अयोध्या : मंदबुद्धि राजितराम की ज़मीन गबन मामले में DM-SSP को SC आयोग का नोटिस, 9 पर जांच शुरू

सारांश:

बीकापुर, अयोध्या के मंदबुद्धि राजितराम (भाई) की बहन जितना ने शिकायत दर्ज कराई कि मार्च 2025 में रजिस्ट्री अधिकारी अमरनाथ सोनकर व अनिल कुमार सहित 9 लोगों ने सांठगांठ कर गाटा नंबर 466 की बेशकीमती ज़मीन बैनामा करवाई व ₹3,55,000 भी हड़पे। एनसीएससी ने DM-SSP को 15 दिन में कार्रवाई का नोटिस भेजा। एसडीएम दुबे के निर्देश पर कोतवाली पुलिस ने 2 आरोपियों को हिरासत में लेकर जांच शुरू की।



चलिए समझते हैं पूरा घटनाक्रम

अयोध्या जिले के बीकापुर थाना क्षेत्र के रहेट गांव में रहने वाले मंदबुद्धि युवक राजितराम की बहन जितना ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) में गंभीर शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के मुताबिक, विपक्षी लोगों ने राजितराम का फर्जी आधार कार्ड बनवाकर केनरा बैंक में खाता खोला और उसके नाम मौजूद गाटा नंबर 466 की बेशकीमती ज़मीन की रजिस्ट्री ग़ैरकानूनी तरीके से करवा ली।

कैसे हुआ धोखाधड़ी का खुलासा?

जितना ने बताया कि 26 मई 2025 को वह अपने मायके रहेट गांव आईं तब पता चला कि राजितराम के खाते से ₹3,55,000 आरटीजीएस के ज़रिए अनिल कुमार के खाते में ट्रांसफर किए गए। जांच में पाया गया कि यह लेनदेन 26 मार्च 2025 को किया गया था। जब जितना ने अनिल कुमार से इस बारे में पूछा तो उन्हें धमकी दी गई।

प्रशासन और आयोग ने क्या कार्रवाई शुरू की?

  • एसडीएम की त्वरित हरकत: उप जिलाधिकारी विकासधर दुबे ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कोतवाली पुलिस को जांच का आदेश दिया। शुक्रवार को पीड़ित राजितराम को तहसील बुलाकर स्थिति समझी गई।
  • पुलिस ने किया दबिश: एसडीएम के निर्देश पर कोतवाली पुलिस ने शनिवार को संदिग्ध अनिल कुमार सहित 2 लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की।
  • एनसीएससी का सख्त रुख: आयोग ने अयोध्या के डीएम और एसएसपी को नोटिस जारी कर 15 दिन के अंदर कार्रवाई रिपोर्ट और मुकदमा दर्ज करने का सबूत मांगा है। आरोपियों की सूची में रजिस्ट्री अधिकारी अमरनाथ सोनकर, उप निबंधक, दस्तावेज लेखक व अन्य शामिल हैं।

क्यों विशेष है यह मामला?

राजितराम बचपन से ही मानसिक रूप से अक्षम हैं। उनके माता-पिता का निधन हो चुका है और वह गाँव में माँगकर या मजदूरी करके जीवन यापन करते हैं। उन्हें अपनी ज़मीन का गाटा नंबर, रकबा या बैंक खाते की जानकारी तक नहीं है। विपक्षियों ने उनकी इस कमजोरी का फायदा उठाया।

अब तक क्या है स्थिति?

जितना ने पहले भी तहसीलदार बीकापुर के समक्ष अधिवक्ताओं राम सजीवन पाण्डेय, विनय प्रताप सिंह और प्रदीप पाण्डेय के माध्यम से आपत्ति दर्ज कराई थी, जो अभी विचाराधीन है। पुलिस अब रजिस्ट्री दस्तावेजों, बैंक लेनदेन और फर्जी आधार कार्ड के सबूत जुटा रही है। एनसीएससी का नोटिस इस मामले में प्रशासनिक जवाबदेही तय करेगा।

नोट: सभी आरोपों की जाँच पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा की जा रही है। आगे की कार्रवाई जाँच रिपोर्ट पर निर्भर करेगी।

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