अयोध्या: आरएसएस ने शताब्दी वर्ष की शुरुआत में किया पथ संचलन, रामजन्मभूमि तक पहुंचे स्वयंसेवक *DJSK* #5

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अपने शताब्दी वर्ष का आरंभ अयोध्या से किया। 2 अक्टूबर को रामकथा पार्क से लगभग 2,000 गणवेशधारी स्वयंसेवकों का पथ संचलन श्रीरामजन्मभूमि तक पहुंचा, जहाँ 50 स्थानों पर उन पर पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया। आरएसएस के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने स्वयंसेवकों को संबोधित किया।

शताब्दी वर्ष का ऐतिहासिक आरंभ

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपनी स्थापना के सौ वर्ष पूरे होने पर शताब्दी वर्ष की शुरुआत धर्मनगरी अयोध्या से की। इस अवसर पर गुरुवार, 2 अक्टूबर की सुबह एक भव्य पथ संचलन का आयोजन किया गया। यह संचलन रामकथा पार्क से शुरू हुआ और श्रीरामजन्मभूमि पर समाप्त हुआ, जो पूरे मार्ग में आकर्षण का केंद्र बना रहा।

स्वयंसेवकों का जोरदार स्वागत

इस पथ संचलन में करीब 2 हजार गणवेशधारी स्वयंसेवक शामिल हुए, जिनके कंधे पर लाठियां चमक रही थीं। मार्ग में विविध संगठनों के कार्यकर्ताओं और सामान्य नागरिकों ने स्वयंसेवकों का स्वागत पुष्प वर्षा करके किया। पूरे मार्ग को विशेष रूप से सजाया गया था और लगभग 50 स्थानों पर यह पुष्प वर्षा हुई। जय श्रीराम के नारों के साथ स्वयंसेवकों के उत्साह का वर्द्धन किया गया।

शीर्ष नेतृत्व ने दिया संबोधन

इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में आरएसएस के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने रामकथा पार्क में अयोध्या के रामलला नगर व अशोक सिंहल नगर के गणवेशधारी स्वयंसेवकों को संबोधित किया। उनके संबोधन के बाद ही यह संघ मार्च रामजन्मभूमि की ओर रवाना हुआ।

संत समाज और गणमान्य लोग रहे उपस्थित

इस कार्यक्रम में श्रीरामवल्लभाकुंज के प्रमुख स्वामी राजकुमार दास, लक्ष्मण किला के महंत मैथिलीरमण शरण, वामन मंदिर के महंत वैदेही वल्लभ शरण, हनुमानगढ़ी के सरपंच महंत रामकुमार दास, झनुकीघाट सियाराम किला के महंत करुणानिधान शरण, महंत राजू दास हनुमानगढ़ी, हनुमत निवास के आचार्य डाक्टर मिथिलेश नंदिनी शरण, हनुमानगढ़ी के पुजारी रमेश दास, राम मंदिर के वरिष्ठ ट्रस्टी डाक्टर अनिल मिश्र, प्रथम मेयर ऋषिकेश उपाध्याय, मेयर महंत गिरीशपति तिवारी और संत एमबी दास के साथ रामशरण दास रामायणी प्रमुख रूप से शामिल रहे।

शताब्दी वर्ष की व्यापक योजना

शताब्दी वर्ष में संघ ने अपने कार्यक्रमों का दायरा व्यापक किया है। साथ ही, संघ का पंच संकल्प कार्यक्रम भी प्रारंभ होने जा रहा है। इसके तहत समाज के लोगों से सीधे संपर्क कर सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, स्वदेशी व आत्मनिर्भरता व नागरिक कर्तव्य की जानकारी देकर उन्हें जिम्मेदार नागरिक के रूप में तैयार करने की योजना पर काम किया जाएगा।

अयोध्या से शुरुआत का महत्व

अयोध्या से शताब्दी वर्ष की शुरुआत करके आरएसएस ने श्रीरामजन्मभूमि के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पुनः दर्शाया है। संघ अपने विविध संगठनों के माध्यम से एक व्यापक संदेश देने की रणनीति पर काम कर रहा है। इसकी तैयारी छह माह से चल रही थी और शाखाओं को फिर से सक्रिय करने पर जोर दिया गया था। आरएसएस की स्थापना 2 अक्टूबर, 1925 को नागपुर के मोहिते के बाड़े में हुई थी और श्रीरामजन्मभूमि आंदोलन में संघ की प्रत्यक्ष और परोक्ष दोनों भूमिका रही है।

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