लखनऊ: फर्जी आयुष्मान कार्ड घोटाले में STF की सात गिरफ्तारियां, 2 हजार से अधिक अपात्रों को पहुंचाया लाभ #78 *SWE*

संक्षिप्त खबर

लखनऊ एसटीएफ ने फर्जी आईडी से अपात्र लोगों के आयुष्मान कार्ड बनवाने वाले सात सदस्यों को गिरफ्तार किया है। प्रतापगढ़, बाराबंकी, गाजीपुर और इटावा के आरोपी पकड़े गए। गिरोह ने ओटीपी बाइपास कर 2 हजार से ज्यादा कार्ड जारी किए, प्रत्येक पर 6 हजार रुपये वसूले। प्रयागराज में जून 2025 में दो सदस्य पहले ही गिरफ्तार हो चुके थे।



गिरोह का नेटवर्क और गिरफ्तारियां
लखनऊ के गोमतीनगर विस्तार इलाके से विशेष कार्य बल (STF) ने सात आरोपियों को धर दबोचा है। इनमें प्रतापगढ़ के जलालपुर किठौली थाना पट्टी के चंद्रभान वर्मा (35) पुत्र राम कृपाल वर्मा, बाराबंकी के जैदपुर के राजेश मिश्रा (25) पुत्र चंद्रप्रकाश मिश्रा, सफदरगंज के सुजीत कनौजिया (23) पुत्र घिसियावन लाल कनौजिया, जैदपुर के सौरभ मौर्या (22) पुत्र राकेश कुमार, गाजीपुर के परसपुरा के विश्वजीत सिंह (39) पुत्र अजीत कुमार, लखनऊ के माल के रंजीत सिंह पुत्र छोटक्के सिंह और इटावा के सैफई के अंकित यादव (20) शामिल हैं। यह गिरोह लखनऊ, बाराबंकी, प्रतापगढ़, गाजीपुर व इटावा में सक्रिय था। जून 2025 में प्रयागराज के नवाबगंज से इसके दो सदस्य गिरफ्तार हो चुके थे, जब 84 फर्जी कार्ड बरामद हुए थे। उस मामले की एफआईआर प्रयागराज में दर्ज है।

कार्ड बनाने की साजिश और खर्च
गिरोह साइबर कैफे संचालकों व कार्यान्वयन सहायता एजेंसी (ISA) के कुछ कर्मचारियों की सांठगांठ से पात्र परिवारों की फैमिली आईडी में ओटीपी बाइपास कर अपात्र व्यक्तियों को जोड़ता था। उसके बाद ISA व राज्य स्वास्थ्य एजेंसी (SHA) स्तर पर सेटिंग से कार्ड स्वीकृत कराए जाते थे। मास्टरमाइंड चंद्रभान वर्मा ने पूछताछ में कबूला कि प्रति कार्ड 6 हजार रुपये लिए जाते थे—इसमें फैमिली आईडी जोड़ने पर 1,000 से 1,500 रुपये, ISA अप्रूवल पर 1,000 रुपये व SHA स्तर पर 4,500 से 5,000 रुपये खर्च होते थे। गिरोह ने ISA व SHA से जुड़े कर्मचारियों को 20 लाख से अधिक कार्ड अप्रूवल के लिए दिए। कुल 2,000 से ज्यादा फर्जी कार्ड बनाकर अपात्रों को मुफ्त इलाज का लाभ दिलाया गया।

अस्पतालों में धांधली का खुलासा
पूछताछ से सामने आया कि कल्याण सिंह कैंसर इंस्टीट्यूट, लखनऊ में आयुष्मान मित्र के रूप में तैनात रंजीत सिंह फर्जी कार्डों में जिले का मिसमैच ठीक करता था। अस्पताल के कंप्यूटर ऑपरेटर की मदद से ये कार्ड वैध बनाए जाते, फिर विभिन्न अस्पतालों में मुफ्त उपचार कराकर अवैध कमाई होती। STF ने इस नेटवर्क को भंग करने के लिए छापेमारी की, जिससे घोटाले का पर्दाफाश हुआ। यह कार्रवाई आयुष्मान भारत योजना की अखंडता को बचाने में महत्वपूर्ण साबित हुई है।

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