DBUP सर्वे विश्लेषण : अजीत प्रसाद बनाम चंद्रभान पासवान कौन किस पर भारी - पढ़िए मिल्कीपुर उपचुनाव का बेहतरीन विश्लेषण | #63
मिल्कीपुर उपचुनाव: जातिवाद, राजनीतिक समीकरण और वोटर्स का अहम रोल
DBUP, अयोध्या: मिल्कीपुर विधानसभा में हो रहे उपचुनाव को लेकर राजनीतिक माहौल काफी गरम है। यह चुनाव खासतौर पर जातिवादी समीकरणों और वोटर्स के बदलाव के कारण चर्चा में है। इस बार चुनावी जंग में समाजवादी पार्टी (SP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) दोनों ही अपनी-अपनी रणनीतियां बनाने में जुटी हैं। चलिए, हम जानते हैं कि यहां के जाति-आधारित वोट बैंक में क्या बदल रहा है और इसका परिणाम पर क्या असर हो सकता है।
1. मिल्कीपुर में कुल मतदाता और जाति के हिसाब से आंकड़े
मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में कुल 3.58 लाख मतदाता हैं। यहां पर जातिवादी समीकरणों का असर साफ देखा जा सकता है, खासकर SC, OBC, और ब्राह्मण वर्ग के मतदाताओं की संख्या बहुत बड़ी है। आइए, जानते हैं कि विभिन्न जातियों के मतदाताओं का आंकड़ा कितना है:
- अनुसूचित जाति (SC): करीब 1.25 लाख मतदाता हैं, जिनमें पासी समाज के लगभग 55,000 मतदाता प्रमुख हैं। यह वर्ग आमतौर पर समाजवादी पार्टी (SP) का समर्थन करता आया है । पर यदि हम 2025 उपचुनाव की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी ने अपने कई पिछड़े समुदाय के विधायकों को मिल्कीपुर में उतारा है जो लगातार गांव गांव जाकर वाटर से अपील कर रहे हैं साथ में ही फ्री राशन और बटोगे तो कटोगे जैसे नारे हिंदू SC / ST समुदाय के वोट को भाजपा के पक्ष में भी कर रहे हैं जिस कारण संभवतः यह वोट समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच में आधा-आधा बटेगा । डीबीयूपी सर्वे में 1700 में से 70% लोगों ने वोटर को भाजपा की तरफ माना है पर क्योंकि उन वोटर्स तक हमारा सीधा जुड़ाव नहीं था इस कारण हमारे विश्लेषण में यह वोट संभवत 50-50 बटने की ही उम्मीद है ।
- अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC): इस वर्ग में लगभग 1.10 लाख मतदाता हैं, जिनमें यादव समुदाय के 55,000 मतदाता शामिल हैं। यह वर्ग भी SP का पारंपरिक समर्थन रहा है, लेकिन BJP ने इस पर भी अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं। OBC समुदाय के कई जाति खास तौर पर यादव वोट परंपरागत रूप से सपा कह रहे हैं किंतु कमलेश यादव जैसे नेताओं का भाजपा में आ जाना रामचंद्र यादव जैसे विधायक का भाजपा के लिए वोट मांगना और साथ ही साथ आगामी केशव प्रसाद मौर्य की जनसभा ओबीसी वोट को भी कुछ हद तक भाजपा की ओर झुका रही है । डीबीयूपी सर्वे में 60% लोगों ने ओबीसी वोट को भाजपा का मान है वहीं 40% लोगों की माने तो यह वोट सपा का ही रहेगा कई लोगों ने विश्लेषण भी दिया है और विश्लेषण के आधार पर वर्तमान में इस डाटा को सही मान सकते हैं कि 60% वोट बीजेपी को वही 40% वोट सपा के पक्ष में रहेगा किंतु अखिलेश यादव डिंपल यादव समेत अन्य नेताओं की आगामी जनसभा के कारण या वोट और घट सकता है जिस कारण यह 40% भाजपा और 60% सपा का हो सकता है ।
- मुस्लिम समुदाय: इस समुदाय के लगभग 30,000 मतदाता हैं। मुस्लिम वोटर्स का समर्थन पारंपरिक रूप से SP को मिलता है, लेकिन BJP ने कई मुस्लिम नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल करके इस समुदाय में भी अपनी पैठ बढ़ाई है। इसके बावजूद हमारे सर्व और इलेक्शन एक्सपर्ट्स की माने तो मुस्लिम समुदाय का 90% वोट समाजवादी पार्टी के ही पक्ष में रहेगा ।
- ब्राह्मण समुदाय: करीब 60,000 ब्राह्मण मतदाता हैं। इस वर्ग का समर्थन BJP के पक्ष में बढ़ा है, खासकर खब्बू तिवारी जैसे नेताओं के प्रभाव के चलते।यह वोट पहले सपा के बीच थोड़ा बढ़ सकता था पर खब्बु तिवारी के आने के बाद यह वोट भी 90% भाजपा के ही पक्ष में गया है डीबीयूपी सर्वे की माने तो भी 1700 में से 95% लोगों ने सामान्य वर्ग का और भाजपा का ही माना है ।
- राजपूत (क्षत्रिय) और वैश्य समुदाय: 25,000 और 20,000 मतदाता क्रमशः इस वर्ग से हैं। इन समुदायों में BJP का समर्थन अपेक्षाकृत अधिक देखा जा रहा है।
2. जाति आधारित राजनीति और पार्टी परिवर्तन
मिल्कीपुर उपचुनाव में जातिवादी समीकरण का असर सीधे चुनावी परिणामों पर पड़ने वाला है। जाति-आधारित वोट बैंक पर SP और BJP दोनों ही दलों की नजरें हैं। हालांकि, बीजेपी ने कई रणनीतियों को अपनाकर ब्राह्मण, SC और OBC वर्गों में अपनी स्थिति मजबूत की है। यहां कुछ प्रमुख बदलाव और कारणों को देखते हैं:
- BJP का ब्राह्मण और पासी वर्ग में प्रभाव: BJP ने ब्राह्मण और पासी वर्ग के मतदाताओं को अपनी तरफ खींचने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे चंद्रभानु पासवान को उम्मीदवार बनाना और अन्य स्थानीय नेताओं को पार्टी में शामिल करना।
- SP का यादव और मुस्लिम समुदाय पर फोकस: SP ने यादव और मुस्लिम वोटरों को अपने पक्ष में लाने की कोशिश की है, हालांकि BJP ने इस पर भी अपनी पकड़ बनाई है। खासकर यादव नेताओं जैसे कमलेश यादव का भाजपा में आना SP के लिए एक बड़ा झटका है।
- BJP की जनधारणा में बदलाव: BJP ने मिल्कीपुर में अपनी रणनीतियों के तहत कई OBC नेताओं और SC समुदाय के प्रतिनिधियों को साथ लिया है, जिससे यह वर्ग अब BJP की ओर खींचा जा रहा है।
- सपा की रैलियां में PDA का नाम : अखिलेश यादव समेत सभी सपा के बड़े नेता अपनी हर भाषण में PDA का नाम ले रहे हैं । PDA का अर्थ पिछड़ा दलित और आदिवासी वोट से है । अपने भाषण के जरिए समाजवादी पार्टी लगातार पिछड़ा दलित और आदिवासी वोट अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही है । लोकसभा चुनाव में या फार्मूला बेहद सटीक रूप से काम किया जिस कारण समाजवादी पार्टी को भारी सीटें मिली किंतु पिछले उपचुनाव में भी यह फार्मूला सही काम नहीं कर पाया - और जहां मिल्कीपुर ने भाजपा ने इस इस उपचुनाव को अपने प्रतिष्ठा के साथ जोड़ लिया है वहां पर यह फार्मूला काम कर पाना और भी मुश्किल हो गया है। फिरहाल समाजवादी पार्टी ने कोई भी बड़ी जनसभाएं नहीं की है उनका मानना है कि शांत रहकर चुनाव से जस्ट पहले ऐसी जनसभाएं करना अधिक से अधिक वोट उनके पक्ष में करेगी और यह बात 3 फरवरी तक ही साफ हो पाएगी कि क्या उनका यह फार्मूला काम करता है या नहीं ।
3. नए उम्मीदवार और उनकी रणनीति
BJP ने इस बार चंद्रभानु पासवान को अपना उम्मीदवार बनाया है, जो SC और OBC समुदाय में नये चेहरे के रूप में अच्छी पहचान रखते हैं। विश्लेषण की माने तो उनकी उम्मीदवारी से BJP को करीब 15,000-20,000 वोटों के अंतर से जीत की उम्मीद है। वहीं, SP ने अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को उम्मीदवार बनाया है, जो पारंपरिक रूप से यादव और मुस्लिम वर्गों का समर्थन पाएंगे और साथ में SC ST वोट का भी समर्थन पाने की कोशिश करेंगे। किंतु लोकसभा चुनाव के बाद अवधेश प्रसाद का समाज में ना निकलना मोइन खान का केस और साथ ही अजीत पर अपहरण का आरोप लगा जो उनके विरोध का कारण बन गया है जिस कारण कहीं ना कहीं चुनावी माहौल भाजपा के पक्ष है । इसी के साथ समाजवादी पार्टी के सूरज का आजाद समाज पार्टी से चुनाव लड़ना भी समाजवादी पार्टी के कुछ वोट को काटेगा किंतु यह ज्यादा वोटो पर प्रभाव नहीं डालेगा ।
4. मिल्कीपुर उपचुनाव में जातिवादी समीकरण और इसका असर
मिल्कीपुर में जातिवाद पर आधारित समीकरणों का गहरा प्रभाव है, और यह चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकता है। जातियों के आधार पर अगर हम बात करें तो SC और OBC वर्ग के वोट बैंक का प्रभाव काफी निर्णायक हो सकता है। वहीं, ब्राह्मण वोट भी इस बार पूरी तरह BJP के पक्ष में आ चुके हैं, जो नाराजगी के कारण पहले SP के पक्ष में रह सकते थे। मुस्लिम वोटों पर SP का प्रभाव बना हुआ है ।
5. आखिरकार, कौन जीतेगा?
इस उपचुनाव में सबसे बड़ी भूमिका जातिवादी वोट बैंक के प्रभाव की होगी। BJP ने अपनी रणनीतियों को इस तरह से तैयार किया है कि वह यादव, SC, और ब्राह्मण वर्गों से बेहतर समर्थन हासिल कर सके। वहीं, SP ने मुस्लिम और यादव वर्गों में अपने वोट बैंक को बचाने की कोशिश की है। हालांकि, BJP का बढ़ता समर्थन और SP के नेताओं की कम सक्रियता के कारण BJP की जीत की संभावना ज्यादा नजर आती है। भारतीय जनता पार्टी लगातार हिंदू एकता की बात कर रही है और मिल्कीपुर हिंदू बाहुल्य क्षेत्र है वहीं पर समाजवादी पार्टी PDA का नाम ले रही है और पिछड़ा दलित आदिवासी वोटो को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही है पर कम सक्रियता के कारण इन वोटो पर समाजवादी पार्टी का असर नहीं दिख रहा है हालाँकि लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी का यह फार्मूला बेहतरीन काम किया था किंतु पिछले उपचुनाव में या फार्मूला वापस फेल हो गया है आने वाले समय में अखिलेश यादव और डिंपल यादव की रैलियां संभवतः PDA वोटों को प्रभावित करेंगी पर फिर भी फिलहाल के आंकड़े में जीत बीजेपी की नजर आ रही है । DBUP सर्वे में अधिकतर जनता की विश्लेषण की माने तो भारतीय जनता पार्टी जहां ब्राह्मण वोट नाराज होने पर मुश्किल में पड़ गई थी वहीं पर अब लगातार के समाजवादी पार्टी के लोगों के भाजपा में आने से और साथ ही साथ तमाम जनसभाओं में सक्रियता के कारण BJP 15000 से अधिक वोटों से जीत सकती है ।
फिरहाल मिल्कीपुर उपचुनाव पर पूरे देश की नजर है और आने वाले समय में चुनावी परिणाम ही बताएंगे कि मिल्कीपुर की जनता ने किसे चुना है ।
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यह आर्टिकल पूरी तरह से हमारे सर्वे में लोगों द्वारा दिए गए विश्लेषण के आधार पर बनाया गया है और DBUP इसके पूर्णतः सत्य होने की जिम्मेदारी नहीं ले सकता है । यदि आपके पास कोई भी सुझाव है या फिर कोई भी विचार है तो वह आप हमारे अयोध्या ब्यूरो के कार्यालय नंबर 888 7070 140 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं ।
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