BJP : भाजपा जिलाध्यक्षों की सूची अटकी, सपा को तोड़ने के लिए दलित और महिला भागीदारी बढ़ाने के निर्देश #3 (1)
सारांश:
उत्तर प्रदेश में BJP जिलाध्यक्षों की सूची नए निर्देशों के कारण अटकी। केंद्रीय नेतृत्व ने 25% पद दलितों और महिलाओं को देने के लिए कहा। सूची 12 फरवरी को संशोधित निर्देश मिलने के बाद फिर अटकी। अब योग्य नामों की तलाश जारी।
BJP जिलाध्यक्षों की सूची अटकी, 25% दलित और महिलाओं को शामिल करने का निर्देश
नई सूची पर मंथन जारी
उत्तर प्रदेश में BJP जिलाध्यक्षों की नई सूची को लेकर पेंच फंस गया है। पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने निर्देश दिया है कि 98 जिलों में से 25% यानी कम से कम 25 जिलाध्यक्ष दलित और महिला वर्ग से बनाए जाएं। इससे पहले, प्रदेश संगठन ने 70 जिलाध्यक्षों की सूची 10 फरवरी को केंद्रीय नेतृत्व को भेजी थी। लेकिन 12 फरवरी को नए निर्देश मिलने के बाद सूची अटक गई। अब संगठन और सरकार नई रणनीति पर विचार कर रहे हैं।
डेढ़ महीने में बनी लिस्ट पर फिर विचार
प्रदेश संगठन ने करीब डेढ़ महीने की चर्चा के बाद 70 जिलाध्यक्षों की सूची तैयार की थी। लेकिन केंद्रीय नेतृत्व की नई शर्तों के कारण इसे दोबारा संशोधित करना पड़ रहा है। भाजपा के चुनाव प्रभारी महेंद्रनाथ पांडेय और प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह इस पर लगातार बैठकें कर रहे हैं।
महिला और दलित नेताओं के नाम कम
सूत्रों के अनुसार, जिलों से आए पैनलों में महिला और दलित नेताओं के नाम कम थे। अब पार्टी हर क्षेत्र से योग्य दलित और महिलाओं के नाम मंगवा रही है, ताकि पंचायत और विधानसभा चुनावों के लिए सही जातीय संतुलन बनाया जा सके।
पहले सिर्फ 4 महिला और 4 दलित जिलाध्यक्ष
15 सितंबर 2023 की सूची के अनुसार, 98 जिलों में सिर्फ 4 महिला जिलाध्यक्ष थीं। इनकी संख्या अब 10-12 तक बढ़ाई जा सकती है। वहीं, एससी वर्ग से केवल 5 जिलाध्यक्ष थे, लेकिन नए निर्देश के बाद अब 10-13 जिलाध्यक्ष दलित वर्ग से बनाए जा सकते हैं।
दलित बहुल जिलों में मांग बढ़ी
BJP के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष की लखनऊ यात्रा के दौरान, समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह से मुलाकात की। उन्होंने कम से कम 18 जिलाध्यक्ष एससी वर्ग से बनाने की मांग की, क्योंकि 18 जिले दलित बहुल हैं।
BJP के वोट बैंक को मजबूत करने की रणनीति
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, BJP महिला और दलित वोट बैंक को साधने के लिए संगठन में इनकी भागीदारी बढ़ा रही है। पार्टी ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम संसद में पास कराया है और अगले दो साल में इसे लागू करना है। ऐसे में संगठन में भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ाकर यह संदेश दिया जा रहा है कि सरकार और संगठन एक साथ हैं।
सपा के PDA फॉर्मूले को कमजोर करने की कोशिश
राजनीतिक विश्लेषक अखिलेश बाजपेयी का कहना है कि BJP महिला और दलितों को अधिक अवसर देकर समाजवादी पार्टी (SP) के PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) गठजोड़ को कमजोर करना चाहती है। इससे पंचायत और विधानसभा चुनावों में भाजपा को फायदा होगा।
सूची जारी होने में और देरी संभव
BJP ने 5 जनवरी 2025 को लखनऊ में जिलाध्यक्ष चुनाव को लेकर कार्यशाला आयोजित की थी। 7 जनवरी से पर्यवेक्षकों ने जिलों में नामांकन प्रक्रिया पूरी कराई, और 11 जनवरी तक रिपोर्ट प्रदेश मुख्यालय में जमा की गई। 12 जनवरी से सूची पर चर्चा शुरू हुई और 15 जनवरी तक इसे जारी करने की समयसीमा तय थी। लेकिन अब करीब 40 दिन बाद भी सूची जारी नहीं हो सकी।
दलित महिलाओं को जिलाध्यक्ष बनाने पर विचार
BJP के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि दलित और महिला कोटे को पूरा करने के लिए अब दलित महिलाओं को जिलाध्यक्ष बनाने की योजना बन रही है। इससे दोनों वर्गों की भागीदारी एक साथ बढ़ जाएगी। दलित विधायकों और पदाधिकारियों की पत्नी, बहन, बेटी या बहू को मौका मिल सकता है।
प्रदेश अध्यक्ष का बयान
BJP के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने कहा, "आरक्षण को लेकर कोई समस्या नहीं है। भाजपा का संगठन सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व करता है और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत आगे बढ़ रहा है।"
निष्कर्ष
BJP की जिलाध्यक्षों की सूची में देरी का मुख्य कारण दलित और महिला वर्ग की भागीदारी बढ़ाने का निर्देश है। पार्टी इसे अपने राजनीतिक समीकरण और आगामी चुनावों की रणनीति के तहत लागू कर रही है। अब नई सूची में किन नामों को जगह मिलती है, यह देखना दिलचस्प होगा।
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Badhiya hai bhai koi bhi bane, apni rajpoot samaj poora saath hai
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