प्रयागराज: अच्छी आमदनी वाली पत्नी को भरण-पोषण नहीं, हाईकोर्ट ने परिवार न्यायालय के आदेश को किया निरस्त *XDEL* #34

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 13 दिसंबर, शनिवार को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि पति से अलग रहकर अच्छी कमाई करने वाली पत्नी भरण-पोषण पाने की हकदार नहीं है। न्यायमूर्ति मदन पाल सिंह की पीठ ने गौतमबुद्ध नगर के परिवार न्यायालय के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें पति को पत्नी को 5,000 रुपये मासिक गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया गया था। अदालत ने पाया कि पत्नी स्वयं प्रति माह 36,000 रुपये कमाती है और उसने अपनी आय को छुपाने का प्रयास किया था।

परिवार न्यायालय के आदेश को हाईकोर्ट ने किया रद्द

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक पति की पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई करते हुए गौतमबुद्ध नगर के परिवार न्यायालय के एक आदेश को निरस्त कर दिया है। परिवार न्यायालय ने पति को पत्नी को 5,000 रुपये प्रति माह का गुजारा भत्ता देने का आदेश पारित किया था। हाईकोर्ट ने इस आदेश को पलटते हुए स्पष्ट किया कि कानून के तहत केवल वही पत्नी भरण-पोषण पाने की हकदार हो सकती है, जिसके पास जीवनयापन का कोई साधन न हो।

पत्नी की आय और दावे में पाया गया अंतर

याचिकाकर्ता पति ने अदालत में दलील दी थी कि परिवार न्यायालय का आदेश पत्नी की गलत बयानी पर आधारित है। पत्नी ने अपने आवेदन में स्वयं को बेरोजगार बताया था। हालाँकि, सुनवाई के दौरान यह सामने आया कि पत्नी उच्च शिक्षित हैं और एक नौकरी से प्रतिमाह 36,000 रुपये कमाती हैं। अदालत ने रिकॉर्ड का अवलोकन कर पाया कि पत्नी ने ट्रायल कोर्ट के सामने भी इस आमदनी को स्वीकार किया था और उस पर कोई अन्य वित्तीय जिम्मेदारी भी नहीं है।

पति के दायित्व और अदालत की टिप्पणी

अदालत ने इस मामले में पति की स्थिति पर भी गौर किया। पति के ऊपर अपने बुजुर्ग माता-पिता के पालन-पोषण सहित अन्य सामाजिक जिम्मेदारियां हैं। न्यायालय ने अपने फैसले में टिप्पणी की कि न्यायिक प्रक्रिया को दूषित करने का प्रयास करने वाला व्यक्ति राहत का हकदार नहीं होता। अदालत ने माना कि पत्नी द्वारा अपनी वास्तविक आय छुपाने का प्रयास किया गया, जो इस प्रक्रिया को प्रभावित करने का एक प्रयास था। इस आधार पर हाईकोर्ट ने पति के पक्ष में फैसला सुनाया और परिवार न्यायालय का आदेश रद्द कर दिया।

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