"प्लीज पुरुषों के बारे में सोचो" बोलकर मानव शर्मा ने किया सुसाइड, समझिए क्यों बढ़ रही हैं पुरुषों में आत्महत्या की दर #16 (1)

सारांश: आगरा के टीसीएस मैनेजर मानव शर्मा ने पत्नी के पिछले अफेयर के चलते आत्महत्या की; सुसाइड से पहले वीडियो में पत्नी और ससुराल वालों पर आरोप लगाए : आज DBUP आर्टिकल में समझिए, वास्तविकता में पुरुष समाज की समस्याएं और उनका निवारण : एक ऐसा आर्टिकल जो हर पुरुष को पढ़ना चाहिए और अपने परिवार में पत्नी बच्चों तक भेजना चाहिए ।




घटना का विवरण

आगरा के टीसीएस (टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज़) में कार्यरत 33 वर्षीय मैनेजर मानव शर्मा ने पारिवारिक तनाव के चलते आत्महत्या कर ली। उन्होंने आत्महत्या से पहले 6 मिनट 57 सेकंड का एक वीडियो रिकॉर्ड किया, जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी और ससुराल वालों पर गंभीर आरोप लगाए। वीडियो में मानव ने कहा, "प्लीज मर्दों के बारे में कोई तो बात करे। वे बहुत अकेले हो जाते हैं..."

पारिवारिक विवाद और तनाव

मानव शर्मा ने वीडियो में बताया कि उनकी पत्नी के पिछले संबंधों के बारे में जानने के बाद से वे मानसिक तनाव में थे। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी पत्नी और ससुराल वाले उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे थे, जिससे वे अवसाद में चले गए। मानव ने अपने माता-पिता और बहन से माफी मांगते हुए कहा, "पापा सॉरी, मम्मी सॉरी, अक्कू सॉरी। अब मैं विदा ले रहा हूं।"

पत्नी का पक्ष

इस घटना के बाद, मानव की पत्नी ने अपने बयान में कहा कि मानव कई बार आत्महत्या का प्रयास कर चुके थे और वे उन्हें रोकती रहीं। उन्होंने यह भी बताया कि मानव उनके पिछले संबंधों को लेकर डिप्रेशन में थे, लेकिन वे हमेशा उनका साथ देती रहीं।

भारत में पुरुषों में आत्महत्या की बढ़ती समस्या

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, भारत में आत्महत्या करने वालों में 72.5% पुरुष होते हैं, जो एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य संकट का संकेत देता है।




पुरुषों पर सामाजिक और पारिवारिक दबाव

पुरुषों पर समाज और परिवार की अपेक्षाओं का भारी दबाव होता है। घर के बाहर कार्यस्थल पर प्रतिस्पर्धा, आर्थिक जिम्मेदारियाँ, और घर के अंदर परिवार की उम्मीदें—इन सबके बीच पुरुष अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाते। अक्सर, वे मानसिक तनाव और अवसाद से गुजरते हैं, लेकिन समाज में पुरुषों की भावनाओं पर खुलकर चर्चा नहीं होती।

परिवार की भूमिका और समर्थन

परिवार के सदस्यों, विशेषकर पत्नियों और बच्चों, को पुरुषों की भावनात्मक स्थिति को समझने की आवश्यकता है। घर में सहयोगपूर्ण वातावरण बनाना, अनावश्यक तानों से बचना, और उनकी भावनाओं को समझना महत्वपूर्ण है। पुरुषों को भी अपनी भावनाओं को साझा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, ताकि वे मानसिक तनाव से मुक्त हो सकें।

मानसिक स्वास्थ्य के लिए सुझाव

  • संवाद करें: अपनी भावनाओं और समस्याओं को परिवार और दोस्तों के साथ साझा करें।

  • एक दोस्त रखें : आमतौर पर मर्द अपनी चिंताएं परिवार को नहीं बता पाते, तो ऑप्शन के तौर पर आप अपने किसी दोस्त से बातें शेयर कर सकते ,  बेटे से अच्छा रिश्ता हो तो उसे शेयर कर सकते हैं , अपने दामाद या भतीजे से शेयर कर सकते हैं : बातें शेयर करने से तनाव घटता है ।

  • समय प्रबंधन: काम और परिवार के बीच संतुलन बनाएं, ताकि स्वयं के लिए भी समय मिल सके।

  • पेशेवर सहायता लें: यदि आवश्यक हो, तो मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श करें।

  • पर्याप्त नींद और व्यायाम: नियमित नींद और शारीरिक गतिविधियाँ मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं।

पुरुषों की मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को गंभीरता से लेना और उन्हें समर्थन प्रदान करना समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है। सकारात्मक परिवर्तनों के माध्यम से हम आत्महत्या की घटनाओं में कमी ला सकते हैं।

यदि आप एक पत्नी है या बच्चे तो आपके लिए जरूरी सलाह :

 यदि आप एक पत्नी है या बच्चे हैं और आप अपने पिता या पति से कम डिमांड करें तो शायद उनका मानसिक संतुलन ठीक रहे । एक पुरुष घर के बाहर तमाम तानों को झेलता है, तमाम प्रतिस्पर्धा को झेलता है , परिवार को पालने के लिए घर चलाने के लिए बॉस की बातें सुननी पड़ती हैं, समाज देखना पड़ता है, मित्रों को देखना पड़ता , इन सबको करने के बाद उनका घर ही अकेला सहारा होता है जहां वह महसूस कर सके की कोई उनका अपना मौजूद है । 

इन सब के बीच यदि वह घर में भी ताने सुने तो डिप्रेशन में जाने से शायद ही कोई रोक सकता है ।परिवार में पिता, पति, भाई या किसी भी सदस्य से अगली बार कोई डिमांड, कोई ताने, कोई शब्द अपनी जुबान से निकालने से पहले यह जरूर सोचें की 70% से अधिक सुसाइड भारत में मर्द कर रहे हैं - परिवार का मानसिक संतुलन आपकी जुबान में है।

अतुल सुभाष का मुद्दा ठंडे बस्ते में गया और उसके बाद तमाम मर्दों ने आत्महत्या की पर हर स्टोरी छिप गई और कुछ महीनों के बाद एक बार फिर एक हाइलाइटेड सुसाइड आया है और इस बार अपने परिवार के हर सदस्य को या स्टोरी भेजें हर किसी को यह जानना जरूरी है की वास्तविकता में पुरुषों के तनाव पर बात करना भी एक जरूरत है, वरना ऐसे ही सुसाइड होते रहेंगे और लोग इसे एक आम मुद्दा समझकर भूलते रहेंगे : "बेशक एक न्यूज़ आर्टिकल इन सुसाइड को नही रोक सकता पर आपका शेयर जरूर एक दो जिंदगी में बदलाव ला सकता" ।

Note : यह आर्टिकल हर किसी को जानना जरूरी है ,और इस कारण इस आर्टिकल से सभी प्रकार के विज्ञापन DBUP द्वारा हटा दिए गए हैं ।

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टिप्पणियाँ

  1. पुरुष समाज को अगर घर की औरतें समझ पाती तो शायद बहुत सुसाइड कम हो जाते... 😢😢😢

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