदर्भ में कड़ा रुख; व्यापक समर्थन जुटाने की कोशिश।
  5. 20+ देशों की भागीदारी: सदस्य, ऑब्ज़र्वर और पार्टनर देशों की व्यापक मौजूदगी।
  6. द्विपक्षीय नरमी के संकेत: उड़ानें, बॉर्डर ट्रेड, मानसरोवर यात्रा बहाली जैसे कदम।

दिन भर की प्रमुख द्विपक्षीय मुलाकातें

  • कज़ाख़िस्तान: राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट तोकायेव से ऊर्जा, सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवा और फ़ार्मा सहयोग पर चर्चा।
  • मिस्र: पीएम मुस्तफ़ा मदबौली से मुलाकात; हालिया भारत-मिस्र निकटता पर बातचीत।
  • बेलारूस: राष्ट्रपति अलेक्ज़ेंडर लुकाशेंको से भविष्य के अवसरों पर चर्चा।
  • नेपाल: पीएम के.पी. शर्मा ओली से मुलाकात; अलग से, ओली ने शी जिनपिंग से लिपुलेख ट्रेड रूट पर आपत्ति उठाई—भारत इसे असंगत दावा मानता है।
  • मालदीव: राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू से विकासात्मक सहयोग पर बातचीत।
  • म्यांमार: सैन्य शासक जनरल मिन आंग हलिंग से सीमा प्रबंधन, सुरक्षा, विकास साझेदारी और निष्पक्ष चुनाव की उम्मीद पर चर्चा।
  • कम्युनिस्ट पार्टी नेतृत्व: पीएम ने CPC सचिवालय के सचिव कै क्यू से भी भेंट की।
  • रूस (आगे): व्लादिमीर पुतिन से 1 सितंबर को मुलाकात प्रस्तावित; पुतिन 3 डिप्टी पीएम और 12 मंत्रियों के साथ तियानजिन पहुँचे, 3 सितंबर को बीजिंग की सैन्य परेड में भी शामिल होंगे।

आधिकारिक संदेश और प्रतिक्रियाएँ

  • MEA का वक्तव्य: प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा—भारत-चीन के अच्छे संबंध हमारी आर्थिक वृद्धि और विश्व के लिए अहम हैं; कज़ान बैठक की प्रगति पर भी चर्चा हुई।
  • शी जिनपिंग के कथन: “दुनिया सौ वर्षों में होने वाले बड़े बदलावों से गुजर रही—हालात जटिल हैं।” भारत-चीन को अच्छे पड़ोसी और एक-दूसरे की सफलता में सहायक मित्र बनने पर बल।
  • पूर्व राजनयिक की राय: वीना सीकरी के अनुसार, बैठक में “ऑपरेशन सिंदूर” जैसे प्रकरण दोहराए न जाएँ—इस प्रकार की प्रतिबद्धता पर चर्चा हुई। (यह उनका मत है।)
  • विश्व मीडिया कवरेज: रिपोर्ट्स के मुताबिक CNN ने “रेड कार्पेट वेलकम” का ज़िक्र किया, NYT ने इसे जिनपिंग द्वारा शक्ति प्रदर्शन की कोशिश बताया।

समिट की जगमगाहट और कूटनीतिक हलचलें

  • ग्रुप फोटो और रिसेप्शन: तियानजिन में हुए आधिकारिक स्वागत समारोह में सभी नेता शामिल; तस्वीरों में मोदी के साथ पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीिफ भी दिखे।
  • अन्य अपडेट: शी जिनपिंग ने अज़रबैजान की SCO सदस्यता का समर्थन किया; तुर्किये के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगन चीन पहुँचे; चीन-बेलारूस के बीच भी द्विपक्षीय वार्ताएँ जारी रहीं।
  • इंडोनेशिया का विकास: राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो समिट में नहीं पहुँचे; देश में विरोध प्रदर्शनों के बीच मकासर में क्षेत्रीय संसद भवन में आग लगने की घटना में 3 मौत, 5 घायल होने की सूचना आई।

पृष्ठभूमि: 2020 के बाद की राह, 2025 का मोड़

गलवान झड़प के बाद संबंधों में तनाव रहा। 2024-25 में चरणबद्ध डिसएंगेजमेंट, उड़ानों की बहाली, डेटा-शेयरिंग और तीर्थ/पर्यटन में ढील जैसे कदमों ने नरमी के संकेत दिए हैं। फिर भी LAC निर्धारण, ब्रह्मपुत्र परियोजनाएँ, चीन-पाक साझेदारी और व्यापार असंतुलन जैसे मुद्दे विश्वास की बहाली के रास्ते में चुनौती बने हुए हैं।
तियानजिन समिट और मोदी–जिनपिंग मुलाकात ने संकेत दिया है कि दोनों देश संवाद बनाए रखते हुए संवेदनशील मसलों पर क्रमिक प्रगति चाहते हैं—पर स्थायी समाधान में अभी वक्त लग सकता है।

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