अंगीठी की आग ने ली PCS अधिकारी के परिवार के चार सदस्यों की जान #87 *SFT*
संक्षिप्त खबर:
छपरा में शुक्रवार रात ठंड से बचने के लिए बंद कमरे में अंगीठी जलाकर सोने वाले एक परिवार के चार सदस्यों की दम घुटने से मौत हो गई। वाराणसी के पीसीएस अधिकारी विजय कुमार सिंह के तीन साल के बेटे तेजस, सात माह की बेटी गुड़िया, सास कमलावती देवी (70 वर्ष) और भतीजे अध्याय (चार वर्ष) की जान चली गई। अधिकारी की पत्नी अंजलि, साला अमित कुमार और साली अमीषा की हालत गंभीर बनी हुई है। सभी को पटना रेफर किया गया है। यह घटना भगवान बाजार थाना क्षेत्र में हुई, जहां परिवार छुट्टियां मना रहा था।
परिवार पर टूटा दुख का पहाड़
वाराणसी में तैनात पीसीएस अधिकारी विजय कुमार सिंह के परिवार को एक रात की लापरवाही ने हमेशा के लिए तोड़ दिया। शनिवार सुबह छपरा सदर अस्पताल पहुंचे डॉक्टरों ने चार सदस्यों को मृत घोषित कर दिया। मृतकों में अधिकारी के मासूम बच्चे तेजस और गुड़िया, उनकी दादी कमलावती देवी तथा भाई का बेटा अध्याय शामिल हैं। बाकी तीन सदस्यों—अधिकारी की पत्नी अंजलि, उनका भाई अमित कुमार और बहन अमीषा—की जान खतरे में है। अमीषा अध्याय की मां हैं। घटना की सूचना पाकर अधिकारी जौनपुर से छपरा पहुंचे। पुलिस ने भगवान बाजार थाना क्षेत्र में जांच शुरू कर दी है।
ठंडी रात का घातक फैसला
परिवार छुट्टियों के सिलसिले में बिहार लौटा था। कमलावती देवी अंबिका कॉलोनी में रहती थीं, जहां उनके पति का निधन पहले ही हो चुका था। बेटा अमित और बेटी अंजलि वाराणसी में बस चुकी थीं, जबकि दूसरी बेटी अमीषा भी वहीं रहती। ठंड की छुट्टी में सभी मां से मिलने बच्चों संग छपरा आए। शुक्रवार रात करीब दस बजे भोजन के बाद सात सदस्य फर्स्ट फ्लोर के एक कमरे में इकट्ठा हुए। बाहर सर्द हवाओं का प्रकोप था, इसलिए दरवाजा और खिड़कियां बंद कर अंगीठी जला ली गई। गर्माहट की चाह में सभी गहरी नींद में सो गए, बिना यह जाने कि कार्बन मोनोऑक्साइड धीरे-धीरे कमरे को जहरीला बना रही थी।
सुबह की भयावह सुबह और तत्काल कार्रवाई
शनिवार तड़के पांच-छह बजे एक सदस्य को सांस लेने में तकलीफ हुई। उन्होंने दरवाजा खोला और सहायता मांगी। परिवार के अन्य सदस्यों ने सभी को अस्पताल पहुंचाया, लेकिन ऑक्सीजन की कमी से चारों की सांसें थम चुकी थीं। अंजलि को बच्चों की मौत की खबर अभी नहीं दी गई। छपरा एसपी राम पुकार सिंह समेत वरिष्ठ अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे और परिजनों से बातचीत की। डॉक्टरों के मुताबिक, बंद कमरे में अंगीठी से निकलने वाली गैस ने ऑक्सीजन खत्म कर दी।
सर्दी में सावधानी की अनदेखी का सबक
हर वर्ष सर्दियों में ऐसी लापरवाहियां जानलेवा साबित होती हैं। अंगीठी या हीटर जलाना गर्मी तो देता है, मगर बंद जगह में यह ऑक्सीजन चुरा लेता है। इससे सांस की तकलीफ, सिरदर्द, त्वचा समस्याएं या आंखों को नुकसान हो सकता है। बच्चे और बुजुर्ग सबसे ज्यादा जोखिम में रहते हैं। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि कमरे में हवा का संचार जरूरी रखें, वेंटिलेशन सुनिश्चित करें ताकि ऐसी त्रासदी न दोहराए।
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