बसपा सुप्रीमो मायावती ने मुस्लिम नेताओं के सामने रखी 'सीधा वोट' की अपील, कहा- 'सपा-कांग्रेस के बहकावे में न आएं' *GYRI* #23

 बसपा प्रमुख मायावती ने बुधवार को लखनऊ में पार्टी के मुस्लिम नेताओं के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की। उन्होंने मुस्लिम समुदाय से सपा और कांग्रेस को वोट न देकर सीधे बसपा को समर्थन देने का आह्वान किया, ताकि भाजपा को हराया जा सके। इस दौरान पार्टी ने मुसलमानों के लिए किए गए कामों की सूची भी वितरित की और 2027 विधानसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा हुई।

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने बुधवार को लखनऊ में एक ऐतिहासिक बैठक की कमान संभाली, जिसमें पार्टी के मुस्लिम नेताओं और पदाधिकारियों को विशेष तौर पर आमंत्रित किया गया। इस बैठक को राज्य की राजनीति में एक बड़े रणनीतिक बदलाव के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। मायावती ने साफ शब्दों में मुस्लिम मतदाताओं से सपा और कांग्रेस जैसे दलों के "बहकावे" में न आने और सीधे तौर पर बसपा को अपना समर्थन देने की अपील की।

'सीधा वोट' का गणित और बीजेपी को हराने की चुनौती

मायावती ने बैठक के दौरान अपने संबोधन में कहा कि मुस्लिम समुदाय का वोट पारंपरिक रूप से सपा और कांग्रेस के पक्ष में बंटने के कारण भाजपा के खिलाफ मजबूत विपक्षी ध्रुवीकरण नहीं हो पाता। उन्होंने तर्क दिया कि अगर मुस्लिम मतदाता एकजुट होकर सीधे बसपा को वोट दें, तो भाजपा को परास्त करना आसान होगा। उन्होंने समाज के सामने यह बात रखी कि सपा और कांग्रेस मुसलमानों को सिर्फ वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल करती हैं, जबकि बसपा ने सत्ता में रहते हुए हमेशा उनके हकों और सुरक्षा के लिए ठोस काम किए हैं। उनके अनुसार, बसपा की सरकार ने ही उत्तर प्रदेश को दंगों और भय से मुक्त करवाया था।

2007 की 'सोशल इंजीनियरिंग' की झलक

यह बैठक बसपा के इतिहास में एक विशेष महत्व रखती है। पार्टी के गठन के बाद यह पहला मौका है जब मायावती ने विशेष रूप से मुस्लिम भाईचारा कमेटी की बैठक बुलाई और उसकी अध्यक्षता की। राजनीतिक विश्लेषक इसे मायावती की 2007 में सफल रही 'सोशल इंजीनियरिंग' रणनीति के पुनरुत्थान का संकेत मान रहे हैं। उस समय ब्राह्मण, दलित, ओबीसी और मुस्लिम वोटों के समीकरण से ही बसपा ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी। ऐसा लगता है कि बसपा 2027 के चुनाव से पहले एक बार फिर से इसी जमीनी नेटवर्क को मजबूत करना चाहती है।

नई रणनीति और अंदरूनी संदेश

बैठक में मौजूद नेताओं को पीले रंग की एक फाइल दी गई, जिसमें बसपा के पिछले कार्यकालों में मुस्लिम समुदाय के लिए किए गए दावेदारी भरे 100 कार्यों की सूची है। नेताओं को निर्देश दिया गया कि इसे आधार बनाकर वे समुदाय के बीच जाएं और उनका विश्वास हासिल करें। साथ ही, मतदाता सूची पुनरीक्षण (एसआईआर) पर खास जोर दिया गया और बूथ स्तर पर मजबूती से काम करने के निर्देश दिए गए। मायावती ने पार्टी के भीतर अनुशासन का संदेश देते हुए हाल ही में निकाले गए नेता शमसुद्दीन राईन का उदाहरण भी दिया, ताकि कोई भी नेता पार्टी लाइन से इतर काम करने की हिमाकत न करे। पार्टी के समर्थकों में इस सक्रियता से नया उत्साह देखा जा रहा है और वे 2027 के चुनाव को लेकर आशान्वित नजर आ रहे हैं।

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