यूपी में जातीय राजनीति सेट: अपना दल (एस) के 9 विधायक होंगे अलग, 'अपना मोर्चा' बनाया #6 *PPP*
सारांश:
लखनऊ में अपना दल (एस) के बागी नेताओं ने आज मंगलवार को 'अपना मोर्चा' बनाया। राष्ट्रीय जन सरदार पार्टी अध्यक्ष हेमंत चौधरी ने दावा किया कि 9 विधायक दिल्ली से हरी झंडी मिलते ही पार्टी छोड़ेंगे। अनुप्रिया पटेल पर पार्टी पर कब्जा और कुर्मी समाज से विश्वासघात का आरोप लगाया गया। 2027 चुनाव से पूर्व प्रदेश में जातिगत राजनीति गर्म हो रही है, हाल ही में इटावा घटना में सपा ने पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक (PDA) वोट बैंक जुटाने की कोशिश की थी।
कुर्मी राजनीति में भूकंप
लखनऊ प्रेस क्लब में हुई बैठक में अपना दल (एस) के विद्रोही नेताओं ने नया मोर्चा बनाने का ऐलान किया। इसके नेतृत्वकर्ता हेमंत चौधरी के अनुसार, दिल्ली से मंजूरी मिलते ही 9 विधायक पार्टी छोड़कर उनके साथ आ जाएंगे। यह कदम यूपी की कुर्मी राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है।
विधायक क्यों हैं नाराज?
सूत्रों के मुताबिक, विरोधी नेता दो प्रमुख बातों को लेकर आक्रोशित हैं:
- पार्टी में लोकतंत्र का अभाव: नेताओं का कहना है कि पार्टी अध्यक्ष की पूर्व अनुमति के बिना कोई भी निर्णय लेना संभव नहीं है।
- परिवारवाद पर आरोप: बागियों का दावा है कि पार्टी संस्थापकों के बजाय अब केवल एक परिवार के नियंत्रण में चल रही है।
जातीय समीकरणों पर प्रभाव
इस घटना के यूपी की जातीय राजनीति में दूरगामी परिणाम हो सकते हैं:
- PDA समीकरण: हाल ही में इटावा में सपा ने पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक (PDA) वोट बैंक जुटाने की कोशिश की थी।
- भाजपा की चुनौती: विरोधी नेता चाहते हैं कि भाजपा यह जांच करे कि कुर्मी/कमेरा समाज अब किसके साथ है।
- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: इससे पहले सपा ने भाजपा पर आरोप लगाया था कि वह केवल ठाकुर जाति को ही प्रशासनिक पद दे रही है।
आगे की रणनीति
'अपना मोर्चा' ने 2 जुलाई को लखनऊ के फरीदीनगर स्थित कुर्मी क्षत्रिय भवन में बैठक बुलाई है। इसमें निम्न बिंदु शामिल होंगे:
- आगामी पंचायत चुनावों में उतरने की तैयारी
- विधानसभा चुनाव 2027 के लिए रणनीति
- कुर्मी समाज को फिर से एनडीए के साथ जोड़ने का प्रयास
राजनीतिक विश्लेषण
विशेषज्ञों के अनुसार, यह विद्रोह यूपी की जातीय राजनीति में तीन प्रमुख प्रभाव डाल सकता है:
- कुर्मी वोट बैंक का बंटवारा
- 2027 चुनाव में गठबंधन राजनीति पर असर
- अनुप्रिया पटेल की केन्द्रीय मंत्री पद की स्थिति कमजोर
मोर्चा के समर्थक दावा करते हैं कि अपना दल (एस) के अधिकांश संस्थापक और ग्रामीण कार्यकर्ता अब उनके साथ आ गए हैं। अगले 48 घंटों में और नेताओं के शामिल होने की उम्मीद जताई जा रही है।
रिपोर्टिंग स्रोत: लखनऊ प्रेस क्लब में हुई बैठक में शामिल नेताओं और राजनीतिक विश्लेषकों के बयानों पर आधारित।
जो जो भी भाजपा का सहारा बना उसी की नैया डूब गई,अबकी बार अपना दल का पतंग फाड़ दिया गया,जिसकी आँखें न खुले उसे काला चश्मा ही पहने रहने की सलाह देना उचित होता है।।
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