गोंडा: 31 महीने बाद बृजभूषण-योगी मुलाकात, गिले-शिकवे दूर किए; आज बोले- CM ने बुलाया, तभी गया #4 *DLW*
[सारांश:] गोंडा के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने 31 महीने बाद 21 जुलाई 2025 को लखनऊ में सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। बृजभूषण ने कहा, सीएम ने बुलाया, तभी गया। मुलाकात में गिले-शिकवे दूर किए, कोई राजनीतिक चर्चा नहीं हुई। यह मुलाकात पूर्वांचल की राजनीति और 2027 चुनावों के लिए अहम मानी जा रही है।
लखनऊ में हुई अहम मुलाकात
उत्तर प्रदेश की सियासत में 21 जुलाई 2025 को एक बड़ा घटनाक्रम देखने को मिला, जब कैसरगंज के पूर्व सांसद और बीजेपी के कद्दावर नेता बृजभूषण शरण सिंह ने लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनके सरकारी आवास पर मुलाकात की। यह मुलाकात करीब 31 महीने बाद हुई, जिसने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी। बृजभूषण ने इसे शिष्टाचार भेंट बताया, लेकिन इसके पीछे गहरे राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं।
31 महीने बाद क्यों हुई मुलाकात?
बृजभूषण ने गोंडा के नंदिनी नगर स्पोर्ट्स स्टेडियम में 22 जुलाई 2025 को एक प्रतिभा सम्मान समारोह में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वह स्वयं सीएम से मिलने नहीं गए, बल्कि योगी आदित्यनाथ ने उन्हें बुलाया था। उन्होंने बताया, "मैंने ठान लिया था कि जब तक सीएम मुझे नहीं बुलाएंगे, मैं नहीं जाऊंगा। उनके बच्चों और अधिकारियों के जरिए संदेश मिला, तब मैं 31 महीने बाद मिलने गया।" यह मुलाकात करीब एक घंटे तक चली।
गिले-शिकवों को दूर करने की कोशिश
बृजभूषण ने स्पष्ट किया कि मुलाकात में कोई राजनीतिक चर्चा नहीं हुई। उन्होंने कहा, "मेरे और योगी जी के बीच 56 साल पुराना रिश्ता है। हमने आपसी गिले-शिकवे साझा किए। यह एक पारिवारिक मुलाकात थी।" उन्होंने यह भी बताया कि जनवरी 2023 में उन पर लगे एक बड़े आरोप के बाद से सीएम से उनकी बातचीत बंद थी। उस समय उन्होंने तय किया था कि वह अकेले अपनी लड़ाई लड़ेंगे।
क्या था 2023 का टर्निंग पॉइंट?
बृजभूषण ने जनवरी 2023 को अपने जीवन का टर्निंग पॉइंट बताया। इस दौरान उन पर महिला पहलवानों द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोप लगे थे, जिसके बाद उनकी सियासी सक्रियता पर असर पड़ा। उन्होंने कहा, "मैंने दिनकर जी की कविता से प्रेरणा ली थी कि विपत्ति में सूरमा नहीं डरते। मैंने तय किया था कि यह मेरी लड़ाई है, और मैं इसे अकेले लड़ूंगा।" इस घटना के बाद से वह योगी से नहीं मिले थे।
योगी-बृजभूषण के बीच पुरानी तल्खी
पिछले कुछ वर्षों से बृजभूषण और योगी आदित्यनाथ के बीच तल्खी की खबरें सामने आती रही हैं। बृजभूषण को पूर्वांचल में योगी के विरोधी चेहरे के रूप में देखा जाता रहा है। उन्होंने कई बार योगी सरकार की नीतियों, खासकर बुलडोजर नीति और नौकरशाही पर सवाल उठाए। 28 अक्टूबर 2022 को बाराबंकी में एक पॉडकास्ट में उन्होंने कहा था, "प्रदेश में विधायकों की हालत कमजोर हो गई है। काम करवाने के लिए डीएम के पैर छूने पड़ते हैं।" 10 जुलाई 2024 को गोंडा में उन्होंने बुलडोजर नीति का खुलकर विरोध किया था।
2019 में आखिरी बार दिखे थे एक मंच पर
बृजभूषण और योगी आखिरी बार 2019 के लोकसभा चुनाव में गोंडा की एक जनसभा में एक मंच पर नजर आए थे। इसके बाद जनवरी 2022 में बृजभूषण ने अपने जन्मदिन पर योगी को आमंत्रित करने के लिए उनसे मुलाकात की थी, लेकिन योगी उनके कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। इसके बाद दोनों के रिश्तों में ठंडापन साफ दिखाई दिया। 14 अक्टूबर 2022 को बृजभूषण ने उस समय सरकार की आलोचना की थी, जब बाढ़ के कारण उनके घर में पानी घुस गया था और उन्हें ट्रैक्टर से निकलना पड़ा था।
2027 के चुनावों के लिए अहम मुलाकात
सियासी जानकार इस मुलाकात को 2027 के विधानसभा चुनावों की रणनीति से जोड़कर देख रहे हैं। बृजभूषण का गोंडा, बलरामपुर, बहराइच और अयोध्या जैसे क्षेत्रों में मजबूत जनाधार है, खासकर राजपूत वोटरों के बीच। बीजेपी के लिए पूर्वांचल हमेशा से रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण रहा है। माना जा रहा है कि यह मुलाकात दोनों नेताओं के बीच की दूरी को कम कर सकती है और पार्टी को 2027 के चुनावों में फायदा पहुंचा सकती है।
राहुल गांधी पर भी साधा निशाना
मुलाकात के बाद बृजभूषण ने राहुल गांधी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, "राहुल गांधी को सनातन और मनुस्मृति से इतनी नफरत क्यों है? मैं उन्हें नंदिनी नगर में कथा में आने का न्योता देता हूं। मेरा दावा है कि हम उन्हें सनातनी बनाकर भेजेंगे।" उन्होंने बताया कि 2 से 7 जनवरी तक नंदिनी नगर में सद्गुरु रितेश्वर महाराज की कथा होगी, जिसमें रोजाना एक लाख लोग शामिल होंगे।
क्या बदलेगी पूर्वांचल की सियासत?
बृजभूषण की इस मुलाकात ने उत्तर प्रदेश की सियासत में नई चर्चाएं शुरू कर दी हैं। उनके बेटे प्रतीक भूषण गोंडा सदर से बीजेपी विधायक और करण भूषण कैसरगंज से सांसद हैं, जो नियमित रूप से योगी से मिलते रहते हैं। माना जा रहा है कि यह मुलाकात बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के इशारे पर हुई हो सकती है, ताकि पुराने नेताओं को फिर से जोड़ा जा सके। यह मुलाकात पूर्वांचल की सियासत और बीजेपी की रणनीति पर बड़ा असर डाल सकती है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें