सुप्रीम कोर्ट:पॉक्सो कानून के दुरुपयोग पर चिंता, लड़कों और पुरुषों में जागरूकता को जरूरी बताया *REAL* #28
सुप्रीम कोर्ट नेपॉक्सो कानून के बढ़ते दुरुपयोग पर गहरी चिंता जताई है। अदालत ने कहा कि यह कानून अक्सर पारिवारिक झगड़ों या किशोरों के आपसी रिश्तों में गलत तरीके से इस्तेमाल हो रहा है। इस मामले की अगली सुनवाई 2 दिसंबर को होगी। एक जनहित याचिका में लोगों को दुष्कर्म कानूनों के बारे में शिक्षित करने और स्कूली पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा शामिल करने की मांग की गई है।
पॉक्सो कानून के दुरुपयोग पर सर्वोच्च न्यायालय की राय
देश की सर्वोच्च अदालत ने बच्चों को यौन अपराधों से संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) के गलत इस्तेमाल पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। न्यायालय ने देखा है कि इस कानून का उपयोग कई बार पति-पत्नी के झगड़ों या किशोर-किशोरी के आपसी सहमति वाले संबंधों के मामलों में किया जा रहा है, जो इस विधेयक की मूल भावना के विपरीत है। अदालत ने इस चुनौती के समाधान के लिए लड़कों एवं पुरुषों में कानून की जानकारी और समझ बढ़ाने पर बल दिया है।
जनहित याचिका में शिक्षा पर जोर
यह टिप्पणियाँ एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान सामने आईं, जिसमें देश में महिलाओं और लड़कियों के लिए सुरक्षित माहौल बनाने की मांग की गई है। याचिका में शिक्षा मंत्रालय को निर्देश देने की मांग की गई है ताकि सभी स्कूल बच्चों को महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों से जुड़े कानूनों की बुनियादी जानकारी दें। साथ ही, नैतिक शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल करने का सुझाव दिया गया है, ताकि छात्रों को लैंगिक समानता, महिला अधिकारों और सम्मानजनक जीवन के महत्व के बारे में शिक्षित किया जा सके।
मीडिया की भूमिका और अगली सुनवाई
याचिका में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) से भी अपेक्षा की गई है कि वे फिल्मों और मीडिया के माध्यम से दुष्कर्म जैसे गंभीर अपराधों की सजा और दुष्परिणामों के बारे में जनता को जागरूक करें। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि लड़कियों की सुरक्षा सिर्फ कानून से ही नहीं, बल्कि समाज की सोच बदलने से संभव है और यह बदलाव स्कूल स्तर से ही शुरू होना चाहिए। इस मामले की अगली सुनवाई 2 दिसंबर, 2025 को निर्धारित की गई है, क्योंकि कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अभी तक इस मुद्दे पर अपना जवाब दाखिल नहीं किया है।
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