भारत में डुओपॉली का संकट: किसी भी एक कंपनी की रुकावट से होगा पूरा देश प्रभावित - DBUP Report #78 *AQW*

संक्षिप्त समाचार:

इंडिगो एयरलाइंस के हालिया संकट ने भारत की प्रमुख क्षेत्रों में दो कंपनियों के वर्चस्व को उजागर किया है। टेलीकॉम में जियो और एयरटेल, एविएशन में एयर इंडिया व इंडिगो, ई-कॉमर्स में अमेज़न व फ्लिपकार्ट, एयरपोर्ट्स में अडानी व जीएमआर, पेंट्स में एशियन पेंट्स व बर्गर, कैब सेवाओं में उबर व ओला, तथा डिलीवरी में जोमैटो व स्विगी जैसी जोड़ियां बाजार को नियंत्रित कर रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी स्थिति में एक कंपनी की समस्या से राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था ठप हो सकती है। सरकार को समान अवसर सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।


इंडिगो संकट: एक उदाहरण, कई सबक
पिछले कुछ दिनों में इंडिगो एयरलाइंस की सेवाओं में व्यापक व्यवधान ने लाखों यात्रियों को परेशान किया। उड़ान विलंब और रद्दीकरण की घटनाओं ने न केवल हवाई यात्रा को प्रभावित किया, बल्कि पूरे परिवहन तंत्र पर दबाव डाला। यह घटना भारत की अर्थव्यवस्था में व्याप्त डुओपॉली की कमजोरी को स्पष्ट करती है, जहां दो प्रमुख खिलाड़ी ही बाजार का अधिकांश हिस्सा संभालते हैं। यदि एक रुक जाए, तो दूसरी पर बोझ बढ़ जाता है, जिससे उपभोक्ताओं को महंगाई और सीमित विकल्पों का सामना करना पड़ता है। आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार, यह रुझान पूंजी-गहन और विनियमित क्षेत्रों में तेजी से फैल रहा है, जहां नए प्रवेशियों के लिए बाधाएं अधिक हैं।

प्रमुख क्षेत्रों में दोहरा वर्चस्व
भारत के कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में दो कंपनियों का प्रभुत्व स्पष्ट दिखाई देता है। टेलीकॉम सेवाओं में रिलायंस जियो और एयरटेल मिलकर 80 प्रतिशत से अधिक बाजार पर कब्जा जमाए हुए हैं, जो मोबाइल इंटरनेट और कॉलिंग को प्रभावित कर सकता है। एविएशन में इंडिगो और एयर इंडिया का संयुक्त हिस्सा 85 प्रतिशत के करीब है। ई-कॉमर्स के क्षेत्र में अमेज़न और फ्लिपकार्ट 60-70 प्रतिशत व्यापार संभालते हैं, जबकि एयरपोर्ट प्रबंधन में अडानी समूह और जीएमआर का दबदबा है। पेंट उद्योग में एशियन पेंट्स और बर्गर पेंट्स 60-65 प्रतिशत उत्पादन नियंत्रित करते हैं। कैब सेवाओं में उबर और ओला 95 प्रतिशत बाजार पर हावी हैं, तथा फूड डिलीवरी में जोमैटो और स्विगी लगभग पूर्ण एकाधिकार रखते हैं। इन जोड़ियों के कारण नवाचार धीमा पड़ रहा है और उपभोक्ता विकल्प सीमित हो रहे हैं।

सरकार की भूमिका: समान मैदान की आवश्यकता
इस डुओपॉली प्रवृत्ति को संतुलित करने के लिए सरकार की जिम्मेदारी बढ़ गई है। प्रतिस्पर्धा आयोग को सक्रिय होकर बाजार में संतुलन बनाना होगा, ताकि छोटे उद्यमियों को अवसर मिले और मूल्य स्थिर रहें। यदि एक कंपनी रुकने से राष्ट्रीय स्तर पर असर पड़ता है, तो बहु-खिलाड़ी प्रतिस्पर्धा ही समाधान है। विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि विनियमन मजबूत कर नए प्रवेश को प्रोत्साहित किया जाए, अन्यथा आर्थिक वृद्धि पर बाधा आ सकती है। यह समय है जब नीतियां उपभोक्ता हितों को प्राथमिकता दें।

टिप्पणियाँ