उत्तर प्रदेश: शादीशुदा बेटियों को मिल सकता है कृषि भूमि में हिस्सा, योगी सरकार कर रही नियम में बदलाव की तैयारी #6 *OWE*
सारांश:
उत्तर प्रदेश सरकार शादीशुदा बेटियों को पिता की कृषि भूमि में हिस्सा देने की तैयारी कर रही है। राजस्व परिषद ने प्रस्ताव तैयार किया है, जिसे जल्द ही कैबिनेट में मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। अभी तक विवाहित बेटियों को कृषि भूमि में हिस्सा नहीं मिलता। राजस्थान और मध्यप्रदेश में पहले से यह प्रावधान लागू है। अगर यह प्रस्ताव कानून बना तो 2027 विधानसभा चुनाव से पहले महिला वोट बैंक को साधने की बड़ी कोशिश मानी जा सकती है। वकीलों की राय: बढ़ सकते हैं परिवारिक विवाद!
अब शादीशुदा बेटियों को भी मिल सकता है कृषि भूमि में हक
उत्तर प्रदेश में जल्द ही एक बड़ा सामाजिक और कानूनी बदलाव हो सकता है। राज्य सरकार शादीशुदा बेटियों को उनके पिता की कृषि भूमि में हिस्सा देने का रास्ता साफ करने जा रही है। फिलहाल, प्रदेश में राजस्व संहिता की धारा 108 के तहत केवल बेटा, पत्नी और अविवाहित बेटी ही कृषि भूमि के उत्तराधिकारी माने जाते हैं।
फिलहाल क्या है कानून की व्यवस्था
वर्तमान में यूपी में यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो उसकी कृषि भूमि में पहला अधिकार उसके बेटे और पत्नी का होता है। यदि बेटा नहीं है, तो अविवाहित बेटी को यह हक मिलता है। लेकिन शादीशुदा बेटी को केवल उसी स्थिति में हक मिलता है जब कोई अन्य उत्तराधिकारी न हो।
राजस्थान-मध्यप्रदेश में पहले से लागू है यह नियम
राजस्थान और मध्यप्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों में पहले से ही शादीशुदा बेटियों को पिता की कृषि भूमि में बराबर का अधिकार है। उत्तर प्रदेश में अब इसी तरह का कानून लाने की तैयारी है।
कैसे आगे बढ़ेगा प्रस्ताव
राजस्व परिषद ने इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर लिया है। अब यह विधि एवं न्याय विभाग, विधायी विभाग और वित्त विभाग से राय लेकर आगे बढ़ेगा। सभी अनुमतियां मिलने के बाद इसे योगी कैबिनेट में रखा जाएगा। कैबिनेट से पास होने के बाद विधानमंडल के दोनों सदनों में पारित किया जाएगा और अंत में राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून लागू होगा।
नियम लागू होने के बाद किन्हें होगा लाभ
यह नया नियम उसके बाद होने वाली मृत्यु की संपत्तियों पर लागू होगा, यानी यह नियम भविष्य की विरासतों पर लागू रहेगा। संभवतः इससे ऐसी विवाहित बेटियां लाभांवित होंगी, जो या तो विधवा हो गई हों या जिनका तलाक हो चुका हो, और जो वर्तमान में कृषि भूमि में अधिकार से वंचित हैं।
राजस्व परिषद की रिपोर्ट: विवाहित बेटियों की बढ़ती मांग
राजस्व परिषद को लगातार ऐसे मामले मिल रहे थे, जिनमें विवाहित बेटियों ने पिता की भूमि में हक की मांग की थी। लेकिन वर्तमान कानून के कारण अधिकारी चाहकर भी उन्हें राहत नहीं दे पाते थे। इसी को देखते हुए परिषद के अध्यक्ष अनिल कुमार ने नया मसौदा तैयार कराया है।
राजनीतिक समीकरण: महिला वोट बैंक साधने की कोशिश
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम 2027 विधानसभा चुनाव से पहले महिला वोट बैंक को मजबूत करने की दिशा में अहम साबित हो सकता है। सरकार ने पहले भी महिलाओं के नाम संपत्ति रजिस्ट्री पर स्टांप ड्यूटी में छूट देने जैसे कदम उठाए हैं।
राजस्व प्रशासन में बड़े बदलाव की तैयारी
राजस्व परिषद ने भूमि रजिस्ट्री को आसान और विवादमुक्त बनाने के लिए कुछ अहम प्रस्ताव तैयार किए हैं:
- स्टांप रजिस्ट्रेशन विभाग को भी राजस्व परिषद के अधीन लाने का प्रस्ताव
- रजिस्ट्री के साथ ही नामांतरण सीधे रिकॉर्ड में दर्ज हो सकेगा
- चकबंदी लेखपालों को भी राजस्व परिषद के अधीन लाने की तैयारी
इन सभी प्रयासों से जमीन विवादों की संख्या कम होने और प्रक्रियाओं में पारदर्शिता आने की संभावना है।
वकीलों की राय: बढ़ सकते हैं परिवारिक विवाद
बार एसोसिएशन का कहना है कि इससे भाई-बहन के रिश्तों में संपत्ति को लेकर विवाद बढ़ सकते हैं। अब तक विवाहिता बहनों को भूमि में हिस्सा न होने के कारण भाई अपनी बहनों को त्योहार और विवाह जैसे अवसरों पर दिल से सहयोग करता था। लेकिन कानून में बदलाव के बाद संपत्ति विवाद के मामले बढ़ सकते हैं।
फिलहाल योगी कैबिनेट के फैसले का इंतजार
राजस्व परिषद ने जो प्रस्ताव तैयार किया है, उसे सरकार की सैद्धांतिक सहमति पहले ही मिल चुकी है। अब देखना यह है कि योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट बैठक में इसे कब मंजूरी मिलती है। कानून बनने के बाद उत्तर प्रदेश की लाखों बेटियों के लिए यह अधिकारिक और सामाजिक रूप से बड़ा बदलाव साबित हो सकता है।
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