यूपी: पोस्टमार्टम अब 4 घंटे में, वीडियोग्राफी का पैसा नहीं लेंगे अस्पताल #9 *OOW*
सारांश:
उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग ने पोस्टमार्टम की नई गाइडलाइन जारी की। अब शव की जांच अधिकतम 4 घंटे में होगी और कानून व्यवस्था, एनकाउंटर या महिला मौतों की वीडियोग्राफी की जाएगी एवं उसका खर्च परिजनों से नहीं लिया जाएगा। पोस्टमार्टम रिपोर्ट ऑनलाइन जारी होगी व महिला डॉक्टर अनिवार्य होंगी।
चार घंटे में पोस्टमार्टम की कवायद
उत्तर प्रदेश में अब पोस्टमार्टम की प्रक्रिया तेज़ होगी। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के निर्देश पर शव की जांच अधिकतम चार घंटे में पूरी करनी होगी। यह कदम परिजनों के इंतजार और मानसिक पीड़ा को कम करने के लिए उठाया गया है। स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने इसकी गाइडलाइन जारी कर दी है। जिलों में अधिक शव आने पर सीएमओ दो या अधिक डॉक्टरों की टीम बनाएंगे।
वीडियोग्राफी का खर्च परिवार पर नहीं
कानून व्यवस्था, एनकाउंटर, पुलिस हिरासत में मौत, या शादी के 10 साल के भीतर महिला की मृत्यु जैसे मामलों में पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी अनिवार्य है। लेकिन अब इसका खर्च पीड़ित परिवार नहीं उठाएगा। शासन के मुताबिक, यह राशि रोगी कल्याण समिति या अन्य मदों से दी जाएगी। पैनल के तहत होने वाली हर जांच की वीडियोग्राफी ज़रूरी है।
रात में पोस्टमार्टम के ये हैं नियम
रात में पोस्टमार्टम कराने के लिए 1000 वॉट के कृत्रिम लाइट की व्यवस्था अनिवार्य होगी। हत्या, आत्महत्या, यौन अपराध, या संदिग्ध मौत के मामलों में रात में पोस्टमार्टम नहीं किया जाएगा। हालांकि, जिला मजिस्ट्रेट की अनुमति मिलने पर अपरिहार्य स्थितियों में रात में भी जांच हो सकती है। सभी जिलों में 24 घंटे पोस्टमार्टम सुविधा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी संसाधन जुटाए जाएंगे।
ऑनलाइन रिपोर्ट और शव वाहन की व्यवस्था
पोस्टमार्टम रिपोर्ट अब ऑनलाइन जारी की जाएगी। इसके लिए हर पोस्टमार्टम हाउस में एक कंप्यूटर ऑपरेटर और दो डाटा एंट्री ऑपरेटर तैनात किए जाएंगे। शव को अस्पताल से पोस्टमार्टम हाउस ले जाने के लिए हर जिले में दो शव वाहनों की व्यवस्था सीएमओ करेंगे। इससे शवों के देरी से पहुंचने की समस्या कम होगी।
महिला डॉक्टर की अनिवार्यता
महिला अपराध, बलात्कार या शादी के 10 साल के भीतर महिला की मौत की स्थिति में पोस्टमार्टम पैनल में महिला डॉक्टर शामिल करना ज़रूरी होगा। साथ ही, अज्ञात शवों की पहचान के लिए डीएनए सैंपलिंग की व्यवस्था भी लागू की जाएगी।
क्यों आई जरूरत?
यह फैसला कई जिलों में पोस्टमार्टम हाउसों में शवों के ढेर लगने और देरी से जांच की शिकायतों के बाद लिया गया। कानपुर, लखनऊ और वाराणसी जैसे शहरों में शवों की संख्या बढ़ने से गंध और स्वच्छता की समस्या पैदा हो रही थी। नई व्यवस्था से परिजनों को राहत मिलने की उम्मीद है।
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