व्हाट्सएप-टेलीग्राम बिना उसी डिवाइस में एक्टिव सिम के नहीं चलेगा: DoT का नया निर्देश #49 *Aqw*

संक्षिप्त खबर:

दूरसंचार विभाग (DoT) ने नई अधिसूचना जारी की, जिसमें व्हाट्सएप, टेलीग्राम, सिग्नल जैसे ऐप्स को उसी स्मार्टफोन में रजिस्टर्ड एक्टिव सिम कार्ड से जोड़ना अनिवार्य कर दिया गया है। वेब वर्जन हर 6 घंटे में लॉगआउट होगा। सरकार इसे साइबर फ्रॉड रोकने का उपाय बता रही है, लेकिन जहां बाकी दुनिया यूजर्स के लिए तकनीक को आसान बना रही है, वहीं भारत सरकार ने नई चुनौती खड़ी कर दी है। यूजर्स को प्राइवेसी और ट्रैकिंग की चिंता। फरवरी 2026 से पूर्ण लागू। बिना उसी डिवाइस में एक्टिव सिम के आप नहीं चला पाएंगे ऐप। यूजर्स कर रहे विरोध।


बदलाव का मतलब: ऐप्स कैसे प्रभावित होंगे?

अभी तक यूजर्स सिम को दूसरे डिवाइस में रखकर या बिना सिम के वाई-फाई पर व्हाट्सएप-टेलीग्राम चला पाते थे। लेकिन DoT के टेलीकॉम साइबर सिक्योरिटी (संशोधन) नियम, 2025 के तहत अब ऐप्स केवल तभी काम करेंगे जब डिवाइस में रजिस्टर्ड सिम कार्ड मौजूद हो और एक्टिव हो। सिम हटाने या डीएक्टिवेट करने पर ऐप एक्सेस बंद हो जाएगा। वेब या डेस्कटॉप वर्जन पर हर 6 घंटे बाद क्यूआर कोड से सिम वाले फोन पर दोबारा लॉगिन करना जरूरी। यह नियम व्हाट्सएप, टेलीग्राम, सिग्नल, स्नैपचैट, शेयरचैट, जियोचैट जैसे सभी ओटीटी मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स पर लागू होगा। अधिसूचना के 90 दिनों के भीतर अनुपालन सुनिश्चित करना होगा।

उद्देश्य: साइबर अपराधों पर अंकुश

सरकार का स्पष्ट लक्ष्य वर्चुअल नंबर्स या डीएक्टिवेटेड सिम से होने वाली धोखाधड़ी रोकना है, जहां ट्रेसिबिलिटी कमजोर हो जाती है। इन ऐप्स को टेलीकॉम आइडेंटिफायर यूजर एंटिटी (TIUE) श्रेणी में शामिल किया गया है। टेलीकॉम ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) ने इसे साइबर सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम बताया। एयरटेल, रिलायंस जियो और वोडाफोन-आइडिया जैसी कंपनियों ने समर्थन किया, कहा कि इससे स्पैम और फ्रॉड कम होंगे। कंपनियों को 120 दिनों में अनुपालन रिपोर्ट जमा करनी होगी।

यूजर्स की चिंताएं: प्राइवेसी और सुविधा पर असर

हालांकि फ्रॉड रोकना जरूरी है, लेकिन यूजर्स प्राइवेसी के मुद्दे उठा रहे हैं। एक्टिव सिम से लोकेशन सर्विस बंद होने पर भी सेल टावर के माध्यम से हर 6 घंटे में गतिविधियों का ट्रैकिंग संभव हो सकता है, जिससे उपयोगकर्ता डेटा—जैसे स्थान, समय और व्यवहार—का संग्रहण बढ़ेगा। ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम (BIF) ने नियम पर पॉज की मांग की है, इसे यूजर सुविधा के खिलाफ बताया। ट्रैवलर्स या मल्टी-डिवाइस यूजर्स के लिए यह व्यावहारिक समस्या पैदा करेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि अपराधी नई सिम ले सकते हैं, लेकिन आम यूजर्स पर बोझ पड़ेगा। कुल मिलाकर, सुरक्षा और प्राइवेसी के बीच संतुलन की बहस तेज हो गई है।

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