भारत के नए मुख्य न्यायाधीश बने जस्टिस बीआर गवई: दूसरे दलित CJI, रिटायरमेंट के बाद राजनीति में जाने से किया इनकार #16 *J*

सारांश:

अमरावती (महाराष्ट्र) निवासी जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई आज भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेेंगे। वे देश के दूसरे दलित CJI बने हैं। 1985 से शुरू हुआ करियर, 23 नवंबर 2025 तक रहेंगे पद पर। नोटबंदी वैध व चुनावी बॉन्ड असंवैधानिक जैसे अहम मामलों में बेंच का भी हिस्सा रहे। बोले शुद्ध न्यायिक दृष्टिकोण बनाए रखेेंगे - रिटायरमेंट के बाद राजनीति में जाने से किया इनकार। इसके बाद जस्टिस सूर्यकांत 53वें CJI बन सकते हैं।



जस्टिस गवई ने ली भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश की शपथ

 14 मई 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज भूषण रामकृष्ण गवई को भारत के 52वें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) के रूप में शपथ दिलाई। वे निवर्तमान CJI संजीव खन्ना की जगह यह पदभार संभालेंगे, जिनका कार्यकाल 13 मई को पूरा हुआ।

जस्टिस गवई का कार्यकाल करीब सात महीनों का होगा। वे 23 नवंबर 2025 को सेवानिवृत्त होंगे।


चलिए समझते हैं पूरा घटनाक्रम

जस्टिस बीआर गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले में हुआ। उन्होंने 1985 में वकालत की शुरुआत की और बॉम्बे हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील स्व. राजा एस भोंसले के साथ काम किया। 1987 में स्वतंत्र प्रैक्टिस शुरू की और 1992 से 1993 तक नागपुर बेंच में सरकारी वकील भी रहे।

14 नवंबर 2003 को बॉम्बे हाईकोर्ट में एडिशनल जज बनाए गए और 12 नवंबर 2005 को परमानेंट जज बने। इसके बाद 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में प्रमोट किए गए थे।


देश के दूसरे दलित CJI

जस्टिस गवई देश के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश बने हैं। इससे पहले जस्टिस के.जी. बालाकृष्णन 2007 में भारत के पहले दलित CJI बने थे। जस्टिस गवई की नियुक्ति वरिष्ठता के आधार पर हुई है, और उनके बाद सूची में जस्टिस सूर्यकांत का नाम है, जो संभावना है कि 53वें CJI बन सकते हैं।


कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे

सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान जस्टिस गवई कई अहम और ऐतिहासिक फैसलों में शामिल रहे। उन्होंने केंद्र सरकार की नोटबंदी (2016) को वैध ठहराने वाले फैसले में योगदान दिया। साथ ही, चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित करने वाले बेंच का भी हिस्सा रहे।


अहमदाबाद में दिया था जनता के विश्वास को लेकर बयान

19 अक्टूबर 2024 को अहमदाबाद में एक न्यायिक सम्मेलन में जस्टिस गवई ने कहा था कि यदि न्यायपालिका पर जनता का भरोसा डगमगाया, तो लोग भीड़ का न्याय और भ्रष्टाचार जैसे रास्ते अपनाने लगेंगे। उन्होंने यह भी कहा था कि किसी जज द्वारा राजनेता या नौकरशाह की सार्वजनिक प्रशंसा, जनता के विश्वास को प्रभावित कर सकती है।

उनका यह भी मानना है कि न्यायपालिका की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए न्यायिक मर्यादा और ईमानदारी जरूरी स्तंभ हैं।


रिटायरमेंट के बाद राजनीति में जाने से किया इनकार

एक मीडिया बातचीत में जस्टिस गवई ने स्पष्ट किया कि वे रिटायरमेंट के बाद किसी राजनीतिक या संवैधानिक पद की जिम्मेदारी नहीं लेंगे।  उन्होंने कहा, “CJI पद पर रहते हुए व्यक्ति को शुद्ध न्यायिक दृष्टिकोण बनाए रखना चाहिए, और रिटायरमेंट के बाद भी किसी पद को स्वीकार करना ठीक नहीं है।”

उन्होंने यह भी कहा कि “अगर देश किसी गंभीर संकट में हो तो सुप्रीम कोर्ट खुद को अलग नहीं रख सकता।”


DBUP इंडिया

टिप्पणियाँ