अयोध्या: शीतलहर और कोहरे की मार, स्कूल न बंद होने से अभिभावक-शिक्षक परेशान #37 *SW*

संक्षिप्त खबर:

अयोध्या जिले में कड़ाके की ठंड और घने कोहरे ने सोमवार 22 दिसंबर 2025 को जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। दृश्यता घटने से आवागमन कठिन हो गया। पड़ोसी जिलों अम्बेडकरनगर, सुल्तानपुर व अमेठी में ज्यादातर नर्सरी से कक्षा 8 तक स्कूल 24 दिसंबर तक बंद हैं, लेकिन यहां खुले रहने से अभिभावक व शिक्षक चिंतित हैं। उनका कहना है कि आठवीं तक के बच्चों को भी अन्य जनपदों की तरह छुट्टी दी जानी चाहिए, ताकि स्वास्थ्य सुरक्षित रहे।


ठंड का कहर: सड़कों पर जाम, लोग अलाव की तापी

अयोध्या में पिछले एक सप्ताह से बढ़ रही शीतलहर ने सोमवार सुबह घने कोहरे के साथ तीव्र रूप धारण कर लिया। न्यूनतम तापमान 9 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया, जिससे सुबह-शाम ठंड का असर खासा महसूस हो रहा है। प्रमुख चौराहों पर वाहनों की रफ्तार धीमी पड़ गई। वाहन चालकों को दिन में भी हेडलाइट जलाकर धीरे-धीरे चलना पड़ा। मौसम विभाग का अनुमान है कि यह ठंड व कोहरा कुछ दिनों तक बना रहेगा। प्रशासन ने लोगों से अनावश्यक यात्रा न करने व ठंड से बचाव के उपाय अपनाने की अपील की है।

पड़ोसी जिलों में स्कूल बंद: सुरक्षा के लिए कदम

पड़ोसी अम्बेडकरनगर में जिलाधिकारी ने कक्षा 1 से 12 तक सभी स्कूल 24 दिसंबर तक बंद करने का आदेश जारी किया। वहां दृश्यता 10 मीटर से कम रहने के कारण आवागमन प्रभावित हुआ। इसी तरह सुल्तानपुर में रविवार को तापमान 4.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ, जिसके चलते नर्सरी से कक्षा 8 तक अवकाश घोषित कर दिया गया। तहसीलदार ने रैन बसेरों का जायजा लिया व बस स्टॉप पर कंबल वितरित किए। अमेठी में भी जिलाधिकारी के निर्देश पर बेसिक शिक्षा अधिकारी ने नर्सरी से 8वीं तक तीन दिवसीय (22 से 24 दिसंबर) छुट्टी का ऐलान किया। इन जिलों के सभी परिषदीय, मान्यता प्राप्त व अन्य बोर्डों के स्कूल प्रभावित हुए, हालांकि शिक्षक-कर्मचारी विभागीय कार्यों के लिए उपस्थित रहेंगे।

अयोध्या में चिंता: छुट्टी की मांग तेज

अयोध्या में स्कूल न बंद होने से अभिभावक व शिक्षक खासे चिंतित हैं। उनका मानना है कि पड़ोसी जिलों की तर्ज पर आठवीं तक के बच्चों को भी अवकाश मिलना चाहिए, क्योंकि ठंड व कोहरे से छोटे बच्चों का स्वास्थ्य खतरे में है। स्थानीय स्तर पर इसकी मांग उठ रही है, लेकिन अभी प्रशासन की ओर से कोई फैसला नहीं आया। यह स्थिति शिक्षा व स्वास्थ्य के बीच संतुलन की चुनौती पेश कर रही है।

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