अयोध्या: साथी जवान बचाते शहीद लेफ्टिनेंट शशांक की शवयात्रा, मां का सदमा – 'बेटे को कहां ले जा रहे', पिता ने दी मुखाग्नि #7 *OWY*
सारांश:
24 मई 2025 को अयोध्या के लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी (25), जिनकी सिक्किम में साथी जवान को बचाते हुए मौत हुई, का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार हुआ। पिता जंग बहादुर ने मुखाग्नि दी, हार्ट पेशेंट मां नीता को पहले शहादत की खबर नहीं दी गई थी। CM योगी ने 50 लाख आर्थिक सहायता और स्मारक बनाने की घोषणा की। हजारों लोगों ने "शशांक तिवारी अमर रहें" के नारे लगाए। सेना ने पिता को तिरंगा सौंपा, तो वे फफक कर रो पड़े।
चलिए समझते हैं पूरा घटनाक्रम
सेना ने दी अंतिम विदाई
शुक्रवार शाम स्पेशल फ्लाइट से अयोध्या पहुंचे लेफ्टिनेंट शशांक के पार्थिव शरीर को रविवार सुबह 11:30 बजे जमथरा घाट ले जाया गया। शवयात्रा के दौरान मां नीता तिवारी ने चीखते हुए कहा, "बेटे को कहां ले जा रहे?" सेना के जवानों और महिलाओं ने उन्हें संभाला। शव को तिरंगे में लपेटे देख बहन भावुक हो गईं।
साथी की जान बचाते शहीद हुए शशांक
23 मई को सिक्किम में ऑपरेशनल गश्त के दौरान एक अग्निवीर जवान तेज बहाव वाली नदी में गिर गया। लेफ्टिनेंट शशांक ने उसे बचाया, लेकिन खुद बहाव का शिकार हो गए। यह उनकी पहली पोस्टिंग थी, जहां 2024 में कमीशन मिलने के बाद तैनाती हुई थी।
परिवार की मुश्किलें और सरकारी मदद
पिता अमेरिका में, मां हृदय रोगी
शशांक घर के इकलौते बेटे थे, जिनकी शादी नहीं हुई थी। पिता जंग बहादुर मर्चेंट नेवी में अमेरिका में तैनात हैं, जबकि मां नीता की सेहत लगातार खराब रहती है। शव को पहले मिलिट्री हॉस्पिटल रखा गया ताकि मां को सदमा न लगे।
स्मारक और 50 लाख की सहायता
CM योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में शशांक के नाम पर स्मारक बनाने और परिवार को 50 लाख रुपये की आर्थिक मदद देने की घोषणा की।
अंतिम संस्कार में आंसू और सम्मान
जब सेना ने पिता को तिरंगा सौंपा, तो वे फफक कर रो पड़े। शवयात्रा में हजारों लोगों ने "शशांक तिवारी अमर रहें" के नारे लगाए। महिलाओं ने हाथ जोड़कर अंतिम प्रणाम किया, जबकि मंत्री सूर्य प्रताप शाही समेत कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।
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