केरल देश का पहला चरम गरीबी मुक्त राज्य बना, यूपी सरकार का वादा अभी अधूरा #27 *AQW* (1)


1 नवंबर 2025 को केरल भारत का पहला चरम गरीबी मुक्त राज्य बन गया है। 2021 में शुरू एक्सट्रीम पॉवर्टी एरेडिकेशन प्रोग्राम के तहत 64,006 अत्यंत गरीब परिवारों को चिन्हित कर माइक्रो योजनाओं से उन्हें गरीबी से बाहर निकाला गया। इस ऐतिहासिक उपलब्धि के बीच उत्तर प्रदेश और बिहार आज भी गरीबी से जूझ रहे हैं। जून 2024 की रिपोर्ट के अनुसार यूपी भी 5 करोड़ से अधिक लोगों को लाभ देकर चरम गरीबी मुक्ति की ओर था एवं तभी अक्टूबर 2024 में, यूपी सरकार ने 'जीरो पॉवर्टी अभियान' शुरू किया था, किंतु एक साल बाद भी सरकार की वेबसाइट पर ऐसा कोई आधिकारिक अपडेट नहीं मिल सका है।


कैसे हुआ यह चमत्कार

केरल सरकार ने 1,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश से एक अनूठी रणनीति अपनाई। कुडुम्बश्री संगठन, आशा कार्यकर्ताओं और स्थानीय संस्थाओं के साथ मिलकर व्यापक सर्वेक्षण किया गया, जिसमें 14 लाख लोगों ने भाग लिया। इस सर्वेक्षण में 64,006 परिवारों को अत्यधिक गरीबी की श्रेणी में पाया गया। प्रत्येक परिवार के लिए विशेष माइक्रो योजनाएं तैयार की गईं जो भोजन, स्वास्थ्य, आवास और रोजगार पर केंद्रित थीं। सरकार ने 20,648 परिवारों को दैनिक भोजन, 85,721 लोगों को चिकित्सा सहायता और 5,400 नए घर बनवाए। इसके अलावा 21,263 लोगों को राशन कार्ड, आधार और पेंशन जैसे आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराए गए। नीति आयोग की 2023 रिपोर्ट के अनुसार, केरल में बहुआयामी गरीबी मात्र 0.55% है, जो देश में सबसे कम है।

यूपी में क्या है स्थिति

उत्तर प्रदेश में गरीबी की तस्वीर अभी भी चुनौतीपूर्ण है। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, यूपी में बहुआयामी गरीबी 2015-16 में 37.68% से घटकर 2022-23 में 17.40% हो गई है। हालांकि यह सुधार सराहनीय है और 5.94 करोड़ लोग पिछले नौ वर्षों में गरीबी से बाहर निकले हैं, लेकिन राज्य अभी भी उच्च गरीबी दर से जूझ रहा है। श्रावस्ती यूपी का सबसे गरीब जिला है जहां 74.38% आबादी गरीबी में है, जबकि बहराइच, बलरामपुर और लखीमपुर खीरी भी सबसे गरीब जिलों में शामिल हैं। अक्टूबर 2024 में, यूपी सरकार ने 'जीरो पॉवर्टी अभियान' शुरू किया है, जिसका लक्ष्य एक वर्ष में राज्य को अत्यधिक गरीबी मुक्त बनाना है।


बिहार की चुनौती सबसे बड़ी

बिहार की स्थिति सबसे चिंताजनक है। नीति आयोग की 2024 रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में गरीबी दर 33.76% है, जो देश में सर्वाधिक है। 2015-16 में यह 51.91% थी, जो घटकर 2021-22 में 33.76% हुई। हालांकि 3.77 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर आए हैं, लेकिन एक-तिहाई आबादी अभी भी गरीबी में जी रही है। बिहार की 64% आबादी 10,000 रुपये प्रति माह से कम कमाती है। राज्य की प्रति व्यक्ति आय 2023-24 में मात्र 32,174 रुपये थी, जो राष्ट्रीय औसत 1,06,744 रुपये का एक-तिहाई है। बिहार भारत की 9% आबादी का घर है, लेकिन देश के जीडीपी में केवल 3.07% योगदान देता है।

हालांकि उत्तर प्रदेश में 5.94 करोड़ लोग पिछले नौ वर्षों में गरीबी से बाहर निकले हैं जो सराहनीय है, लेकिन राज्य अभी भी उच्च गरीबी दर से जूझ रहा है। इसी कारण तमाम यूजर्स सोशल मीडिया पर सरकार की योजना पर सवाल उठा रहे हैं।

आपके मन में है कोई विषय जिसपर उठनी चाहिए आवाज तो नीचे दिए चैट बॉक्स के माध्यम से भेजें अपने सुझाव डीबीयूपी इंडिया तक।


***8.6K***

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें