दिल्ली:विमानों के जीपीएस सिस्टम में आ रहे हैं फर्जी सिग्नल, सरकार ने जांच शुरू की *GRSC* #23

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के 100 किलोमीटर के दायरे में उड़ने वाले विमानों के जीपीएस सिस्टम में पिछले एक सप्ताह से फर्जी सिग्नल आ रहे हैं। इस स्पूफिंग के कारण पायलटों को विमान की स्थिति और नेविगेशन रूट में गलत जानकारी मिल रही है, जिससे कुछ उड़ानों में देरी हुई है। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) को इसकी सूचना दी गई है और सरकार ने मामले की जांच शुरू कर दी है।

जीपीएस स्पूफिंग से उत्पन्न हुई चुनौती

दिल्लीक्षेत्र में पिछले एक सप्ताह से विमानों के जीपीएस नेविगेशन सिस्टम को निशाना बनाने वाली घटनाएं सामने आ रही हैं। इस साइबर हमले, जिसे जीपीएस स्पूफिंग कहा जाता है, में विमानों को उनकी वास्तविक स्थिति और मार्ग से भटकाने के लिए नकली सिग्नल भेजे जा रहे हैं। हवाई यातायात नियंत्रण सूत्रों के अनुसार, राजधानी से लगभग 100 किलोमीटर के दायरे में ऐसी कई घटनाएं दर्ज की गई हैं। इस संबंध में फ्लाइट रेगुलेटर डीजीसीए को अवगत करा दिया गया है।

उड़ानों पर पड़ा असर और पायलटों का अनुभव

इस स्पूफिंग कासीधा असर उड़ानों पर देखने को मिला है। एक एयरलाइंस के पायलट के अनुसार, लैंडिंग के दौरान उनके कॉकपिट सिस्टम में एक अलर्ट आया जिसमें आगे के मार्ग में खतरे की चेतावनी दी गई थी, जबकि वास्तविकता में वहां कोई खतरा मौजूद नहीं था। बताया जाता है कि पिछले सप्ताह के दौरान कई उड़ानों में इसी तरह की समस्या का सामना करना पड़ा, जिसके कारण कई फ्लाइट्स में देरी हुई। यद्यपि भारत-पाकिस्तान सीमा पर ऐसी घटनाएं आम हैं, लेकिन दिल्ली जैसे महत्वपूर्ण हवाई क्षेत्र में इनका होना चिंता का विषय माना जा रहा है।

सुरक्षा उपाय और सरकारी कार्रवाई

विशेषज्ञोंके मुताबिक, जीपीएस स्पूफिंग से विमान की सुरक्षा को सीधे तौर पर खतरा नहीं होता, क्योंकि विमानों में इनर्शियल रेफरेंस सिस्टम जैसे बैकअप भी मौजूद होते हैं। यदि प्राथमिक जीपीएस विफल भी हो जाए तो भी ये सिस्टम कई घंटों तक नेविगेशन में सहायता कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में एयर ट्रैफिक कंट्रोल पायलटों को मैन्युअल रूप से सही मार्गदर्शन प्रदान कर सकता है। सरकार ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू की है। इससे पहले नवंबर 2023 में डीजीसीए ने एयरलाइनों के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया जारी की थी, जिसमें हर दो महीने में जीपीएस स्पूफिंग की रिपोर्ट देना अनिवार्य किया गया था। भारत ने इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन के समक्ष भी उठाया है।

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