ICMR ने दी चेतावनी - भारत में नमक का अत्यधिक सेवन: उच्च रक्तचाप, हार्ट स्ट्रोक और गुर्दा रोगों का खतरा #3 *GHW*
सारांश:
15 जुलाई 2025 को पीबी शब्द ने ट्वीट कर बताया - ICMR वैज्ञानियों ने चेतावनी दी है कि भारत में नमक का सेवन खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है, जो उच्च रक्तचाप, स्ट्रोक और गुर्दे रोगों का कारण बन रहा है। WHO के अनुसार, 1.9 मिलियन मौतें सालाना होती हैं। पंजाब-तेलंगाना में नमक कम करने की परियोजना शुरू। अध्ययन बताते हैं कि भारत में लोगों का औसत नमक सेवन 10.78 ग्राम प्रतिदिन है, जो WHO की सलाह दिए गए 5 ग्राम प्रतिदिन से दोगुना है।
नमक का बढ़ता खतरा: भारत में स्वास्थ्य के लिए चिंता का विषय
आज, 15 जुलाई 2025 को पीबी शब्द ने ट्वीट कर बताया की भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के वैज्ञानियों ने एक गंभीर चेतावनी जारी की है। उनका कहना है कि भारत में नमक का अत्यधिक सेवन अब एक "साइलेंट किलर" बन गया है। यह नमक का बढ़ता सेवन उच्च रक्तचाप, स्ट्रोक, हृदय रोग और गुर्दे की बीमारियों को जन्म दे रहा है। यह खबर लोगों के लिए चिंता का विषय है, खासकर जब हम अपने दैनिक भोजन में नमक का इस्तेमाल बिना सोचे-विचारे करते हैं।
क्या कहते हैं आंकड़े?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हर साल लगभग 1.9 मिलियन लोग अत्यधिक नमक के सेवन से होने वाली बीमारियों की वजह से दम तोड़ देते हैं। ICMR के अध्ययन बताते हैं कि भारत में लोगों का औसत नमक सेवन 10.78 ग्राम प्रतिदिन है, जो WHO की सलाह दिए गए 5 ग्राम प्रतिदिन से दोगुना है। शहरी क्षेत्रों में यह आंकड़ा और भी चिंताजनक है, जहां नमक का सेवन लगभग दोगुना पाया गया है।
नमक और बीमारियों का गहरा रिश्ता
अत्यधिक नमक का सेवन शरीर में सोडियम की मात्रा को बढ़ाता है, जो रक्तचाप को नियंत्रित करने में बाधा डालता है। इससे उच्च रक्तचाप की समस्या शुरू होती है, जो धीरे-धीरे स्ट्रोक और हृदय रोगों का कारण बनती है। राष्ट्रीय किडनी फाउंडेशन की रिपोर्ट के मुताबिक, यह समस्या गुर्दों को भी नुकसान पहुंचाती है, क्योंकि उच्च रक्तचाप से गुर्दों की रक्त वाहिकाएं सिकुड़ती हैं, जिससे उनकी कार्यक्षमता कम होती जाती है।
ICMR की नई पहल: नमक कम करने की योजना
ICMR की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी (NIE) ने इस समस्या से निपटने के लिए एक तीन साल की परियोजना शुरू की है। यह परियोजना पंजाब और तेलंगाना में लागू हो रही है। इसके तहत स्वास्थ्य कार्यकर्ता हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स के जरिए लोगों को नमक कम करने की सलाह दे रहे हैं। खास तौर पर उन लोगों को निशाना बनाया जा रहा है, जो पहले से उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं। इस परियोजना का पहला साल बेसलाइन मूल्यांकन पर केंद्रित है, ताकि सही आंकड़े जुटाए जा सकें।
कम सोडियम नमक: एक समाधान या चुनौती?
ICMR के अध्ययन में पाया गया कि कम सोडियम वाले नमक, जिसमें पोटैशियम या मैग्नीशियम मिलाया जाता है, रक्तचाप को औसतन 7/4 mmHg तक कम कर सकता है। हालांकि, चेन्नई में हुए एक बाजार सर्वेक्षण से पता चला कि यह नमक सिर्फ 28% दुकानों पर उपलब्ध है और इसकी कीमत सामान्य नमक से दोगुनी है। इससे साफ है कि जागरूकता और पहुंच में कमी है, खासकर निम्न आय वर्ग के लिए यह विकल्प महंगा पड़ रहा है।
क्या करें आम लोग?
- प्राकृतिक मसालों का इस्तेमाल: लहसुन, नींबू और जड़ी-बूटियों से खाने का स्वाद बढ़ाएं, जो नमक के बिना भी सेहत के लिए फायदेमंद हैं।
- सॉस से सावधान रहें: सोया सॉस, केचप और सलाद ड्रेसिंग में छिपा नमक चेक करें।
- कैने फूड धोएं: डिब्बाबंद बीन्स या सब्जियों को धोने से अतिरिक्त नमक हटाया जा सकता है।
जागरूकता अभियान: #PinchForAChange
ICMR-NIE ने #PinchForAChange कैंपेन शुरू किया है, जो ट्विटर और लिंक्डइन पर लोगों को जागरूक करने के लिए चल रहा है। इस अभियान में इन्फोग्राफिक्स और आसान संदेशों के जरिए लोगों से नमक का सेवन कम करने की अपील की जा रही है। डॉ. शरण मुरली, अध्ययन के प्रमुख जांचकर्ता, का कहना है कि यह सिर्फ नमक कम करने का मसला नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय प्राथमिकता है।
निष्कर्ष: एक छोटा बदलाव, बड़ी राहत
नमक हमारे भोजन का अभिन्न हिस्सा है, लेकिन संतुलन जरूरी है। प्रोसेस्ड फूड और पैकेट बंद सामानों में छिपा नमक भी इस समस्या को बढ़ा रहा है। ICMR और WHO की सलाह है कि थोड़ा सावधानी बरतकर हम अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं। पंजाब और तेलंगाना में शुरू हुई परियोजना से उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इस दिशा में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेगा।
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