अक्टूबर 2026 से शुरू होगी आजादी के बाद पहली जाति जनगणना: पहले चरण में हिमाचल, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख #5 *KJW*

सारांश: 

गृह मंत्रालय ने सोमवार को जाति जनगणना का नोटिफिकेशन जारी किया। पहला चरण 1 अक्टूबर 2026 से हिमाचल, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में शुरू होगा। शेष राज्यों में दूसरा चरण 1 मार्च 2027 से शुरू होगा। 30 अप्रैल 2025 को मंजूरी मिली इस जनगणना को, जो आजादी के बाद पहली बार होगी।



केंद्र ने जारी किया जनगणना नोटिफिकेशन

गृह मंत्रालय ने सोमवार को जाति जनगणना के लिए आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी कर दिया। इसके मुताबिक, जनगणना दो चरणों में होगी:

  • पहला चरण (1 अक्टूबर 2026 से): हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में शुरू होगा।
  • दूसरा चरण (1 मार्च 2027 से): देश के बाकी सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में चलेगा।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने स्पष्ट किया कि जाति जनगणना, मूल जनगणना के साथ ही आयोजित की जाएगी।

आजादी के बाद पहली बार होगी जाति गणना

30 अप्रैल 2025 को केंद्र सरकार ने जाति जनगणना को मंजूरी दी थी। यह 1947 के बाद देश की पहली जातिगत गणना होगी। बता दें कि नियमित जनगणना हर 10 साल में होती है, लेकिन कोविड-19 के कारण 2021 में होनी वाली गणना टल गई थी। पिछली जनगणना 2011 में हुई थी।

2011 की गणना के आंकड़े क्यों नहीं आए सामने?

2011 में मनमोहन सिंह सरकार ने सामाजिक-आर्थिक जातिगत जनगणना (SECC) करवाई थी, जिस पर 4,389 करोड़ रुपए खर्च हुए। इसे ग्रामीण विकास, शहरी विकास और गृह मंत्रालय ने मिलकर पूरा किया था। हालांकि, इसके जातिगत आंकड़े कभी सार्वजनिक नहीं किए गए। ग्रामीण विकास मंत्रालय की वेबसाइट पर केवल एससी/एसटी घरों के डेटा ही उपलब्ध हैं।

जनगणना फॉर्म में होंगे बड़े बदलाव?

  • 2011 तक जनगणना फॉर्म में सिर्फ 29 कॉलम थे, जिनमें नाम, पता, शिक्षा और रोजगार जैसे सवालों के साथ केवल एससी/एसटी की जानकारी दर्ज की जाती थी।
  • नई जाति जनगणना में अतिरिक्त कॉलम जोड़े जाएंगे, ताकि ओबीसी समुदायों का डेटा भी एकत्र किया जा सके।
  • इसके लिए जनगणना अधिनियम 1948 में संशोधन जरूरी है, क्योंकि मौजूदा कानून में सिर्फ एससी/एसटी गणना का प्रावधान है।

ओबीसी डेटा से क्या साफ होगा?

संशोधन के बाद ओबीसी की 2,650 जातियों के आंकड़े सामने आएंगे। 2011 की जनगणना के मुताबिक, देश में 1,270 एससी और 748 एसटी जातियां थीं। उस समय एससी आबादी 16.6% और एसटी आबादी 8.6% थी।

विपक्ष की मांगों का क्या रहा है सफर?

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, "1947 से अब तक जाति जनगणना नहीं हुई। कांग्रेस सरकारों ने हमेशा इसका विरोध किया। 2010 में मनमोहन सिंह ने कैबिनेट में इस पर चर्चा की थी, लेकिन फिर भी आंकड़े जारी नहीं किए गए।"

  • 1980 के दशक में क्षेत्रीय पार्टियों ने जाति के आधार पर आरक्षण की मांग उठाई। यूपी में बसपा नेता कांशीराम ने पहली बार जातियों की संख्या के हिसाब से आरक्षण की वकालत की।
  • 1990 में तत्कालीन पीएम वीपी सिंह ने मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू कीं, जिसके बाद ओबीसी को आरक्षण मिला।
  • 2010 में लालू प्रसाद यादव और मुलायम सिंह यादव जैसे ओबीसी नेताओं ने मनमोहन सरकार पर जाति जनगणना का दबाव बनाया था।

आगे क्या होगा?

जनगणना के आंकड़े सरकारी योजनाओं और आरक्षण नीतियों को डेटा-आधारित बनाने में मदद करेंगे। हालांकि, 2011 के अनुभव के बाद इस बार डेटा जारी करने में पारदर्शिता बरती जाएगी या नहीं, यह देखना अहम होगा।

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