ANDUAT : जैविक खेती से बढ़ेगी किसानों की आय, पर्यावरण को भी लाभ: ICAR के पूर्व डीडीजी #3 (1)

अयोध्या | सारांश:

आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय में 21 दिवसीय टिकाऊ खेती प्रशिक्षण संपन्न। ICAR के पूर्व डीडीजी डॉ. एच.पी. सिंह ने जैविक कीटनाशकों व उर्वरकों के प्रयोग पर जोर दिया। आठ राज्यों से आए 25 वैज्ञानिकों ने भाग लिया। कुलपति डॉ. बिजेंद्र सिंह ने स्थानीय जैव उर्वरक विकसित करने और किसानों तक पहुंचाने की रणनीति बनाने पर बल दिया।



जैविक खेती से बढ़ेगी किसानों की आय, पर्यावरण को भी लाभ: ICAR के पूर्व डीडीजी

टिकाऊ खेती पर 21 दिवसीय प्रशिक्षण का समापन

आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में टिकाऊ खेती पर 21 दिवसीय शीतकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न हुआ। इसमें आठ राज्यों से 25 वैज्ञानिकों ने भाग लिया।

जैव उर्वरक और जैव कीटनाशकों के फायदे

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR), नई दिल्ली के पूर्व उप महानिदेशक डॉ. एच.पी. सिंह मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे। उन्होंने जैव कीटनाशकों के उपयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया। कहा कि जैविक कीटनाशक कीटों को नियंत्रित करने में प्रभावी और पर्यावरण के अनुकूल होते हैं। रासायनिक कीटनाशकों की तुलना में इनका दुष्प्रभाव कम होता है।

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी के पूर्व निदेशक डॉ. मथुरा राय ने कहा कि जैव उर्वरकों से न केवल कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी बल्कि किसानों की आय भी बढ़ेगी। इनका मानव स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता।


स्थानीय जैव उर्वरक विकसित करने पर जोर

विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बिजेंद्र सिंह ने स्थानीय स्तर पर जैव उर्वरक विकसित करने की आवश्यकता बताई। उन्होंने वैज्ञानिकों से कहा कि वे प्रवर्धित स्ट्रेन को जैव उर्वरक में परिवर्तित करने की तकनीक विकसित करें और इनका परीक्षण कर उनकी प्रभावशीलता का मूल्यांकन करें।

डिजिटल कृषि और कृषि पर्यटन की जानकारी

डॉ. सिंह ने डिजिटल कृषि और कृषि पर्यटन को टिकाऊ खेती का एक महत्वपूर्ण पहलू बताया। उन्होंने वैज्ञानिकों को इन नए क्षेत्रों में शोध और नवाचार करने के लिए प्रेरित किया।


प्रशिक्षण में 75 व्याख्यान, दो दर्जन वैज्ञानिकों का मार्गदर्शन

कृषि महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ. प्रतिभा सिंह ने कहा कि यह प्रशिक्षण वैज्ञानिकों के लिए शिक्षण और अनुसंधान कार्य में मददगार साबित होगा। कार्यक्रम संयोजक डॉ. महेंद्र सिंह ने बताया कि इस प्रशिक्षण में देशभर के विभिन्न संस्थानों से आए वैज्ञानिकों ने 75 से अधिक व्याख्यान दिए, जिसमें दो दर्जन ख्याति प्राप्त विशेषज्ञों ने टिकाऊ खेती से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं पर विस्तार से जानकारी दी।


अतिथियों का सम्मान और समापन

अतिथियों ने विश्वविद्यालय के विभिन्न प्रक्षेत्रों का भ्रमण कर विकास कार्यों की सराहना की। स्वागत संबोधन विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष डॉ. सुरेश कुमार ने दिया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. महेंद्र सिंह ने किया।

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