BREAKING गोरखपुर: महिला आरक्षियों की सुविधाओं में लापरवाही, IPS आनंद कुमार सस्पेंड #6 *SSS*


[सारांश:]
गोरखपुर की 26वीं बटालियन पीएसी में प्रशिक्षणरत महिला आरक्षियों की सुविधाओं में कमी पर डीजीपी राजीव कृष्ण की रिपोर्ट के आधार पर कमांडेंट IPS आनंद कुमार और प्लाटून कमांडर संजय राय को निलंबित किया गया। शिथिल पर्यवेक्षण और समस्याओं के समाधान में देरी के आरोप लगे। 57,121 नवनियुक्त आरक्षियों का प्रशिक्षण चल रहा है।



गोरखपुर में प्रशिक्षण केंद्र पर लापरवाही का मामला
उत्तर प्रदेश पुलिस प्रशिक्षण व्यवस्था में सुधार के लिए हमेशा चर्चा में रहती है, लेकिन गोरखपुर के 26वीं बटालियन पीएसी में प्रशिक्षणरत महिला आरक्षियों की मूलभूत सुविधाओं में कमी का मामला सामने आने से हड़कंप मच गया है। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राजीव कृष्ण की रिपोर्ट के आधार पर शासन ने सख्त कदम उठाया है। 26वीं बटालियन के कमांडेंट, वरिष्ठ IPS अधिकारी आनंद कुमार और प्लाटून कमांडर संजय राय को निलंबित कर दिया गया है।


क्या है पूरा मामला?

गोरखपुर स्थित 26वीं बटालियन पीएसी में नवनियुक्त महिला आरक्षियों को आधारभूत प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इन प्रशिक्षुओं ने प्रशिक्षण केंद्र में मूलभूत सुविधाओं, जैसे उचित आवास, स्वच्छता, और अन्य आवश्यक संसाधनों की कमी की शिकायत की थी। इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए डीजीपी राजीव कृष्ण ने जांच की और अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी। जांच में पाया गया कि कमांडेंट आनंद कुमार ने अपने पर्यवेक्षण कर्तव्यों में लापरवाही बरती, जिसके चलते महिला आरक्षियों की समस्याओं का समाधान नहीं हो सका। इसके अलावा, रिक्रूट ट्रेनिंग सेंटर (आरटीसी) के प्रभारी और प्लाटून कमांडर संजय राय भी समय पर समस्याओं का निराकरण न करने के दोषी पाए गए।

क्यों हुई निलंबन की कार्रवाई?

डीजीपी राजीव कृष्ण ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया कि कमांडेंट आनंद कुमार ने अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन करने में शिथिलता दिखाई। उनकी लापरवाही के कारण प्रशिक्षण केंद्र में महिला आरक्षियों को आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो सकीं। इसी तरह, संजय राय पर आरोप है कि उन्होंने प्रशिक्षुओं की शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया और समय पर समाधान नहीं किया। शासन ने इस मामले में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हुए दोनों अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।

प्रशिक्षण में कितने आरक्षी शामिल?

उत्तर प्रदेश पुलिस में हाल ही में 60,244 आरक्षी नागरिक पुलिस के पदों पर भर्ती हुई थी। इनमें से 56,676 आरक्षियों को नौ माह के आधारभूत प्रशिक्षण के लिए विभिन्न प्रशिक्षण केंद्रों पर भेजा गया है। इनमें 45,055 पुरुष और 11,621 महिला रिक्रूट शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, मृतक आश्रित श्रेणी में भर्ती हुए 445 अभ्यर्थी (284 पुरुष और 161 महिला) भी प्रशिक्षण ले रहे हैं। वर्तमान में 10 प्रशिक्षण संस्थानों और 102 जिला व पीएसी रीजनल ट्रेनिंग सेंटरों में कुल 57,121 नवनियुक्त आरक्षियों का प्रशिक्षण चल रहा है।

डीजीपी के निर्देश और सुधार के प्रयास

डीजीपी राजीव कृष्ण ने सभी प्रशिक्षण केंद्रों को प्रशिक्षुओं की सुविधाओं को सुनिश्चित करने के लिए पहले ही विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए थे। इनमें स्वच्छता, आवास, भोजन, और प्रशिक्षण के लिए आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता पर विशेष जोर दिया गया था। गोरखपुर के इस मामले ने इन निर्देशों के पालन में कमी को उजागर किया है, जिसके बाद शासन ने सख्त रुख अपनाया।

आगे की राह

यह कार्रवाई न केवल गोरखपुर के प्रशिक्षण केंद्र के लिए, बल्कि पूरे प्रदेश के प्रशिक्षण केंद्रों के लिए एक चेतावनी है। शासन और पुलिस विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि प्रशिक्षुओं की सुविधाओं और उनके कल्याण में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस घटना के बाद अन्य प्रशिक्षण केंद्रों में भी सुविधाओं की स्थिति की जांच तेज होने की संभावना है।

उत्तर प्रदेश पुलिस प्रशिक्षण प्रणाली में सुधार और पारदर्शिता लाने के लिए यह कदम एक मिसाल बन सकता है। महिला आरक्षियों की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए शासन ने यह संदेश दिया है कि प्रशिक्षण के दौरान सभी आरक्षियों को उचित सुविधाएं और सम्मान मिलना चाहिए।


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