अयोध्या: सीएचसी में डॉक्टर की शर्मनाक लापरवाही, सड़क किनारे साड़ी की ओट में हुआ प्रसव #9 *KHW*
सारांश:
शुक्रवार सुबह ग्राम बहरास निवासी राकेश की पत्नी राजकुमारी को प्रसव पीड़ा हुई। रुदौली सीएचसी में डॉ. अंजू जायसवाल ने बिना जांच किए खून की कमी बताकर उन्हें अयोध्या जिला अस्पताल रेफर किया, लेकिन एम्बुलेंस नहीं दी। सड़क पर तड़पती महिला का स्थानीय महिलाओं ने साड़ी की ओट में प्रसव कराया। जच्चा-बच्चा सुरक्षित। सीएमओ डॉ. सुशील कुमार ने डॉक्टर को हटाकर जांच शुरू की। सवाल उठता है कि क्या आम आदमी कीड़े मकोड़े की तरह तड़पने को मजबूर होगा या इतने लापरवाहियों की खबर आने के बाद स्वास्थ्य विभाग की आंखें खुलेंगी !
चलिए समझते हैं पूरा घटनाक्रम
शुक्रवार सुबह ग्राम बहरास के किसान राकेश कुमार की पत्नी राजकुमारी को प्रसव पीड़ा शुरू हुई। राकेश उन्हें सुबह 9 बजे रुदौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) ले गए। यहां से शुरू हुआ उनका संघर्षपूर्ण सफर आखिरकार सड़क किनारे साड़ी की ओट में नवजात के जन्म पर ही खत्म हुआ।
क्यों अस्पताल ने किया मना?
राकेश के मुताबिक, सीएचसी में तैनात महिला डॉक्टर अंजू जायसवाल ने राजकुमारी को बिना शारीरिक जांच किए सिर्फ खून की रिपोर्ट देखकर हीमोग्लोबिन कम बताया और उन्हें भर्ती करने से मना कर दिया। दोपहर 12:37 बजे उन्हें अयोध्या जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया, लेकिन एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं कराई गई।
सड़क पर कैसे बीता दो घंटे?
एम्बुलेंस न मिलने पर राकेश पत्नी को लेकर सड़क पर वाहन का इंतजार करने लगे। इस दौरान राजकुमारी धूप में करीब 1 घंटा 40 मिनट तक दर्द से छटपटाती रहीं। आखिरकार दोपहर 2:30 बजे परिवार उन्हें ऑटो में बैठाकर जिला अस्पताल ले जाने निकला। मगर सीएचसी से महज 500 मीटर आगे बढ़ने पर ही दोपहर 3:10 बजे प्रसव पीड़ा तेज हो गई।
स्थानीय महिलाओं ने कैसे बचाई जान?
खेतों में काम कर रही महिलाओं ने आवाज सुनकर मदद की। उन्होंने पेड़ की छांव में राजकुमारी को बैठाया और साड़ियों से ओट बनाकर सड़क किनारे ही प्रसव कराया। नवजात को संक्रमण से बचाने के लिए लकड़ी की बेंच पर लिटाया गया। करीब दो घंटे बाद जब माँ-बच्चे की हालत स्थिर हुई, तो परिवार उन्हें वापस सीएचसी ले गया, जहाँ दोनों को भर्ती किया गया।
पति का सीएचसी प्रशासन पर गंभीर आरोप
राकेश ने स्पष्ट किया, "डॉक्टर ने मेरी पत्नी को बिना देखे ही रेफर कर दिया। उन्होंने यह तक नहीं जाँचा कि प्रसव कितनी नजदीक है। एम्बुलेंस न मिलने से हमें सड़क पर ही बच्चे को जन्म देना पड़ा।" उनकी मांग है कि अब उनकी पत्नी और नवजात की उचित देखभाल की जाए।
ग्रामीणों में आक्रोश, उच्चस्तरीय जांच की मांग
स्थानीय निवासी रेखा देवी, जिन्होंने प्रसव में मदद की, ने कहा, "जब महिला की हालत गंभीर थी, तो उसे बिना एम्बुलेंस क्यों भेजा गया?" ग्रामीणों ने सीएचसी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए जांच की मांग की। उनका आरोप है कि यहाँ मामूली बीमारी पर भी मरीजों को रेफर कर दिया जाता है।
सीएमओ ने क्या कार्रवाई की?
सीएचसी प्रभारी डॉ. मदन बरनवाल ने दावा किया कि महिला को "खून की कमी" के कारण रेफर किया गया था, लेकिन एम्बुलेंस न मिलने का कारण नहीं बताया। वहीं, मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. सुशील कुमार बनियान ने घटना का संज्ञान लेते हुए तत्काल डॉ. अंजू जायसवाल को रुदौली सीएचसी से हटाकर मवई सीएचसी भेज दिया। साथ ही उनके खिलाफ जांच बैठाई गई है और उनकी जगह डॉ. रीना मिश्रा को रुदौली तैनात किया गया है।
नोट: खबर में दी गई जानकारी स्थानीय सूत्रों और आधिकारिक बयानों पर आधारित है। घटना की पूर्ण जांच चल रही है।
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