अयोध्या में गेहूं खरीद केंद्रों पर सन्नाटा, 17 मार्च से अब तक सिर्फ 2800 क्विंटल खरीद, किसान बोले – इंतजाम कमजोर #34 *OUEW*

सारांश :

17 मार्च से शुरू हुई खरीद में अयोध्या जिले के 64 केंद्रों पर सिर्फ 2800 क्विंटल गेहूं खरीदा गया। प्रशासन की मोबाइल वैन योजना भी अब तक धरातल पर नहीं। सवाल यह कि जब सरकारी सुविधा धरातल पर मौजूद ही नहीं तो फिर किसान इन सुविधाओं का लाभ लेंगे कैसे?



खरीद केंद्र चालू, लेकिन किसान नदारद

अयोध्या जिले में 17 मार्च से शुरू हुई रबी सीजन की गेहूं खरीद अभी तक बेहद धीमी गति से चल रही है। जिले के 64 अधिकृत क्रय केंद्रों पर अब तक सिर्फ 2800 क्विंटल गेहूं की ही खरीद हो सकी है, जबकि नवीन मंडी जैसे प्रमुख केंद्रों पर भी मात्र 25 क्विंटल ही खरीदा गया है।

मुख्य वजहें:

  • क्रय केंद्रों की अव्यवस्था और लचर प्रबंधन
  • किसानों का खेतों में कटाई-मड़ाई में व्यस्त रहना
  • तय समय पर मोबाइल वैन न चल पाना, जिसकी घोषणा प्रशासन ने पहले की थी

64 केंद्र, 282 टीमें, फिर भी रफ्तार धीमी

अधिकारिक जानकारी के अनुसार जिले में गेहूं खरीद हेतु:

  • 64 क्रय केंद्र स्थापित किए गए हैं
  • विपणन शाखा, पीसीएफ, पीसीयू, यूपीएसएम और भारतीय खाद्य निगम की निगरानी
  • सभी केंद्रों पर ई-पॉश मशीन, बोरा, तौल मशीन, झरना आदि की व्यवस्था

282 निगरानी टीमें भी चारों तहसीलों और 12 ब्लॉकों में सक्रिय हैं, लेकिन इनके प्रयासों का असर जमीन पर नजर नहीं आ रहा।


प्रशासन के दावे बनाम जमीनी हकीकत

दावा है कि "सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त हैं, किसान धीरे-धीरे आ रहे हैं, अब गेहूं की मलाई शुरू हो गई है, कुछ ही दिन में खरीद बढ़ेगी।"

हालांकि, गांव-गांव जाकर खरीद करने का जो वादा किया गया था, उसके तहत मिली जानकारी के अनुसार अभी तक एक भी मोबाइल वैन मुख्यालय से रवाना नहीं हुई है।


मंडलायुक्त की समीक्षा से बढ़ा दबाव

खरीद की स्थिति पर मंडलायुक्त गौरव दयाल अगले सप्ताह समीक्षा करेंगे।

  • पिछली बार धान खरीद में लापरवाही पर आठ विपणन अधिकारियों का एक दिन का वेतन काटा गया था
  • दो क्रय एजेंसियों को डिबार भी किया गया था

अब विपणन विभाग समीक्षा से पहले ही तनाव में नजर आ रहा है।


फसल तैयार, व्यापारी कर रहे दाम तय

गांवों में गेहूं की फसल पूरी तरह पक चुकी है और कटाई-मड़ाई जोरों पर है।
इसी बीच, निजी व्यापारी सरकारी दर (₹2125 प्रति क्विंटल) से अधिक दाम पर फसल खरीद रहे हैं, जिससे किसान सरकारी केंद्रों की बजाय प्राइवेट हाथों में बेचने को प्राथमिकता दे रहे हैं।


DBUP रिपोर्ट:
अगर खरीद की मौजूदा रफ्तार और किसानों की उदासीनता ऐसे ही रही, तो सरकार द्वारा तय लक्ष्य पूरे कर पाना मुश्किल होगा। अब निगाहें अप्रैल के दूसरे सप्ताह पर टिकी हैं, जब उम्मीद की जा रही है कि किसान बड़ी संख्या में केंद्रों की ओर रुख करेंगे।


DBUP, अयोध्या 

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