बिहार: नीतीश कुमार ने दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की, 26 मंत्रियों का विस्तार *HJKL* #17
पटना के गांधी मैदान में गुरुवार को नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में दसवीं बार शपथ ली। समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा सहित भाजपा के प्रमुख नेता उपस्थित रहे। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी व विजय कुमार सिन्हा बने, जबकि 26 मंत्रियों में भाजपा के 14, जदयू के 8, लोजपा (आर) के 2 तथा हम व रालोसपा से एक-एक शामिल हुए। इसमें एक मुस्लिम विधायक जमा खान भी हैं।
शपथ समारोह की भव्यता
बिहार की राजधानी पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में आज गुरुवार को एक भव्य समारोह का आयोजन हुआ, जहां नीतीश कुमार ने राज्य के मुख्यमंत्री पद पर दसवीं बार शपथ ग्रहण की। यह समारोह राजनीतिक गठबंधन की मजबूती का प्रतीक बना, जिसमें केंद्र व राज्य स्तर के कई दिग्गज नेता शामिल हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंच से उपस्थित जनसमूह को अभिवादन किया, जबकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह व भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा हरियाणा, असम, गुजरात, मेघालय, उत्तर प्रदेश, नगालैंड, ओडिशा, दिल्ली, मध्य प्रदेश व राजस्थान के मुख्यमंत्रियों की उपस्थिति ने इस आयोजन को राष्ट्रीय आयाम प्रदान किया।
मंत्रिमंडल का संतुलित वितरण
शपथ ग्रहण के साथ ही नया मंत्रिमंडल भी गठित हो गया, जिसमें कुल 26 मंत्रियों ने पदभार ग्रहण किया। भाजपा को सबसे अधिक 14 पद मिले, जबकि जदयू को आठ, चिराग पासवान की लोजपा (आर) को दो, जीतन राम मांझी की हम पार्टी व उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा को एक-एक स्थान प्राप्त हुआ। इस विस्तार में विविधता का ध्यान रखा गया, जिसमें जदयू से जमा खान जैसे एक मुस्लिम चेहरे को फिर से जिम्मेदारी सौंपी गई। उपमुख्यमंत्री पद पर सम्राट चौधरी व विजय कुमार सिन्हा को चुना गया, जो गठबंधन की एकजुटता को दर्शाता है।
नए चेहरों को प्राथमिकता
इस बार मंत्रिमंडल में ताजगी का पुट देखने को मिला, क्योंकि 13 नए विधायकों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी गईं। इनमें रामकृपाल यादव व श्रेयसी सिंह जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं। चिराग पासवान की पार्टी से दो विधायकों को स्थान मिला, जिसमें महुआ निर्वाचन क्षेत्र से संजय सिंह का नाम उल्लेखनीय है। संजय ने हाल के चुनाव में विपक्षी उम्मीदवार को कड़ी टक्कर देकर जीत हासिल की थी। यह विस्तार न केवल गठबंधन साझेदारों के बीच संतुलन बनाए रखता है, बल्कि राज्य की राजनीति में युवा व क्षेत्रीय नेतृत्व को बढ़ावा देने का संकेत भी देता है। समग्र रूप से, यह नया मंत्रिमंडल बिहार के विकास एजेंडे को नई गति प्रदान करने की उम्मीद जगाता है।
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