महाराष्ट्र: मुंबई में हिंदी बनाम मराठी की जंग - उद्धव और राज ठाकरे एकजुट #8 *OO*

सारांश:

मुंबई के वर्ली में "आवाज मराठिचा" रैली में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे 20 साल बाद एक मंच पर आए। हिंदी को तीसरी भाषा बनाने के सरकारी फैसले का विरोध किया, जो बाद में वापस लिया गया था। भाजपा पर मराठी को दबाने का आरोप, गठबंधन के संकेत। बिहार चुनाव से पूर्व कांग्रेस जातिगत मुद्दे उठा रही, वहीं महाराष्ट्र में भाषा की लड़ाई शुरू है।



दो दशकों बाद ठाकरे परिवार का संगम

मुंबई के वर्ली में एनएससीआई डोम पर आयोजित "आवाज मराठिचा" रैली ने इतिहास रच दिया। शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) नेता राज ठाकरे, जो पिछले 20 साल से राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी रहे, एक साथ नजर आए। यह पहला मौका था जब 2005 में अलग होने के बाद दोनों ने एक मंच साझा किया। रैली का मकसद महाराष्ट्र सरकार के उस फैसले का विरोध था, जिसमें प्राथमिक स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने की बात थी। भारी विरोध के बाद सरकार ने यह निर्णय वापस ले लिया।

हिंदी बनाम मराठी विवाद क्या है?

उद्धव ठाकरे ने रैली में कहा, "हम हिंदी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन मराठी को कमजोर करने की साजिश बर्दाश्त नहीं होगी।" राज ठाकरे ने भी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, "मराठा साम्राज्य ने देश के बड़े हिस्से पर राज किया, पर कभी अपनी भाषा नहीं थोपी। हिंदी को जबरदस्ती लादना गलत है।" दोनों नेताओं ने भाजपा नीत सरकार पर मराठी पहचान को दबाने का आरोप लगाया।

गठबंधन की ओर बढ़ते कदम

रैली में उद्धव ने संकेत दिया कि यह एकता केवल एक दिन की नहीं है। उन्होंने कहा, "हम साथ आए हैं और साथ रहेंगे।" राज ठाकरे ने भी इसे दोहराया और मजाकिया अंदाज में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को इसका श्रेय दिया, "20 साल बाद उद्धव और मैं एक हुए, यह फडणवीस ने कर दिखाया।" दोनों के बयानों से साफ है कि भविष्य में राजनीतिक गठबंधन की संभावना बन रही है।

मराठी अस्मिता का जोरदार प्रदर्शन

रैली में शिवसेना (यूबीटी) और एमएनएस कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ उमड़ी। इसे मराठी अस्मिता की मजबूती का प्रतीक बताया गया। शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा, "ठाकरे परिवार के दो बड़े चेहरों का एक मंच पर आना महाराष्ट्र के लिए उत्सव जैसा है।" समर्थकों का उत्साह इस बात का सबूत था कि यह मुद्दा लोगों के दिलों को छू गया।

सरकार पर सीधा हमला

उद्धव ठाकरे ने केंद्र और राज्य सरकार को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, "मुंबई से बड़े संस्थान गुजरात ले जाए गए, महाराष्ट्र को कमजोर करने की कोशिश हो रही है। पिछले 11 साल में सरकार ने क्या किया?" यह सवाल उठाकर उन्होंने भाजपा की नीतियों पर सवाल खड़े किए।

आगे क्या होगा?

दोनों नेताओं ने भविष्य की योजना का संकेत दिया। उद्धव ने कहा, "हम मुंबई नगर निगम और महाराष्ट्र में साथ मिलकर सत्ता हासिल करेंगे।" राज ठाकरे ने भी मराठी हितों के लिए एकजुट रहने की बात कही। यह रैली महाराष्ट्र की राजनीति में नया मोड़ ला सकती है। आने वाले दिन बताएंगे कि यह एकता कितनी मजबूत साबित होती है।


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