अयोध्या: सपा सांसद ने बताया पीडीए का नया अर्थ - अब पीड़ित, दुखी और अगड़े भी शामिल #13 *OOO*
सारांश:
फैजाबाद सांसद अवधेश प्रसाद ने मिल्कीपुर में आयोजित कार्यक्रम में सपा के पीडीए फॉर्मूले को नया अर्थ दिया। उन्होंने कहा कि पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक के साथ हर पीड़ित, दुखी और अगड़ा वर्ग इसमें शामिल है। विपक्ष पर भ्रम फैलाने व बीजेपी पर संविधान से छेड़छाड़ का आरोप लगाया। 2027 विधानसभा चुनाव में जनता के साथ की उम्मीद जताई। इससे पहले अखिलेश यादव ने पीडीए की नए तरीके से व्याख्या की है ।
पीडीए फॉर्मूले को मिला नया विस्तार
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और फैजाबाद सांसद अवधेश प्रसाद ने मिल्कीपुर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान पार्टी के पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फॉर्मूले की नई व्याख्या पेश की। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह फॉर्मूला अब केवल तीन वर्गों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें समाज के सभी पीड़ित, दुखी और अगड़ा वर्ग भी शामिल हैं। उनका कहना था, "पीडीए सामाजिक न्याय का प्रतीक है, जो हर उत्पीड़ित व्यक्ति को न्याय दिलाने के लिए सड़क से संसद तक लड़ेगा।"
विपक्ष पर सीधा निशाना
सांसद प्रसाद ने विपक्षी दलों पर पीडीए के मतलब को गलत ढंग से पेश करने का आरोप लगाया। उनके अनुसार, "विपक्ष जानबूझकर भ्रम फैला रहा है, लेकिन जनता अब सच्चाई समझ चुकी है।" इसके साथ ही उन्होंने बीजेपी सरकार पर संविधान के साथ छेड़छाड़ और सामाजिक एकता को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए कहा, "हम बाबासाहेब आंबेडकर के संविधान की रक्षा के लिए हर कुर्बानी देने को तैयार हैं।"
2027 चुनाव को लेकर क्या है रणनीति?
कार्यक्रम के दौरान सांसद ने 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों की तैयारियों पर भी चर्चा की। उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे पीडीए के नए अर्थ को जन-जन तक पहुंचाएं और लोगों को समझाएं कि सपा हर वर्ग की आवाज है। प्रसाद ने विश्वास जताया कि "2027 में जनता पार्टी के साथ मजबूती से खड़ी होगी।"
क्यों मायने रखता है ये बदलाव?
अवधेश प्रसाद का यह बयान उस रणनीति का हिस्सा लगता है जो सपा को पारंपरिक वोट बैंक से आगे ले जाने का लक्ष्य रखती है। पीडीए फॉर्मूले के दायरे को अगड़ा वर्ग तक विस्तारित करने से पार्टी एक व्यापक सामाजिक गठजोड़ बनाने की कोशिश कर रही है। यह कदम 2027 चुनाव से पहले सपा की 'सबका साथ' वाली छवि को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
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