अयोध्या: घने कोहरे के बावजूद स्कूलों का समय नहीं बदला, सुबह दुर्घटना की आशंका बढ़ी #8 *SWE*

अयोध्या जिले में गुरुवार को भी घना कोहरा छाया रहा, जिससे दृश्यता बेहद कम हो गई और सड़कों पर वाहनों की रफ्तार थम गई। पड़ोसी जिलों अम्बेडकरनगर और सुल्तानपुर में ठंड व कोहरे को देखते हुए स्कूलों का समय बदल दिया गया है, लेकिन ख़बर लिखे जाने तक अयोध्या में ऐसा कोई आदेश नहीं आया है। हाल ही में मथुरा के यमुना एक्सप्रेसवे पर कोहरे के कारण हुए भीषण हादसे में कई लोगों की मौत के बाद, अभिभावकों में बच्चों के लिए चिंता बढ़ गई है। घने कोहरे में दुर्घटना को आशंका बढ़ गई है।


कोहरे ने जनजीवन किया प्रभावित

अयोध्या सहित पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में पिछले कुछ दिनों से कड़ाके की ठंड और घना कोहरा अपना कहर बरपा रहा है। गुरुवार सुबह से ही कोहरा इतना घना था कि सड़कों पर चलना मुश्किल हो गया। वाहन चालक दिन में भी हेडलाइट जलाकर धीरे-धीरे गाड़ियां चला रहे हैं। तापमान में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है, जिससे सुबह के समय बाहर निकलना जोखिम भरा हो गया है। खासकर बच्चे, बुजुर्ग और काम पर जाने वाले लोग अधिक परेशान हैं।

पड़ोसी जिलों ने उठाया सुरक्षा कदम

इसी तरह की स्थिति को देखते हुए पड़ोसी अम्बेडकरनगर जिले में जिलाधिकारी ने कक्षा 1 से 12 तक के सभी स्कूलों का समय सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक कर दिया है। सुल्तानपुर में कक्षा 8 तक के स्कूलों के लिए सुबह 10 बजे से शुरू होने का आदेश गुरुवार सुबह ही जारी किया गया। इन जिलों में दृश्यता बहुत कम होने और तापमान 11-12 डिग्री तक गिरने के कारण यह फैसला लिया गया। प्रशासन का मानना है कि इससे छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

मथुरा हादसे ने जगाई चिंता

हाल ही में 16 दिसंबर को मथुरा के यमुना एक्सप्रेसवे पर घने कोहरे के कारण कई बसें और कारें आपस में टकरा गईं, जिससे आग लग गई और दर्जनों लोग हताहत हुए। इस भयावह घटना ने पूरे प्रदेश में सुबह के समय सड़क सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है। अभिभावक और स्थानीय लोग मान रहे हैं कि सुबह स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए कोहरे में दुर्घटना का खतरा अधिक है।

अयोध्या में अभी इंतजार

अयोध्या में भी कोहरा और ठंड का असर समान है, लेकिन जिला प्रशासन की ओर से स्कूल समय में बदलाव का कोई आदेश अभी तक नहीं जारी हुआ है। लोग अलाव तापते नजर आ रहे हैं और ऊनी कपड़ों में लिपटकर ही बाहर निकल रहे हैं। ऐसे में अभिभावकों की मांग है कि छात्रों की सुरक्षा को देखते हुए जल्द कोई कदम उठाया जाए।

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